क़िस्सा-ए-कंज़्यूमर: गलत फंस गया ATM कार्ड का 'शिकारी'
ऑनलाइन शॉपिंग तो करते ही होंगे आप. आपने ये भी देखा होगा कि उसमें पेमेंट के लिए अपने डेबिट कार्ड की डीटेल डालनी होती है. मसलन- मास्टर कार्ड है या वीजा कार्ड, कार्ड का नंबर, वैलिडिटी डेट और सीवीवी नंबर वगैरह.
किसी अनजान वेबसाइट पर कार्ड डीटेल नहीं भरनी है.
किसी अनजान वेबसाइट पर कार्ड डीटेल नहीं भरनी है.
भाई कॉन्फिडेंस गजब था बंदे में. ''हां जी नमस्कार, मैं येटीयेम कार्ड डिपाटमेंट से बोल रहा हूं बेंक मनेजर, आपका येटीयेम कार्ड ब्लोक हो गया है, चालू करना है कि बंद रखना है?'' मैं तो उसका लहजा सुनते ही असलियत समझ गया था, फिर भी अंजान बनकर बोला "चालू करवाना है भाई, बंद कैसे हो गया !?"
''हां सर, आपका केवाईसी रिजेक्ट हो गया है इसलिए ब्लोक हो गया है, आप लाइन पर रहिए, मैं अभी चालू करा देता हूं, येटीयेम कार्ड है आपके पास अभी?''
"हां, है"
"हां जी, उसको अपने हाथ में लीजिये, अभी चालू कर देंगे आपका येटीयेम"
"ठीक है, लेकिन कौन-से बैंक वाला निकालूं? किस बैंक से बोल रहे हैं आप?"
"आप एक मिनट निकालिये ना सर, कौन बेंक का येटीयेम मिला है आपको?"
"अरे भाई, ये तो आप बताएंगे ना? किस बैंक से बात कर रहे हैं आप?''
''सर, हम हेड ओफिस से बोल रहे हैं जहां से सब बेंक का येटीयेम चालू किया जाता है''
"कौन-कौन से बैंक का?"
इसके बाद वो एक सांस में एसबीआई, पीएनबी समेत दसियों बैंकों का नाम ऐसे बोल गया जैसे ढाबे वाला छोटू सब्जियों के नाम बताता है. मैंने जताया कि मुझे उसकी बात पर यकीन हो गया है. इसके बाद क्या हुआ? उसने मुझसे क्या-क्या पूछा और ये सब जानकर वो क्या करने वाला था, ये सब जानने से पहले एक जरूरी सवाल- अपने ATM कार्ड को कितना जानते हैं आप?
ATM कार्ड की महिमा अपरंपार है
क्या आप भी उन मासूम लोगों में हैं जो मानते हैं कि अगर हमने अपना OTP और pin किसी से शेयर नहीं किया है तो हमारा खाता पूरी तरह सुरक्षित है? हमारे पैसे को कोई हाथ नहीं लगा सकता? मानते हैं तो कोई हैरानी की बात नहीं है क्योंकि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए आमतौर पर हमारे रजिस्टर्ड मोबाइल पर OTP आताहै और एटीएम से पैसे निकालने हैं तो pin की जरूरत होती है. इसलिए ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि किसी को उनका कार्ड भी मिल गया तो बिना OTP और pin के वो कुछ नहीं बिगाड़ सकता. लेकिन हकीकत ये है कि बिना OTP और pin जाने भी कोई आपका बैंक खाता साफ कर सकता है. सिर्फ आपके डेबिट कार्ड पर लिखी डीटेल जानकर? आप पूछेंगे कैसे? बताता हूं लेकिन पहले वो छूटी हुई बातचीत तो पूरी सुन लें.
पोल खुलते ही रफूचक्कर हो गया
''मेरा एसबीआई का एटीएम है, बताइये क्या करना है?''
''आप निकालिए, अभी दो मिनट के अंदर रेनुअल हो जाएगा, आपके मोबाइल पर बेंक से मैसेज भी जाएगा. कार्ड के ऊपर जो 4-4 अंक करके 16 अंक का नंबर है वो नंबर बोलिये''
मैंने कुछ गलत-सलत नंबर बता दिया और खुद भी नोट कर लिया ताकि वो दोबारा पूछे तो वही नंबर बता सकूं.
''अब देखिए, उस पर महीना और साल में डेट होगा, भैलिडथ्रू डेट, वो बताइये''
मैंने वो भी कुछ गलत सा बता दिया.
''अब कार्ड के पीछे साइड में देखिए, काली पट्टी के नीचे सफेद पट्टी पर 3 अंक का या 7 अंक का नंबर होगा, वो बताइये''
यानी अब वो मेरे डेबिट कार्ड का cvv नंबर पूछ रहा था. मैंने थोड़ा गियर चेंज किया.
"भाई हमने तो सुना है कि ये नंबर किसी को नहीं देते हैं, ये क्यों पूछ रहे हैं आप?''
"सर हम कोई कोनफिडेंसियल जनकारी नहीं पूछ रहे हैं, आपका ओटीपी और पिन नहीं पूछ रहे हैं. ये तो बस रेनुअल के लिए जरूरी है. आप वो नंबर बताइये ना, कोई पोरोबलम नहीं होगा."
