Gujarat Morbi Bridge Collapse: मरम्मत के 5 दिन बाद गिरा मोरबी पुल समेटे है कई इतिहास, 19वीं सदी में हुआ था तैयार- जानें हिस्ट्री
Gujarat Morbi bridge collapsed: इंजीनियरिंग का करिश्मा का कहा जाने वाला मोरबी पुल 19वीं सदी में बनाया गया था. मोरबी ब्रिज हादसे में अब तक करीब 132 जानें जा चुकी हैं.
Gujarat Morbi bridge collapsed: गुजरात (Gujarat) के मच्छु नदी पर बना ये पुल रविवार शाम अचानक ढह गया जिस हादसे में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी. ये पुल प्राइवेट फर्म द्वारा 7 महीने तक मरम्मत के बाद सिर्फ 5 दिन पहले ही खोला गया था. लेकिन इसे अब तक नगरपालिका से ‘फिटनेस सर्टिफिकेट’ (Fitness certificate) मिलना बाकी था. एक सदी से भी पुराना पुल करीब शाम 6.30 बजे तब ध्वस्त होकर गिर पड़ा जब से ये लोगों की भीड़ से भरा था. मोरबी नगरपालिका (Morbi Municipality) के चीफ ऑफिसर ने बताया कि “ये पुल Oreva कंपनी को रख-रखाव और मेंटेनेंस के काम के लिए 15 सालों से दिया गया था. इसी साल मार्च में इसे रेनोवेशन के काम के चलते जनता के लिए बंद कर दिया गया था. रेनोवेशन पूरा होने के बाद इसे गुजराती न्यू इयर 26 अक्टूबर के दिन जनता के लिए खोला गया था. लेकिन इसे स्थानीय नगरपालिका से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था.”
कई इतिहास समेटा था ये पुल
जिला कलेक्ट्रेट वेबसाइट पर इस पुल के बारे में दी गई जानकारी के अनुसार ये पुल ‘इंजीनियरिंग का करिश्मा (Engineering Marvel)’ कहा जाता है जिसे 19वीं सदी में बनाया गया था. इस जानकारी के अनुसार ये पुल मोरबी के शासकों की वैज्ञानिक और आधुनिक स्वभाव का प्रतीक है. सर वाघजी ठाकोर जिन्होंने 1922 तक मोरबी पर शासन किया था कोलोनियल प्रभाव से प्रेरित थे. और इसलिए उन्होंने कलात्मक और ऐसे तकनीकी चमत्कार वाले पुल को बनवाने का निर्णय लिया जो कि दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस तक जोड़ सके. पुल 1.25 मीटर चौड़ा था और 233 मीटर तक फैला था, और कलेक्ट्रेट वेबसाइट के अनुसार, यूरोप में उन दिनों उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक अलग पहचान देने के लिए बनाया गया था.
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