महंगाई से बचने का सही 'निवेश' है बड़ा हथियार, बस कमाई ही दिखाएगी दम
इक्विटी को इन्वेस्टमेंट प्लानिंग का हिस्सा बनाएं, क्योंकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना बेहतर होता है.
जरूरी है कि आप ऐसी जगह निवेश करें, जहां आपको महंगाई (Inflation) को मात देने वाला रिटर्न मिले.
जरूरी है कि आप ऐसी जगह निवेश करें, जहां आपको महंगाई (Inflation) को मात देने वाला रिटर्न मिले.
आसमान छूती महंगाई (Inflation) के सामने आम आदमी की कमाई अक्सर हार जाती है. कई बार हमारी बचत भी काफी नहीं होती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप ऐसी जगह निवेश करें, जहां आपको महंगाई (Inflation) को मात देने वाला रिटर्न मिलें. जरूरी है कि आप ऐसा निवेश करें जो आपको रिटर्न दिलाए महंगाई मार के.
मनी गुरु (Money Guru) में हम आपको बताने वाले हैं उन इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में, जहां आपको रियल रिटर्न मिलेगा और बताएंगे कि कैसे आप भविष्य के अपने लक्ष्यों को आज इंफ्लेशन प्रूफ कर सकते हैं.
रियल रेट ऑफ रिटर्न
आनंदराठी वेल्थ मैनेजमेंट के डिप्टी CEO फिरोज अजीज महंगाई को मात देने के लिए रियल रेट ऑफ रिटर्न के फार्मूले पर बात करते हैं. उनके मुताबिक, महंगाई एडजस्ट करने के बाद रियल रिटर्न मिलता है. अगर आज आपने 100 रुपये का निवेश किया, 1 साल बाद आपको 110 रुपये मिलते हैं. आज 100 रुपये की चीज 1 साल बाद 108 रुपये की हो जाती है. ऐसे में आपका रियल रियल रेट ऑफ रिटर्न 2% होगा.
TRENDING NOW
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
Intraday में बनेगा तगड़ा पैसा! पोर्टफोलियो में रख लें ये 5 शेयर, एक्सपर्ट ने बताया टारगेट और स्टॉप लॉस
महंगाई के आंकड़े
महंगाई दर (Inflation Rate) फिर से 4% के ऊपर पहुंची है. अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर 4.62% रही. सितंबर में यह दर 3.99% दर्ज की गई थी. पिछले साल अक्टूबर में खुदरा महंगाई 3.38% रही थी.
LIVE | निवेश करें, फिजूलखर्ची से बचके जरा! #MoneyGuru में जानें मौजूदा कमाई में कैसे बनाएं घर का बजट? https://t.co/IvIvQN3S2S
— Zee Business (@ZeeBusiness) November 20, 2019
महंगाई को करें कैलकुलेट
व्यक्तिगत स्तर पर खर्च साल-दर-साल काफी तेजी से बढ़ते हैं. हमारे खर्चों में हर साल 10-12% की दर से बढ़ोतरी होती है. मेडिकल और शिक्षा का खर्च भी हर साल बढ़ रहा है. ऐसे में जब भी लंबी अवधि के लक्ष्य तय करें तो औसत महंगाई की गणना 8-10% के बीच करनी चाहिए.
महंगाई को मात देगा FD
फिक्स्ड डिपॉजिट में रिटर्न बहुत कम होते हैं. FD पर ब्याज दरों में लगातार कटौती हो रही है. पोस्ट टैक्स रिटर्न भी बेहतर नहीं होता है. इसलिए महंगाई को मात देने में फिक्स्ड डिपॉजिट कारगर नहीं है.
डेट फंड
फिक्स्ड डिपॉजिट के बजाय डेट फंड बेहतर विकल्प हैं.
डेट म्यूचुअल फंड का डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश होता है.
बॉन्ड, डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज आदि डेट इंस्ट्रूमेंट कहलाते हैं.
डिपॉजिट सर्टिफिकेट, कमर्शियल पेपर भी डेट इंस्ट्रूमेंट होते हैं.
अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों के लिए अलग-अलग डेट फंड होते हैं.
फिक्स्ड डिपॉजिट से बेहतर रिटर्न देने की क्षमता है.
टैक्स के मोर्चे पर भी FD से बेहतर, इंडेक्सेशन बेनेफिट मिलता है.
इक्विटी
इक्विटी को इन्वेस्टमेंट प्लानिंग का हिस्सा बनाएं, क्योंकि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना बेहतर होता है. इक्विटी में लंबी अवधि के लिए निवेश करें. लंबी अवधि में 12-15% रिटर्न मिल सकता है. बच्चों की पढ़ाई, शादी जैसे लक्ष्यों के लिए इक्विटी बेहतर होते हैं.
इक्विटी में कैसे करें निवेश?
इक्विटी में निवेश जोखिम क्षमता के मुताबिक करें.
कम जोखिम तो लार्ज कैप में ज्यादा एक्सपोजर रखें.
मोडरेट इन्वेस्टर हैं तो लार्ज और मिड कैप फंड बेहतर.
एग्रेसिव इन्वेस्टर हैं तो मिड कैप में एक्सपोजर बढ़ाएं.
गोल्ड
गोल्ड महंगाई के खिलाफ हेज का काम करता है. लंबी अवधि में अगर महंगाई 6% की दर से बढ़ी है तो गोल्ड की बजाय इक्विटी/डेट में निवेश ज्यादा बेहतर होता है. इक्विटी और डेट फंड 6% से ज्यादा रिटर्न देने में सक्षम होते हैं.
इंटरनेशनल फंड
अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक्सपोजर मिलता है.
ऐप्पल, फेसबुक, गूगल जैसी कंपनियों में एक्सपोजर.
भारत में लिस्टेड न होने वाली कंपनियों में निवेश.
लंबी अवधि में इंटरनेशनल फंड का प्रदर्शन अच्छा नहीं.
लंबी अवधि में घरेलू फंड्स ने दिया है बेहतर रिटर्न .
रेंटल इनकम
किराये से आमदनी कुछ हद तक महंगाई की मार को कम करने में मदद कर सकती है. इसलिए बढ़ती महंगाई के अनुसार किराये में बढ़ोतरी करें.
लोन रीपेमेंट
लोन रीपेमेंट करने से पहले हिसाब लगाएं. देखें कि निवेश से ज्यादा फायदा या रीपेमेंट से. मान लीजिए आपका लोन 1 करोड़ रुपये का है. हाउस प्रॉपर्टी से लॉस 2 लाख रुपये है. 10 साल का लोन है 9% की ब्याज के हिसाब से. पोस्ट टैक्स आपका ब्याज 8% होगा. निवेश में 8% से ज्यादा मिल रहा है तो ऐसे में लोन रीपेमेंट करना बेहतर नहीं है.
डायवर्सिफिकेशन और महंगाई
पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन होना बेहद जरूरी.
डायवर्सिफिकेशन जोखिम कम करने में करता है मदद.
डायवर्सिफिकेशन का मतलब अलग-अलग जगह निवेश.
अलग-अलग असेट क्लास में निवेश है डायवर्सिफिकेशन.
एक का प्रदर्शन खराब तो दूसरे का प्रदर्शन देगा सहारा.
09:11 PM IST