प्याज ने निकाले किसानों के आंसू, सरकार से लगाई दाम बढ़ाने की गुहार
प्याज किसानों ने महाराष्ट्र सरकार से प्याज का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की मांग की है.
इस बार प्याज के दाम पिछले दो वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा कम हैं. (फाइल फोटो)
इस बार प्याज के दाम पिछले दो वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा कम हैं. (फाइल फोटो)
हर प्रकार के खाने में प्याज का तड़का स्वाद को और ज्यादा बढ़ा देता है. प्याज खाने का तो स्वाद बढ़ा रहा है, लेकिन उसे पैदा करने वाले किसानों का जायका खराब कर रहा है. प्याज के गिरते दामों के कारण प्याज की खेती करने वाले किसान परेशान हैं. महाराष्ट्र में प्याज सबसे ज्यादा पैदा होता है. यहां के किसानों ने राज्य सरकार से प्याज का न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) घोषित करने की मांग की है.
बता दें कि इस बार प्याज के दाम पिछले दो वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा कम हैं. किसानों को प्याज से फायदा तो दूर उसे मंडी तक ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसी तमाम खबरें आ रही हैं कि किसानों को प्याज का एक रुपये किलो से भी कम दाम मिल रहा है. कई किसानों ने प्याज बेचने पर मिले पैसों को प्रधानमंत्री से लेकर कृषि मंत्री तक मनीऑर्डर भेजा है.
हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को कुछ राहत देने का भी ऐलान किया था, लेकिन यह राहत किसानों को उनकी लागत निकालने के लायक तक नहीं है. महाराष्ट्र सरकार ने 1 नवंबर और 31 दिसंबर के बीच बेचे गए प्याज के लिए 2 रुपये प्रति किलोग्राम की सब्सिडी की पेशकश की थी और अधिकतम 200 क्विंटल के लिए इस योजना को लागू किया था. इस सब्सिडी के तहत राज्य के प्याज किसानों को 150 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. ऐसे में किसानों ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि प्याज का न्यूनतम बिक्री मूल्य 8.5 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया जाए. ताकि किसान प्याज की खेती की तरह से मुंह न फेरें.
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पिछले स्टॉक से गिरी कीमतें
बाजार में अभी पिछले सीजन के प्जाय का स्टॉक रखा हुआ है, ऐसे में रबी सीजन का प्याज भी मार्केट में आने लगा है, जिससे किसानों को प्याज का खरीदार नहीं मिल रहा है. किसानों को उल्टे-सीधे दामों में अपना प्याज बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. किसानों को मुनाफा तो दूर उल्टा नुकसान उठाना पड़ रहा है.
महाराष्ट्र के नासिक में सबसे ज्यादा प्याज की खेती होती है. यहां के किसानों ने सरकार से मांग की है कि चीनी, दूध की तरह उनके प्याज का भी न्यूनतम बिक्री मूल्य घोषित किया जाना चाहिए.
किसान कर सकते हैं दूसरी खेती का रुख
प्याज की गिरती कीमतों से परेशान किसान दूसरी फसलों की तरफ जाने का मन बना रहे हैं. किसानों का कहना है कि प्याज भले ही सत्ता को बदलने की ताकत रखती हो, लेकिन किसानों का भला कभी नहीं किया. किसानों का कहना है कि पिछले दो वर्षों से उन्हें प्याज से लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है. एक किसान ने बताया कि वह अपनी प्याज को मंडी में न लेकर खेत में बिखरे कर उसका खाद तैयार करेगा. कम से कम अगली फसल के लिए कुछ तो खाद की बचत होगी.
01:56 PM IST