बैंक में लॉकर लेने के लिए करें ये काम, देने होंगे सिर्फ इतने रुपए
कई लोग अपनी कीमती चीजों जैसे ज्वैलरी, डॉक्युमेंट्स (Documents) को सुरक्षित रखने के लिए बैंक में लॉकर (Bank locker) लेते हैं. अगर बैंक में आपका लॉकर होता है तो आपको सामान की कोई टेंशन नहीं रहती है.
सरकारी और निजी बैंक से लॉकर की सुविधा (DNA)
सरकारी और निजी बैंक से लॉकर की सुविधा (DNA)
कई लोग अपनी कीमती चीजों जैसे ज्वैलरी, डॉक्युमेंट्स (Documents) को सुरक्षित रखने के लिए बैंक में लॉकर (Bank locker) लेते हैं. अगर बैंक में आपका लॉकर होता है तो आपको सामान की कोई टेंशन नहीं रहती है. आप अपने सभी सामान को लॉकर में सुरक्षित रख कर कहीं भी घूमने जा सकते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं कि आप बैंक में कैसे लॉकर ले सकते हैं.
18 साल से ऊपर होनी चाहिए उम्र
बैंक लॉकर लेने के लिए आपकी उम्र 18 से ऊपर होनी चाहिए और कुछ बैंक आपसे अपने यहां सेविंग अकाउंट खोलने को भी कह सकते हैं. आप अपनी जरूरत के अनुसार लॉकर चुन सकते हैं. इसके साथ ही लॉकर लेने के लिए नॉमिनेशन या ज्वाइंट ओनरशिप होना जरूरी होता है.
सरकारी और निजी बैंक देते हैं लॉकर की सुविधा
हमारे देश में इस समय सरकारी और निजी बैंक ग्राहकों को लॉकर की सुविधा देते हैं. अगर आपका किसी सरकारी बैंक में खाता है तो आप सेम ब्रांच या फिर किसी अन्य ब्रांच में जाकर भी लॉकर के लिए अप्लाई कर सकते हैं. ग्राहक बैंक की किसी भी शाखा से संपर्क कर सकते हैं. लॉकर की संख्या लिमिटेड होने के कारण बैंक आसानी से लॉकर नहीं देते हैं. कई बार तो बैंक सीधे इसके लिए मना कर देते हैं, लेकिन कई बार बैंक वेटिंग पीरियड भी दे देते हैं. वेटिंग पीरियड ज्यादातर सरकारी बैंकों में है.
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देती होती है सालान फीस
बैंक में लॉकर लेने के बाद आपको हर साल कुछ राशि फीस के रूप में देनी होती है. यह फीस एक साल में एक ही बार ली जाती है. फीस की रकम लॉकर के साइज पर निर्भर करती है. बड़े लॉकर के लिए आपको ज्यादा फीस देनी होती है. छोटे लॉकर के लिए बड़े की तुलना में कम फीस देनी होती है.
हो सकती है इतनी फीस
सरकारी बैंक एक लॉकर के लिए सालाना लगभग 1,000 से 7,000 रुपए के बीच में फीस लेते हैं. इसके अलावा निजी बैंक सालाना 3000 से 20,000 के बीच में फीस लेते हैं. फीस बैंक के अनुसार कम या ज्यादा भी हो सकती है. यह एक अनुमातिम फीस है.
दो चाबियां होती है
बैंक लॉकर को ऑपरेट करने के लिए पास दो चाबियां होती हैं, जिसमें से एक चाबी बैंक के पास रहती है और दूसरी चाबी ग्राहक के पास रहती है. बैंक आपकी अनुपस्थिति में लॉकर को न तो खोल सकता है और न ही किसी और को खोलने की परमिशन दे सकता है. बता दें कि दोनों चाबियां लगने के बाद ही लॉकर खुलता है. इसका मतलब यह है कि ग्राहक जब भी लॉकर ऑपरेट करना चाहेगा, उसे इसकी जानकारी ब्रांच (बैंक) को देनी होगी.
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तय होती है समय सीमा
साल में आप कितनी बार लॉकर आपरेट करेंगे, इसकी भी सीमा तय है. यह सीमा बैंक के हिसाब से अलग-अलग है. ज्वाइंट नाम से लॉकर खोलना फायदेमंद है. इससे जिन दो लोगों के नाम से लॉकर खुला है, उनमें से कोई एक इसे ऑपरेट कर सकता है.
01:46 PM IST