लिक्विड म्युचुअल फंडों का भी होगा लॉक-इन पीरियड! Sebi करने जा रहा है ये बड़ा बदलाव
बाजार नियामक Sebi ‘लिक्विड’ यानी लिक्विड म्युचुअल फंडों के लिए नियम कड़े कर सकता है और निवेश को एक न्यूनतम समय तक उसमें बनाए रखने की समय सीमा तय कर सकता है.
Sebi कड़े कर सकता है लिक्विड फंडों में निवेश के नियम (फोटो : DNA)
Sebi कड़े कर सकता है लिक्विड फंडों में निवेश के नियम (फोटो : DNA)
बाजार नियामक Sebi ‘लिक्विड’ यानी लिक्विड म्युचुअल फंडों के लिए नियम कड़े कर सकता है और निवेश को एक न्यूनतम समय तक उसमें बनाए रखने की समय सीमा तय कर सकता है. वरिष्ठ अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) के चूक के बाद गैर-बैंकिंग बीमा कंपनियों के सामने नकदी की कमी के बीच यह बात सामने आई है.
अधिकारियों ने कहा कि सेबी ‘लिक्विंड फंड’ म्युचुअल फंड योजजनाओं में निवेशक को बनाए रखने की एक न्यूनतम अवधि की सीमा लागू कर सकता है. ऐसी योजनाओं के तहत निवेशकों का पैसा सरकार के ट्रेजरी बिलों और ऐसी दूसरी सरकारी प्रतिभूतियों में लगाया जाता है जहां निवेश पर जोखिम बहुत कम होता है और इन प्रतिभूतियों का एक हाजिर बाजार हर समय उपलब्ध होता है.
उन्होंने कहा कि विनियामक ‘लिक्विड फंड’ के लिए कम समय के ‘लॉक-इन’ (यानी निवेश को योजना में बनाए रखने की) अवधि तय करने के साथ प्रतिभूतियों को लिक्विड (तत्काल भुनाने योग्य) प्रतिभूतियों और ‘चूक’ तथा ‘नॉन-लिक्विड श्रेणी की प्रतिभूतियों में बांट सकता है जिनको बाजार में भुनाने में मुश्किल होती है.
TRENDING NOW
इसके अलावा सेबी लिक्विड फंड के लिए उन सभी बॉन्ड के मामले में ‘मार्क टू मार्केट वैल्यू’ अनिवार्य करने पर गौर कर रहा है जिसका मैच्योरिटी पीरियड 30 दिन है. मार्क टू मार्केट वैल्यू’ से आशय संपत्ति के वर्तमान मूल्य को आधार बनाया जाता है. फिलहाल 60 दिन या उससे अधिक अवधि की प्रतिभूतियों को ‘मार्क टू मार्केट वैल्यू’ के तहत रखा जाता है.
अधिकारियों के अनुसार Sebi द्वारा नियुक्त म्युचुअल फंड (एमएफ) परामर्श समिति की सोमवार को बैठक में इन कदमों पर चर्चा की उम्मीद है. उसके बाद नियामक अंतिम नियमन लाने से पहले परामर्श पत्र जारी कर सकता है.
06:31 PM IST