क़िस्सा-ए-कंज़्यूमर: हेयर क्रीम से नहीं बढ़े बाल, विज्ञापन करने वाले एक्टर के लिए कानूनी बवाल
वो विज्ञापन जिसमें जाने माने फिल्म सेलिब्रिटी अनूप मेनन बता रहे थे कि कैसे एक क्रीम इस्तेमाल करने से सिर्फ 6 महीन में काले घने बाल आ जाते हैं. आम आदमी पर रुपहले विज्ञापन असर कर ही जाते हैं. तो फ्रांसिस वडक्कन पर भी विज्ञापन का असर हुआ.
साउथ के एक सुपरस्टार हैं- अनूप मेनन. ऐक्टर, डायरेक्टर, स्क्रीनराइटर, गीतकार वगैरह. कुल मिलाकर बड़े सेलिब्रिटी हैं. (Zeebiz)
साउथ के एक सुपरस्टार हैं- अनूप मेनन. ऐक्टर, डायरेक्टर, स्क्रीनराइटर, गीतकार वगैरह. कुल मिलाकर बड़े सेलिब्रिटी हैं. (Zeebiz)
साउथ के एक सुपरस्टार हैं- अनूप मेनन. ऐक्टर, डायरेक्टर, स्क्रीनराइटर, गीतकार वगैरह. कुल मिलाकर बड़े सेलिब्रिटी हैं. और जैसा कि बड़े सेलिब्रिटी करते हैं, वो भी विज्ञापन करते हैं. तो अनूप मेनन ने एक विज्ञापन किया. बालों वाली क्रीम का विज्ञापन. लेकिन उन्हें अंदाजा नहीं था कि वही विज्ञापन एक दिन उन्हें कानून की नजर में गुनहगार बना देगा. वही क्रीम एक दिन उन्हें हर्जाना भरने के लिए मजबूर कर देगी. किस्सा है केरल के त्रिशूर जिले का. अनूप मेनन भले ही मलयाली फिल्मों के हीरो हैं लेकिन इस क़िस्से के हीरो हैं फ्रांसिस वडक्कन, एक आम कंज्यूमर.
बाल वाला ‘धोखा’ और कंज्यूमर का गुस्सा
तो कहानी शुरू हुई करीब 8 साल पहले जब फ्रांसिस वडक्कन की नजर पड़ी एक विज्ञापन पर. वो विज्ञापन जिसमें जाने माने फिल्म सेलिब्रिटी अनूप मेनन बता रहे थे कि कैसे एक क्रीम इस्तेमाल करने से सिर्फ 6 महीन में काले घने बाल आ जाते हैं. आम आदमी पर रुपहले विज्ञापन असर कर ही जाते हैं. तो फ्रांसिस वडक्कन पर भी विज्ञापन का असर हुआ. ये बात है जनवरी 2012 की. एक मेडिकल स्टोर से फ्रांसिस वडक्कन विज्ञापन में दिख रही ‘धात्री हेयर क्रीम’ खरीद लाए, 376 रुपए में. बड़ी उम्मीद के साथ उन्होंने क्रीम का इस्तेमाल शुरू किया लेकिन बालों में कोई फर्क नहीं दिखा. काफी दिन गुजर गए इसी उम्मीद में कि कुछ तो असर होगा लेकिन नतीजे सिफर रहे. इस बीच ऐसा भी हुआ कि दोस्तों और परिवार वालों ने क्रीम को लेकर उनकी चुटकी ले ली. इसी सब से खफा होकर फ्रांसिस वडक्कन डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर रिड्रेसल फोरम पहुंच गए. सेवा में खामी का आरोप लगाते हुए उन्होंने क्रीम बनाने वाली कंपनी पर 5 लाख रुपए का दावा ठोक दिया.
