बीत गई दिवाली... अब कब होगी गोवर्धन पूजा और कब मनाया जाएगा भाई दूज? शुभ मुहूर्त के साथ जानें हर जरूरी बात
इस बार दिवाली के ठीक बाद सूर्य ग्रहण पड़ रहा है, इस कारण गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर की बजाय, 26 अक्टूबर को की जाएगी. वहीं भाई दूज का पर्व भी 27 अक्टूबर को होगा.
दिवाली का त्योहार अब बीत चुका है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है और उसके दूसरे दिन भाई दूज मनाया जाता है. लेकिन इस बार दिवाली के ठीक बाद सूर्य ग्रहण पड़ रहा है, इस कारण गोवर्धन पूजा 25 अक्टूबर की बजाय, 26 अक्टूबर को की जाएगी. वहीं भाई दूज का पर्व भी 27 अक्टूबर को होगा. ग्रहण काल में किसी भी तरह की पूजा पाठ की मनाही होती है. आइए ज्योतिषाचार्य से जानते हैं गोवर्धन पूजा और भाई दूज का शुभ मुहूर्त और अन्य जरूरी बातें.
26 अक्टूबर गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 25 अक्टूबर शाम 4 बजकर 18 मिनट पर होगी और 26 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 26 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का शुभ समय सुबह 6 बजकर 29 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. चूंकि उदया तिथि के साथ शुरू किसी भी तिथि का प्रभाव पूरे दिन माना जाता है, ऐसे में गोवर्धन पूजा 26 अक्टूबर की शाम को भी की जा सकती है. शाम के समय शुभ मुहूर्त 06:39 मिनट से रात 08:20 मिनट तक रहेगा.
27 अक्टूबर भाई दूज शुभ समय
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
भाई दूज के साथ दिवाली के पर्व का समापन हो जाता है. इस बार भाई दूज 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा. 27 अक्टूबर को भाई दूज के साथ दिवाल पर्व का समापन होगा. द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दोपहर 02:43 मिनट से शुरू होकर 27 अक्टूबर को दोपहर 12:45 मिनट तक रहेगी. इस दिन आप राहुकाल को छोड़कर कभी भी भाई को टीका कर सकती हैं. राहुकाल का समय दोपहर 01:30 से दोपहर 30 बजे तक होगा.
क्यों की जाती है गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा प्रकृति को समर्पित त्योहार है. माना जाता है कि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्रदेव का घमंड तोड़ा था और गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों की जान बचाई थी और लोगों को प्रकृति की सेवा और पूजा करने का संदेश दिया था. ये दिन कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा का दिन था. तब से इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है और भगवान को सभी तरह की मौसमी सब्जियों से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.
क्यों मनाते हैं भाई दूज
भाई दूज को लेकर यमराज की कथा प्रचलित है. कहा जाता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. वहां यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की. इससे यमराज बहुत खुश हुए और यमुना से वरदान मांगने को कहा. तब यमुना ने कहा कि आप हर बार इस दिन मेरे घर आया करो. तब यमराज ने उनकी बात मान ली और कहा कि आज से जो भी भाई अपनी बहन के घर जाकर तिलक करवाएगा और बहन भाई का इसी तरह प्रेम पूर्वक सत्कार करेगी, उन भाई बहनों का संबन्ध ताउम्र प्रेमपूर्वक रहेगा. ऐसे भाई को दीर्घायु प्राप्त होगी. तब से कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है.
01:35 PM IST