विदेशी निवेशकों को बड़ी राहत! 19 सितंबर से लागू होगा T+1 का नियम, सेटलमेंट में आएगी तेजी
T+1 Settlement: अभी मार्केट कैप के हिसाब से नीचे से हर महीने 500 शेयर T+1 में शामिल हो रहे हैं. जबकि जनवरी-फरवरी तक सभी शेयर T+1 के सेटलमेंट के लिए मुहैया हो जाएंगे.
कस्टोडियन के रिवाइज्ड कन्फर्मेशन नियम लागू करने का एलान.
कस्टोडियन के रिवाइज्ड कन्फर्मेशन नियम लागू करने का एलान.
T+1 Settlement: विदेशी निवेशकों के लिए अच्छी खबर है. 19 सितंबर 2022 से फॉरने पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPIs) के लिए T+1 के नियम आसान हो जाएंगे. NSE क्लीयरिंग ने एक सर्कुलर जारी किया है. जिसमें रिवाइज्ड सेटलमेंट नियम लागू करने का ऐलान किया है. इससे पहले एक अगस्त को NSE क्लीयरिंग ने रिवाइज्ड ट्रेड कनफर्मेशन का सर्कुलर लाया था, जिसमें कस्टोडियंस के लिए सौदे के अगले दिन सुबह 7:30 बजे तक सौदों को कनफर्म करने का मौका देने बात की गई थी. अभी नियम ये है कि सौदे के दिन ही हर किसी को शाम 7:30 बजे तक कनफर्मेशन देना होता है.
दरअसल FPIs अपने सौदे अपने कस्टोडियन बैंक के जरिए करते हैं. T+ 1 लागू होने के बाद से ही फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स इससे होने वाली दिक्कतों का मुद्दा उठा रहे थे. हालांकि सेबी ने भरोसा दिया था कि सितंबर तक इस समस्या का हल खोज लिया जाएगा.
सितंबर से लागू हो जाएगा T+1 का नियम
सितंबर-अक्टूबर तक FPIs की अहम होल्डिंग वाले शेयरों पर भी T+1 का नियम लागू हो जाएगा. अभी मार्केट कैप के हिसाब से नीचे से हर महीने 500 शेयर T+1 में शामिल हो रहे हैं. जबकि जनवरी-फरवरी तक सभी शेयर T+1 के सेटलमेंट के लिए मुहैया हो जाएंगे.
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FPI को परेशानी इस बात से थी कि उसी दिन कन्फर्मेशन में दिक्कत होती है क्योंकि उनका टाइम जोन अलग होता है. साथ ही फॉरेक्स का इंतजाम करने में भी कठिनाई होती है. हालांकि FPIs मौजूदा कन्फर्मेशन की व्यवस्था से भी बहुत खुश नहीं हैं. FPIs चाहते हैं कि सुबह 9 बजे फॉरेक्स मार्केट खुलने तक उनके कस्टोडियन को सौदा कन्फर्म करने का मौका मिल, लेकिन इसमें दिक्कत ये है कि फिर पूरे सेटलमेंट की प्रक्रिया लेट हो सकती है. जबकि T+1 लाने की मंशा यही है कि सेटलमेंट में तेजी आए. हालांकि सूत्रों के मुताबिक रेगुलेटर्स की तरफ से भरोसा दिया गया है कि आगे, समय में बदलाव पर फिर से विचार किया जा सकता है.
अप्रैल 2003 में लाई गई थी T+2 की सेटलमेंट व्यवस्था
मौजूदा T+2 की सेटलमेंट व्यवस्था अप्रैल 2003 में लाई गई थी. T+2 मतलब ट्रेडिंग होने के 2 दिन बाद सेटलमेंट की व्यवस्था आई थी. जिसके बाद से कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. लेकिन बैंकिंग सेक्टर के पेमेंट एंड सेटमलमेंट सिस्टम में हुए ढेरों बदलावों के बाद सेबी ने इस व्यवस्था को बदलकर सेटलमेंट टाइम घटाकर T+1 लाने का फैसला लिया. हालांकि, अभी ये सभी शेयरों पर लागू नहीं है. लेकिन धीरे-धीरे इसमें शेयर जुड़ रहे हैं. जल्दी सेटलमेंट होने से डिफाल्ट का जोखिम कम होगा.
T+1 पर FPIs को 19 सितंबर से राहत
- कस्टोडियन के रिवाइज्ड कन्फर्मेशन नियम लागू करने का एलान
- सौदों के रिवाइज्ड कनफर्मेशन नियम 19 सितंबर से लागू होंगे
- NSE क्लीयरिंग का सर्कुलर जारी कर लागू करने का एलान
- NSE क्लीयरिंग ने 7:30 AM तक कन्फर्मेशन का वक्त दिया
- अभी सौदे के दिन ही 7:30 PM तक कन्फर्मेशन देना जरूरी
- FPIs की दलील थी टाइम जोन में अंतर से होगी परेशानी
- फोरेक्स का इंतजाम करने में दिक्कत को भी बताया था वजह
- रेगुलेटर्स ने सितंबर-अक्टूबर तक हल का भरोसा दिया था
- ज़ी बिजनेस ने बताया था कि अक्टूबर से पहले होगा हल
- हालांकि FPIs चाहते हैं करेंसी मार्केट खुलने तक मौका हो
- सभी पक्षों से राय के बाद वक्त में बदलाव भी आगे संभव
- T+1 आने से सौदे जल्दी, सेटलमेंट तेज, जोखिम घटेगा
- T+2 की व्यवस्था अप्रैल 2003 से लागू, अब बदल रही है.
04:01 PM IST