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खुद लगाते थे घर का तेल, जनता को बेच रहे थे क्रीम
मुकदमा चला तो क्रीम के मैन्यूफैक्चरर ‘धात्री आयुर्वेद प्राइवेट लिमिटेड’ को तलब किया गया. दिलचस्प बात ये है कि निर्माता कंपनी के साथ ही विज्ञापन करने वाले अभिनेता अनूप मेनन को भी हाजिर होने को कहा गया. अब मजेदार बात देखिए. अनूप मेनन ने अदालत के सामने कबूल किया कि उन्होंने उस क्रीम का इस्तेमाल कभी किया ही नहीं. वो तो अपने बालों के लिए सिर्फ वो तेल इस्तेमाल करते हैं जो उनकी माता जी खास तौर पर उनके लिए बनाती हैं. उन्हें तो पता भी नहीं कि विज्ञापन में क्या-क्या कहा गया है क्योंकि उनके मुताबिक वो सारी कहानी तो क्रीम कंपनी की बनाई हुई थी. यानी एक बात शीशे की तरह साफ हो गई, मिस्टर ब्रांड एंबेसडर ने प्रोडक्ट को खुद इस्तेमाल नहीं किया, कंज्यूमर से कह दिया विश्वास करो. कोर्ट ने यही बात पकड़ ली कि आपने कि प्रोडक्ट का असर जांचे बगैर उसके बारे में दावे कैसे कर दिए. कोर्ट ने उन्हें वो डायलॉग याद दिलाया जो वो विज्ञापन में बोलते थे- ‘बाल लंबे होने की गारंटी. सिर्फ 6 महीने में तीन गुना रिजल्ट!’
हमारा विज्ञापन प्रेम और उनका ‘कंडीशंस अप्लाई’ वाला गेम
अदालत में ये तो साफ हो ही गया कि मैन्यूफैक्चरर और ब्रांड एंबेसडर ने प्रोडक्ट को लेकर जो वादा किया था वो पूरा नहीं हुआ. अदालत ने ये भी देखा कि प्रोडक्ट के ब्रोशर पर जो सावधानियां लिखी थीं उन्हें मैग्नीफाइंग ग्लास से भी पढ़ पाना मुश्किल था. कोर्ट ने कहा- ‘अगर विज्ञापन नहीं होते तो चीजों के दाम भी कम होते. इस तरह कंज्यूमर के काफी पैसे भी बचते. असल में विज्ञापन एक चाल है जो लोगों में उपभोग की इच्छा बढ़ाती है. ऐसी चाल जिसके चक्कर में लोग गैरजरूरी चीजें खरीदते रहते हैं.’ कोर्ट ने मीडिया को भी आईना दिखाया. अदालत ने कहा – ‘विज्ञापन का मकसद होना चाहिए कंज्यूमर को जागरूक करना ताकि वो सही प्रोडक्ट चुनें और घटिया चीजों से दूर रहें. लेकिन मीडिया और अखबार अपना फर्ज भूल गए हैं, वो विज्ञापन दाताओं के लिए सिर्फ पब्लिशर का काम कर रहे हैं.’
आदतन तुमने कर लिए वादे, आदतन हमने ऐतबार किया
सारे सबूतों को देखते हुए कोर्ट ने अभिनेता अनूप मेनन को चेतावनी दी कि किसी प्रोडक्ट की विश्वनीयता खुद चेक करने के बाद ही उसका विज्ञापन करें. कोर्ट ने उन्हें और क्रीम बनाने वाली कंपनी दोनों को आदेश दिया कि वो 10-10 हजार रुपए का मुआवजा भरें. इतना ही नहीं कोर्ट ने ए-वन मेडिकल नाम के उस स्टोर पर भी 3 हजार रुपए का हर्जाना ठोका जहां से वो क्रीम खरीदी गई थी. हालांकि जब ये शिकायत दर्ज हुई थी तब कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट में ब्रांड एंबेसडर को दोषी मानने का प्रावधान नहीं था, लेकिन अपने विस्तृत आदेश में कोर्ट ने सेलिब्रिटी को भी जिम्मेदार माना. आप जानते ही हैं कि हाल में पास हुए कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 में विज्ञापन करने वाले सेलिब्रिटीज को भी जिम्मेदार बनाने के लिए अलग से प्रावधान हैं. लेकिन ये कहानी अपने आप में सबक देती है कि विज्ञापन में दिख रहे सितारों के हाथ में दिख रहे प्रोडक्ट्स की असलियत क्या हो सकती है. लेकिन हम क्या करेंगे. हम पर तो शायद अतहर नफ़ीस का वो शेर फिट बैठता है कि- ऐ मुझको फरेब देने वाले
मैं तुझपे यकीन कर चुका हूं...
(लेखक ज़ी बिज़नेस हिन्दी डिजिटल के ए़डिटर हैं)
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07:33 PM IST