Bike Taxi बिजनेस के नाम पर बिछाया ठगी का जाल, बसपा नेता ने ऐसे किया था ₹42 हजार करोड़ का Startup Scam
Startup Scam सीरीज में आज हम बात कर रहे हैं बाइक बोट टैक्सी स्कैम की, जिसे अंजाम दिया था बसपा के पूर्व नेता संजय भाटी ने, जो कभी गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा प्रभारी रह चुका था. इस स्कैम के तहत करीब 2.25 लाख लोगों के 42000 करोड़ रुपये से भी ठगे गए, जिनमें यूपी, एमपी, राजस्थान और हरियाणा के लोग शामिल थे.
एक ऐसा बिजनेस मॉडल (Business Model), जिसमें आपको बस एक बार 62,100 रुपये लगाने हैं और फिर साल भर तक हर महीने आपको 9765 रुपये मिलते रहेंगे. इस तरह आपको साल भर में 1,17,180 रुपये मिल जाएंगे. यानी आपको इस बिजनेस (Business) में पैसा लगाकर साल भर में करीब 80 फीसदी तक रिटर्न मिलेगा. वहीं अगर आपने एक से अधिक प्लान लिए तो बोनस भी मिलेगा. जैसे अगर आपने 7 निवेश किए 4,34,000 रुपये का, तो आपको साल के अंत में मिल जाएगा 9,85,000 रुपये. यानी साल भर में पैसा दोगुने से भी ज्यादा. जरा सोचिए, अगर आपको ऐसे बिजनेस में निवेश का मौका मिले तो आप कैसे खुद को रोकेंगे?
आपको भी ये प्लान सुनने में बहुत ही मजेदार लग रहा होगा, जैसा कि कभी करीब 2.25 लाख लोगों को लगा था. उन्होंने भी इस प्लान में खूब पैसे डाले, लेकिन इस प्लान ने ना सिर्फ इन लोगों के सपने तोड़े, बल्कि समाज में सिर उठाकर चलने लायक भी नहीं छोड़ा. Startup Scam सीरीज में आज हम बात कर रहे हैं बाइक बोट टैक्सी स्कैम (Bike Bot Taxi Scam) की, जिसे अंजाम दिया था बसपा के पूर्व नेता संजय भाटी ने, जो कभी गौतम बुद्ध नगर से लोकसभा प्रभारी रह चुका था. इस स्कैम के तहत करीब 2.25 लाख लोगों के 42000 करोड़ रुपये से भी ठगे गए, जिनमें यूपी, एमपी, राजस्थान और हरियाणा के लोग शामिल थे.
EOW @DelhiPolice arrested CMD Sanjay Bhati & Director Rajesh Bhardwaj of M/S Garvit Innovative Promoters Ltd. They cheated approx 42000 cr from victims of different states on the inducement of good return in a ponzy scheme 'Bike Boat'. @CPDelhi @LtGovDelhi pic.twitter.com/12HMeA1g4S
— Economic Offences Wing, Delhi (@EOWDelhi) September 11, 2020
पहले जानिए क्या था ये स्कैम
ये बात अगस्त 2017 की, जब गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जो 2010 से चल रही थी) बाइक टैक्सी का एक प्लान लेकर आई. आज के वक्त में तो बाइक टैक्सी काफी पॉपुलर हो गई है, लेकिन 2017-18 के दौरान यह बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट था, इसलिए तेजी से लोग उस प्लान से जुड़ने लगे. कंपनी ने अपना प्रचार-प्रसार भी खूब किया, खूब विज्ञापन किए, जिसके चलते बहुत सारा पैसा कंपनी के पास आने लगा. कंपनी की तरफ से भी लोगों को उनके रिटर्न के पैसे दिए जाने लगे, जिसके बाद कंपनी का ये प्लान जंगल में आग की तरह लोगों के बीच फैलने लगा.
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समाज में सिर उठाकर चलना हुआ मुश्किल
कंपनी ने देखा कि लोग एक-दूसरे को प्लान बता रहे हैं और इसके चलते काफी ज्यादा पैसा आ रहा है. इसके बाद कंपनी ने पिरामिड स्कीम शुरू कर दी. इसके तहत अगर आप अपने नीचे कुछ लोगों को जोड़ते हैं तो उनसे आपको कमीशन मिलेगा. जब लोगों को इसके बारे में लोगों को पता चला तो उन्होंने अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को इसमें जोड़ना शुरू कर दिया. नतीजा ये हुआ कि दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से कंपनी में लोगों ने पैसे लगाने शुरू कर दिए. वहीं कंपनी भी हर महीने लोगों को रिटर्न के पैसे देती रही, जिसके लोगों का भरोसा बना रहा और वह इस प्लान को हर किसी को बताने लगे. लेकिन जब ये स्कैम पकड़ा गया तो इस पिरामिड स्कीम से ही लोगों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ. निवेशकों के दोस्तों-रिश्तेदारों ने लोगों को जीना मुश्किल कर दिया, क्योंकि उन्हीं के भरोसे पर पैसे लगाए थे, जो डूब गए. इस स्कीम ने निवेशकों को समाज में सिर उठाकर चलने लायक नहीं छोड़ा.
कैसे किया गया ये स्कैम?
यह एक पोंजी स्कीम थी, जिसके तहत नए निवेशकों से पैसे लिए जा रहे थे और उसी में से कुछ हिस्सा पुराने निवेशकों को दिया जा रहा था. बाइक बोट टैक्सी सर्विस के नाम पर जो निवेश लोगों से लिया जा रहा था, उसका इस्तेमाल बाइक टैक्सी के बिजनेस में हो ही नहीं रहा था. इस स्कैम के तहत लोगों को बस एक बार 62,100 रुपये लगाने होते थे और फिर उसे हर महीने 9765 रुपये मिलने लगते थे. कंपनी का दावा था कि इन पैसों से वह एक बाइक खरीदती थी, जिसे टैक्सी में चलाया जाता था. हालांकि, कंपनी इन पैसों से कोई बाइक नहीं खरीदती थी, बल्कि सिर्फ पैसों की हेरा-फेरी करती थी और लोगों को ठगने का काम कर रही थी.
2 लाख सैनिक भी हुए शिकार
बाइक बोट टैक्सी स्कैम का शिकार सिर्फ आम आदमी ही नहीं हुए, बल्कि करीब 2 लाख सैनिक भी इस स्कैम का शिकार हुए. जब धीरे-धीरे इस स्कैम का पर्दाफाश हुआ तो लोगों ने कंपनी के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराना शुरू कर दिया. नतीजा ये हुआ कि कंपनी के प्रमोटर्स फरार हो गए. धीरे-धीरे बसपा नेता संजय भाटी भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया. इस मामले में पहले ईडी ने जांच की और फिर प्रमोटर्स की करीब 216 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की. उसके बाद सीबीआई ने भी इस मामले में जांच की. सीबीआई की जांच में तो पुलिस की ढिलाई पर भी सवाल खड़े हुए. मामले का मुख्य आरोपी संजय भाटी अभी जेल में है.
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