क्या कल से थम जाएगी दुनिया की रफ्तार, भारत सरकार की नोडल एजेंसी ने भी किया सावधान
जरा सोचिए क्या होगा अगर गूगल मैप या रेल इक्वायरी सिस्टम जैसी सेवाएं काम करना बंद कर दें. ये सभी सेवाएं ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम पर आधारित हैं.
जीपीएस समय की गणना सिर्फ 1024 सप्ताह या 19.7 वर्ष तक ही कर सकता है (फोटो- रायटर्स).
जीपीएस समय की गणना सिर्फ 1024 सप्ताह या 19.7 वर्ष तक ही कर सकता है (फोटो- रायटर्स).
जरा सोचिए क्या होगा अगर गूगल मैप या रेल इक्वायरी सिस्टम जैसी सेवाएं काम करना बंद कर दें. ये सभी सेवाएं ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम पर आधारित हैं, जिसे संक्षेप में जीपीएस कहते हैं. हालांकि यही जीपीएस सिस्टम 6 अप्रैल 2019 से एक महासंकट का सामना करने जा रहा है जो जीपीएस रोलओवर कहा जा रहा है. भारत सरकार की नोडल एजेंसी नेशनल क्रिटिकल इनफॉरमेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (NCIIPC) के मुताबिक जीपीएस का इस्तेमाल करने वाले क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर ओनर, ऑपरेटर और अन्य यूजर्स को जीपीएस रोलओवर इवेंट से सावधान रहना चाहिए.
क्या है समस्या की वजह?
दरअसल जीपीएस समय की गणना सिर्फ 1024 सप्ताह या 19.7 वर्ष तक ही कर सकता है और उसके बाद उससे सिस्टम में समय फिर शून्य हो जाता है. समय को समझने में इस चूक की वजह से जीपीएस की गणना में गड़बड़ी आने लगती है और गलत रिजल्ट आने लगते हैं. NCIIPC के मुताबिक पहल जीपीएस सेटेलाइट 6 जनवरी 1980 को लाइव हुआ था. इसके ठीक 19.7 साल बाद 21 अगस्त 1999 को पहली बार जीपीएस रोलओवर की समस्या आई. हालांकि तब जीपीएस का टेक्नालॉजी और आम जीवन में इतना अधिक इस्तेमाल नहीं था. इसलिए इस बार की समस्या अधिक बड़ी है.
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जारी हैं बचाव के उपाए
NCIIPC का कहना है कि कई जीपीएस रिसीवर मैन्युफैक्चर की इच्छा है कि उनके रिसीवर के डिफाल्ट जीवनकाल को अधिकतम समय तक प्रोग्राम किया जाए. इसका मतलब है कि 1999 में जीपीएस रोलओवर होने के बाद अगर कोई रिसीवर 2005 में लगाया गया है तो वह 2005 से अगले 20 साल तक काम करता रहे. फिलहाल सभी जीपीएस डिवाइस यूजर्स को इसके मैन्युफैक्चर से मिलकर अपनी डिवाइस को अपडेट कराना होगा. दुनिया भर में टेक्नीशियन काम में दिन रात लगे हैं. भारत में भी इसके लिए युद्ध स्तर पर टीमें दिन-रात काम कर रही हैं.
जीपीएस का आम जीवन में इस्तेमाल
1. युद्ध में दुश्मन के ठिकानों पर सटीक निशाना लगाने में.
2. यात्रा के दौरान रास्ते का पता करने में.
3. खोए हुए बच्चों और बुजुर्गों को ट्रैक करने में.
4. गाड़ी, लैपटॉप और मोबाइल चोरी रोकने में.
5. लोकेशन का पता लगाने वाले सर्विस में.
6. प्राकृतिक आपदा में लोगों को बचाने में.
7. नजदीकी रेस्टोरेंट, थियेटर या क्लीनिक के बारे में पता लगाने में.
8. खेती में और वन्यजीवों की सुरक्षा में.
03:58 PM IST