कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में बैंकों को राहत मिलेगी या नहीं? SAT कल सुनाएगा फैसला
बैंकों की अर्ज़ी थी कि उनके पास कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने जो निजी शेयर गिरवी रखे थे, उसे NSDL ने क्यों ट्रांसफर कर दिया. बैंकों ने मांग रखी कि स्थिति साफ होने तक कार्वी के खाते से ट्रांसफर हुए बैंकों के हिस्से वाले गिरवी शेयर फ्रीज़ कर दिए जाएं.
NSDL की दलील थी कि उसने रेगुलेटर का ऑर्डर पर शेयर ट्रांसफर किया है.
NSDL की दलील थी कि उसने रेगुलेटर का ऑर्डर पर शेयर ट्रांसफर किया है.
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में बैंकों को राहत मिलेगी या नहीं इसका फैसला बुधवार को SAT करेगा. ICICI बैंक, HDFC बैंक और इंडसइंड बैंक ने गिरवी शेयरों के मामले पर आज दलील रखी. जवाब में सेबी और NSDL ने भी अपना पक्ष रखा. बैंकों की अर्ज़ी थी कि उनके पास कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने जो निजी शेयर गिरवी रखे थे, उसे NSDL ने क्यों ट्रांसफर कर दिया.
बैंकों ने मांग रखी कि स्थिति साफ होने तक कार्वी के खाते से ट्रांसफर हुए बैंकों के हिस्से वाले गिरवी शेयर फ्रीज़ कर दिए जाएं. क्योंकि, शेयर फ्रीज़ नहीं होने पर अगर आगे बेच दिए गए, तो रिकवरी कठिन हो जाएगी. इस पर सेबी की दलील थी कि उसने पहले ही सर्कुलर जारी कर दिया था. ऐसे में बैंकों ने कार्वी से क्यों नहीं पूछा कि गिरवी शेयर कार्वी के खुद के हैं या क्लाइंट्स के हैं.
NSDL की दलील थी कि उसने रेगुलेटर का ऑर्डर पर शेयर ट्रांसफर किया है. NSDL ने ये भी कहा कि जो शेयर ट्रांसफर किए गए हैं वो वास्तविक ग्राहकों के हैं. बजाज फाइनेंस ने गिरवी शेयरों को ट्रांसफर करने के इसी मामले पर सोमवार को SAT में अर्ज़ी दी थी. जिस पर SAT ने आज ऑर्डर दिया कि वो बजाज फाइनेंस का पक्ष सुने और 10 दिसंबर तक ऑर्डर पास करे. बजाज फाइनेंस को बुधवार तक सेबी के पास अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है. SAT ने ये भी कहा कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के निजी खातों में पड़े बाकी बचे शेयरों को आगे और ट्रांसफर नहीं किया जाए.
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सोमवार को NSDL ने 90000 क्लाइंट्स में से करीब 83000 क्लाइंट्स के खातों में कार्वी के निजी डीमैट खाते से शेयर ट्रांसफर किया था. बजाज फाइनेंस का कार्वी में 345 करोड़ रु का, HDFC बैंक का 350 करोड़ रु का, ICICI बैंक का 642 करोड़ रु और इंडसइंड बैंक का 140 करोड़ रु का एक्सपोज़र है. कार्वी ने सस्पेंशन को खत्म करने की भी अर्ज़ी दी थी जिस पर SAT ने सुनवाई की. कार्वी की मांग थी कि NSE के सस्पेंशन ऑर्डर पर रोक लगाई जाए. जिस पर SAT से कोई राहत नहीं मिली. बल्कि SAT ने ये कहा कि कार्वी NSE की अनुशासन समिति के पास अपना पक्ष रखे. NSE की अनुशासन समिति को इस मामले पर 6 दिसंबर तक फैसला लेना होगा. सोमवार को NSE और BSE ने कार्वी का ट्रेडिंग लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था.
किसका कितना पैसा कार्वी में फंसा
बजाज फाइनेंस 345 करोड़ रुपए
ICICI बैंक 642 करोड़ रुपए
HDFC बैंक 350 करोड़ रुपए
इंडसइंड बैंक 140 करोड़ रुपए
क्या है मामला
सेबी ने 22 नवंबर की शाम को एक एक्स-पार्टी अंतरिम ऑर्डर जारी कर कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग पर नए ग्राहक जोड़ने, क्लाइंट के पावर ऑफ अटॉर्नी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. पावर ऑफ अटार्नी देकर निवेशक, ब्रोकर को अपनी ट्रेडिंग से जुड़े फैसले लेने का अधिकार देते हैं. सेबी ने ऑर्डर में एक्सचेंजेज़ से ये भी कहा कि वो नियमों के तहत कार्वी पर कार्रवाई करें. दरअसल NSE ने कार्वी के खिलाफ जांच की थी, जांच में NSE ने पाया कि कार्वी ने ग्राहकों के शेयरों का दुरुपयोग किया है. ग्राहकों के शेयरों को बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास गिरवी रखकर लोन लिया है. NSE ने जांच में ये भी पाया कि कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग से 1096 करोड़ रुपए की रकम कार्वी के रियल एस्टेट कारोबार में ट्रांसफर की गई. वहीं, 485 करोड़ रुपए की वैल्यू के ग्राहकों के शेयर ग्रुप से जुड़ी कंपनियों के जरिए बेच दिए गए. 162 करोड़ रुपए की रकम ग्रुप से जुड़ी कंपनियों में ट्रांसफर किए गए. यही नहीं 116 करोड़ रुपए की रकम ग्राहकों के ऐसे खातों से निकाल ली गई, जिनमें कुछ समय से ट्रेडिंग नहीं हो रही थी.
सेबी ने पहले ही जारी किया थे नियम
सेबी ने इसी साल जून में नियम जारी कर ये साफ कर दिया था कि सभी ब्रोकर ग्राहकों के शेयर और फंड को खुद के शेयर और फंड से अलग रखेंगे. साथ ही ये भी निर्देश दिया था कि ब्रोकर क्लाइंट के शेयरों को गिरवी नहीं रख सकेंगे. 31 अगस्त को इसकी मियाद को बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया था. मतलब एक अक्टूबर से इस नियम को अमल में लाया जाना था. लेकिन, कार्वी सहित कई और ब्रोकरेज़ फर्म्स ने इस पर अमल नहीं किया.
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निवेशकों की परेशानी
ग्राहकों की तरफ से अक्टूबर महीने से शिकायत मिली थी कि शेयरों की बिक्री के बाद भी उनके खाते में पैसे नहीं आ रहे हैं. हालांकि तब ज़ी बिज़नेस को भेजे जवाब में कंपनी का कहना था कि दीवाली की छुट्टियों से कुछ दिक्कत हो रही है. जल्द ही इसे सुलझा लिया जाएगा. लेकिन, बाद में भी ग्राहकों की शिकायतें आती रहीं. ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों को देखकर ज़ी बिज़नेस ने 20 नवंबर की सेबी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे पर सवाल पूछा. इसमें सेबी के व्होलटाइम मेंबर अनंता बरुआ ने माना कि कार्वी की तरफ से पेमेंट में दिक्कतें हैं. कुछ ग्राहकों को पेमेंट किया गया है, जबकि कुछ को किया जाना है. 22 नवंबर को NSE से कार्वी पर रिपोर्ट मिलते ही सेबी ने अंतरिम एकतरफा ऑर्डर जारी कर दिया. सेबी कार्वी के मामले को देखते हुए जल्द ही ब्रोकर्स से जुड़े नियमों में कुछ और बदलाव कर सकती है.
08:35 PM IST