Wealth Guide: SWP और डिविडेंड पेआउट में से कौन है बेहतर, लंबी अवधि के मुनाफे के लिए यहां करें निवेश
Wealth Guide: SWP या डिविडेंड पेआउट. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किस विकल्प को चुनना रहेगा सही, जानिए एक्सपर्ट की सलाह.
Wealth Guide: बैंगलोर स्थित सेल्स मैनेजर दीपक जब अपनी रिटायरमेंट के करीब आए, तब उन्हें रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करना शुरू किया. दीपक के मुताबिक, वो अपनी एकमुश्त राशि को किसी बेहतरीन फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में लगाना चाहते हैं. अब दीपक, ज्यादा जोखिम उठाने की क्षमता नहीं रखते इसलिए उन्होंने म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने का फैसला लिया. अब दीपक के सामने सवाल पैदा होता है कि म्यूचुअल फंड में पैसा लगाने के लिए क्या उन्हें सिस्टैमेटिक विड्रॉल प्लान (SWP) या डिविडेंड प्लान में किसे चुनना चाहिए. दीपक की तरह ऐसे कई निवेशक हैं, जो रेगुलर और स्टेबल मंथली इनकम के बेहतरीन इंस्ट्रूमेंट में से किसी एक को चुनने का फैसला नहीं ले पाते हैं. लेकिन Bonanza Mutual Fund के प्रोडक्ट हेड प्रणव उप्पल ने निवेशकों के इस सवाल पर जवाब दिया है और बताया कि ज्यादा से ज्यादा पैसा बनाने के लिए कहां निवेश कर सकते हैं.
रेगुलर मंथली इनकम के लिए करें SWP
SWP यानी कि सिस्टैमेटिक विड्रॉल प्लान, म्यूचुअल फंड में निवेश करने का एक विकल्प है, जो निवेशक को उसके म्यूचुअल फंड स्कीम से फिक्स्ड या वेरिएवल अमाउंट विड्रॉ करने की इजाजत देता है. ये विड्रॉ मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना आधार पर हो सकता है.
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कैसे काम करता है SWP?
मान लीजिए निवेशक ने 5 लाख रुपए SWP के जरिए एक 10 रुपए की NAV के साथ निवेश किए. ऐसे में निवेशक को 50000 यूनिट्स मिलेंगी. अगले साल जब निवेशक का पेआउट पीरियड शुरू हो जाएगा, कंपनी आपके अकाउंट में से 175 यूनिट रिडीम कर लेगी, जिसकी वैल्यू होगी 3500 रुपए (NAV के 20 रुपए होने की उम्मीद). इसके बाद निवेशक के अकाउंट में 49825 यूनिट्स बच जाएंगी. कंपनी ये पहले महीने में करेगी.
इसके अगले महीने NAV के अनुमानित 18 रुपए होने पर फंड हाउस 194.44 रिडीम करेगी. इसके बाद निवेशक के अकाउंट में 49630.55 यूनिट बचेगी. ऐसा SWP की अवधि खत्म होने तक चलता रहेगा. ऐसा करने से निवेशक को रुपए की औसत लागत में मदद मिलेगी.
डिविडेंड प्लान से कैसे अलग है SWP?
SWP, SIP से एकदम अलग काम करता है. SIP के जरिए कोई निवेशक रेगुलर बेसिस पर म्यूचुअल फंड में निवेश करता है. SWP के मामले में, म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचकर पैसा बनता है और इसे निवेशक के अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है.
इसके अलावा, हर डिविडेंड पेआउट के बाद NAV (नेट एसेट वैल्यू) डिविडेंड अमाउंट से कम हो जाती है और डिविडेंड पेड अमाउंट से डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को भी घटा दिया जाता है. डिविडेंड प्लान, म्यूचुअल फंड का एक विकल्प है जो डिविडेंड पेआउट भुगतान करने में मदद करता है. ये पेआउट मासिक, तिमाही और सालाना आधार पर होती है. ये डिविडेंड म्यूचुअल फंड स्कीम की ओर से कमाए गए प्रॉफिट के आधार पर बांटा जाता है.
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एक निवेशक के तौर पर ये याद रखना जरूरी है कि डिविडेंड पेआउट की कोई गारंटी नहीं होती और ये बाजार और म्यूचुअल फंड स्कीम पर निर्भर करती है. वहीं SWP के जरिए निवेशक को रेगुलर बेसिस पर पैसा मिलता है.
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक्स में निवेश की सलाह ब्रोकरेज हाउस/एक्सपर्ट द्वारा दी गई है. ये जी बिजनेस के विचार नहीं हैं. निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)
02:48 PM IST