बायोमेट्रिक पहचान पर भी खतरा! वैज्ञानिकों ने किया दावा-अंगुलियां के निशान भी नहीं हैं सुरक्षित
वैज्ञानिकों ने ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की एक ऐसी डिवाइस तैयार की जो इंसान की उंगलियों के फर्जी निशान से बायोमीट्रिक प्रणाली में सेंधमारी कर सकता है.
यह शोध दुनियाभर में प्रयोग में लाई जाने वाली बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली के लिए चुनौती.
यह शोध दुनियाभर में प्रयोग में लाई जाने वाली बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली के लिए चुनौती.
आप रोज की जिंदगी में बायोमेट्रिक प्रणाली से रू-ब-रू होते होंगे. यानी तमाम तरह के सत्यापन के लिए उंगलियों के निशान की स्कैनिंग. दुनियाभर में इस प्रणाली को काफी सुरक्षित मानी जाती है. लेकिन अब यह भी सुरक्षित नहीं रहा. दरअसल, वैज्ञानिकों ने ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) की एक ऐसी डिवाइस तैयार की जो इंसान की उंगलियों के फर्जी निशान से बायोमीट्रिक प्रणाली में सेंधमारी कर सकता है.
अमेरिका की न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस सनसनीखेज आविष्कार का खुलासा किया है. शोधकर्ताओं ने एक तटस्थ नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए फर्जी फिंगर प्रिंट विकसित किया जो पांच लोगों में से एक के बायोमेट्रिक सत्यापन कोक गलत होने के बाद भी सही ठहराने के लिए भ्रमित कर सकता है.
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि जैसे कोई मास्टर चाभी किसी बिल्डिंग के हर दरवाजे का ताला खोलने में सक्षम होती है, ठीक वैसे ही डीप मास्टर प्रिंट्स में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करते हुए फिंगर प्रिंट के डेटाबेस में बड़ी संख्या में एकत्र किए प्रिंट से मिलान करा इसे सत्यापित करने का प्रयास किया गया.
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यह शोध न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नासिर मेमन के नेतृत्व में पहले हुए एक रिसर्च के आधार पर चल रहा है. मेमन ने मास्टर प्रिंट नाम से एक तकनीक विकसित किया था. इसमें पहचान के लिए उंगलियों के निशान का आंशिक उपयोग किया जाता है.
हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक, शोध छात्र फिलिप बोंट्रेजर का कहना है कि इस समय अधिकांश प्रणालियों में ऐसा कोई तरीका नहीं है जो यह सत्यापित कर सके कि उंगली के निशान या बाकी बायोमेट्रिक किसी वास्तविक व्यक्ति के हैं या किसी मिलते-जुलते क्लोन के. इस शोध से दुनियाभर में प्रयोग में लाई जाने वाली बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली के सामने चुनौती खड़ी हो गई है.
02:33 PM IST