उसने मुझे कनविंस करने की काफी कोशिश की. ‘मेरे सीनियर से बात कीजिए’ बोलकर अपने एक और साथी से बात कराई. लेकिन मैं खेल खत्म करने का मूड बना चुका था. मैंने उसके ऑफिस का एड्रेस मांगा, वो अनाकानी करने लगा. मैंने उसको बताया कि तुम्हारे जैसे जालसाजों को मैं अच्छी तरह पहचानता हूं, तुम जो कर रहे हो वो ठीक नहीं है. आखिरकार मुर्गा फंसता हुआ न देख उसने फोन काट दिया और नंबर भी बंद कर दिया. लेकिन सवाल ये है कि वो करना क्या चाहता था?
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ATM कार्ड वाला फ्रॉड आखिर होता कैसे है?
ऑनलाइन शॉपिंग तो करते ही होंगे आप. आपने ये भी देखा होगा कि उसमें पेमेंट के लिए अपने डेबिट कार्ड की डीटेल डालनी होती है. मसलन- मास्टर कार्ड है या वीजा कार्ड, कार्ड का नंबर, वैलिडिटी डेट और सीवीवी नंबर वगैरह. इसके बाद क्या होता है? जब आप कुछ शॉपिंग करते हैं, ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो आपके रजिस्टर्ड मोबाइल पर OTP आता है. वो OTP डालने के बाद शॉपिंग पूरी हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये प्रॉसेस हर शॉपिंग वेबसाइट पर फॉलो नहीं होता. बहुत सारी ऐसी इंटरनेशनल शॉपिंग वेबसाइट्स हैं जहां सिर्फ डेबिट या क्रेडिट कार्ड की डीटेल डालकर शॉपिंग की जा सकती है. जी हां, वहां OTP की जरूरत नहीं होती.
मिसाल के तौर पर alibaba.com, vova.com, gearbest.com, aliexpress.com ये सिर्फ कुछ नाम हैं जहां से बिना OTP के शॉपिंग की जा सकती है. तो ये जो आपको कभी कार्ड ब्लॉक होने का झांसा देकर, कभी नया सुरक्षित कार्ड प्रोवाइड करने के नाम पर और कभी कुछ बोनस प्वाइंट रिडीम करने का लालच देकर आपकी कार्ड डीटेल पूछते हैं वो आपकी कार्ड डीटेल डालकर ऐसी ही किसी साइट से शॉपिंग कर डालते हैं. और आपके पास आता है सिर्फ आपके खाते से पैसे कटने का मैसेज. एक के बाद एक. कई बार. और आप हैरान और बेबस देखते रह जाते हैं. अब ये भी जान लीजिए कि सामान की जगह अगर उसको पैसे चाहिए तो वो क्या करता है. आपके कार्ड से शॉपिंग करने के बाद वो ऑर्डर कैंसिल करता है, अब वेबसाइट उससे पूछती है कि रिफंड उसी कार्ड से जुड़े खाते में चाहिए जिसकी डीटेल डाली है या फिर किसी और खाते में? यहां पर वो किसी और खाते का ऑप्शन चुनता है और अपनी कार्ड डीटेल या किसी दूसरे वैलेट का पता डाल देता है. रिफंड के पैसे उसे वहां मिल जाते हैं.
तो आखिर सबक क्या है?
सबक सिर्फ इतना है कि किसी भी हालत में किसी अनजान आदमी को अपनी कार्ड डीटेल न बताएं. कई बार हम किसी भरोसेमंद को अपना डेबिट कार्ड देकर पैसे निकालने को कह देते हैं, ये सोचकर कि बाद में पिन बदल लूंगा, ये भी मत कीजिए. किसी अनजान वेबसाइट पर कार्ड डीटेल नहीं भरनी है. जानी मानी वेबसाइट्स की प्रॉक्सी वेबसाइट यानी असली सी दिखने वाली नकली वेबसाइट से भी सावधान रहना है. एक बात और, ज्यादातर डेबिट कार्ड में इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन का विकल्प एक्टिवेटेड होता है, सुरक्षित यही रहेगा कि जरूरत न हो तो आप उसको डी-एक्टिवेट करा लें.
अगर फ्रॉड हो ही गया तो?
पहला काम- बैंक को फोन करके कार्ड ब्लॉक कराइए, साथ ही बैंक को बताइये कि आपके कार्ड से फ्रॉड हुआ है, उसकी शिकायत दर्ज कर लें. आरबीआई कहता है कि बैंक को ये जानकारी देने के बाद अगर कोई संदिग्ध ट्रांजैक्शन हुआ तो जिम्मेदारी बैंक की होगी. इसके बाद बैंक और साइबर सेल को एक ई-मेल कीजिए जिसमें ट्रांजैक्शन की पूरी डीटेल हो, जैसे कि अकाउंट नंबर, कब पैसे निकले, कितने निकले, ट्रांजैक्शन नंबर क्या है, आपका कॉन्टैक्ट नंबर, आईडेंटिटी प्रूफ, ऐड्रेस प्रूफ और बैंक का अकाउंट स्टेटमेंट. ये ई-मेल जितने भी मोबाइल वैलेट और दूसरे पेमेंट गेटवे आप जानते हैं उनको भी कर दीजिए ताकि वो आपके कार्ड से हुए ट्रांजैक्शन का पैसा ब्लॉक कर सकें. साथ ही थाने में एफआईआर या शिकायत दर्ज करा दीजिए और उसकी कॉपी अपने बैंक में भी जमा करा दीजिए. अगर आपने इतनी मेहनत कर डाली तो बहुत मुमकिन है कि आपका गया हुआ पैसा वापस मिल जाए.
(लेखक ज़ी बिज़नेस डिजिटल से जुड़े हैं)
05:14 PM IST