Christmas 2022: क्रिसमस 25 दिसंबर को ही क्यों मनाते हैं? जब शुरू हुआ तब इंग्लिश कैलेंडर नहीं था, फिर कैसे तय हुई डेट
Christmas 2022: क्रिसमस के त्योहार को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि 25 दिसंबर को ही आखिर क्यों मनाया जाता है क्रिसमस. आइए जानते हैं इस बारे में सबकुछ.
(Source: ANI)
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Christmas 2022: क्रिसमस का त्योहार अब बस 2 ही दिन दूर है. दुनियाभर के लोग Christmas को ईश्वर के पुत्र ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में सेलिब्रेट करते हैं. हालांकि क्या सच में ईसा मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था? वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बाइबिल में इस बारे में कोई स्पष्ट रूप से स्पष्ट रूप से निर्देश नहीं है कि क्या 25 दिसंबर को यीशू (Jesus Christ) का जन्म हुआ था, बल्कि इस बारे में यह शांत है कि किस दिन या मौसम में मदर मैरी ने बेथलम में उन्हें जन्म देने का दावा किया है. आइए हम जानते हैं कि फिर कैसे क्रिसमस (Christmas 2022) को 25 दिसंबर पर मनाने का रिवाज चला और कैसे इसे ईसा मसीह के जन्मदिन से जोड़ा गया.
मानवविज्ञानी जेम्स जॉर्ज फ्रेजर (Anthropologist James George Frazer) ने अपनी पुस्तक The Golden Bough में 25 दिसंबर को आयोजित होने वाले Christmas की उत्पत्ति को संबोधित किया. हालांकि, बहुत सारे तर्क हैं जो फ्रेज़र के सिद्धांत का खंडन करते हैं. कई सिद्धांत उस दिन की चर्चा करते हैं जिस दिन यीशु (Jesus Christ) का जन्म हुआ था, ठीक वैसे ही जैसे क्रिसमस की छुट्टियों में होता है. 6 से 4 ईसा पूर्व के बीच के समय को ईसा मसीह के जन्म का समय माना जाता है.
क्या है क्रिसमस का इतिहास?
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क्रिसमस (Christmas) को मनाने से जुड़ी सबसे कॉमन कहानी उसे माना जाता है, जब यीशू की मां मरियम को बताया गया था कि वह प्रभु के द्वारा एक खास बच्चे को जन्म देंगी. मदर मैरी को कथित तौर पर 25 मार्च को यह भविष्यवाणी मिली और नौ महीने बाद 25 दिसंबर को यीशु का जन्म हुआ. यह एक स्पष्टीकरण हो सकता है कि 25 दिसंबर को यीशु (Birthday of Jesus Christ) के जन्मदिन के रूप में क्यों मनाया जाता है. इस भविष्यवाणी के बाद, यीशु का जन्म बेतलेहेम में चरनी में हुआ. हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है कि उनका जन्म 25 दिसंबर को हुआ था क्योंकि ग्रेगोरियन कैलेंडर, जो कि आधुनिक क्रिसमस समारोह का आधार है, उस समय मौजूद नहीं था.
Christmas के त्योहार को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व के रूप में मनाया जाता है. क्रिसमस शब्द "क्राइस्ट मास" (Mass of Christ) से निकला है. पहली बार इसे पहले ईसाई रोमन सम्राट और रोमन सम्राट कॉन्सटेंटाइन (Christian Roman emperor) के शासनकाल के दौरान 336 में मनाया गया था. जिसके कुछ सालों बाद पोप जुलियस ने आधिकारिक तौर पर जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस 25 दिसंबर के दिन मनाने का ऐलान कर दिया.
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क्यों मनाया जाता है क्रिसमस का त्योहार
ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों के लिए क्रिसमस (Christmas 2022) एक पवित्र दिन है. इस दिन लोग ईसा मसीह और उनके बलिदानों को याद करते हैं. ईसाई याद करते हैं कि कैसे यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था और कैसे वह मास के दौरान फिर से जीवित हो गया. बहुत से लोग सोचते हैं कि आज का दिन आध्यात्मिक जीवन की वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता है. उनका तर्क है कि यीशु के जन्म से पहले, दुनिया में बहुत अधिक घृणा, लालच और पाखंड था, लेकिन यीशु के जन्म ने इन सभी बुराइयों को नष्ट कर दिया और विश्व शांति लायी.
यीशु के जन्म के बाद, दुनिया में एक बदलाव आया, जिसमें ईसाई आनन्दित हुए. वे क्रूस पर यीशु के अंतिम बलिदान को याद करना महत्वपूर्ण मानते हैं क्योंकि वह पूरी मानवता को उनके दुखों से बचाने के लिए आए थे.
क्रिसमस से जुड़े हैं ये परंपरा
क्रिसमस (Christmas Festival) का त्योहार कई सारी परंपराओं से जुड़ा हुआ है. इस त्योहार पर लोग क्रिसमस ट्री को सजाते हैं, कुकीज और केक बनाते हैं, हॉलीडे परेड में भाग लेते हैं. क्रिसमस पर लाल, सुनहरे और हरे रंग के कलर का इस्तेमाल करते हैं. त्योहार को इन्हीं रंगों से दिखाया जाता है. लाल रंग ईसा मसीहर के रंग, सुनहरा रंग तीन राजाओं में से एक के उपहार और हरा रंग अनंत जीवन का प्रतिनिधित्व करता है. Christmas सेलिब्रेशन में लोग कैरल भी गाते हैं और एक दूसरे को उपहार देकर इस त्योहार का जश्न मनाते हैं.
03:53 PM IST