अचानक कर्ज की पड़ गई जरूरत? जान लीजिए आप सेक्योर्ड लोन ले रहे हैं या अनसेक्योर्ड, क्या है इनमें अंतर
Secured and Unsecured Loan: आमतौर पर बैंकिंग सिस्टम में दो तरह के लोन जारी किए जाते हैं. पहला, सेक्योर्ड लोन और दूसरा अनसेक्योर्ड लोन. लोन अप्लाई करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप किस तरह का लोन ले रहे हैं और उसके नफा-नुकसान क्या हैं.
(Representational image)
(Representational image)
Secured and Unsecured Loan: अगले कुछ हफ्तों में त्योहारी सीजन शुरू होने वाले हैं. त्योहारों पर खर्च, निवेश या फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स को लेकर कई तरह के प्लान होते हैं. आमतौर पर यह देखा जाता है कि त्योहारी खर्चों के लिए लोगों को कर्ज भी लेना पड़ जाता है. लोन एक ऐसी लॉयबिलिटी है, जिसके बारे में यही कहा जाता है कि न लो तो बेहतर है, या जितना कम से कम हो, उतना ही लोन लेना चाहिए. आमतौर पर बैंकिंग सिस्टम में दो तरह के लोन जारी किए जाते हैं. पहला, सेक्योर्ड लोन और दूसरा अनसेक्योर्ड लोन. लोन अप्लाई करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आप किस तरह का लोन ले रहे हैं और उसके नफा-नुकसान क्या हैं.
सेक्योर्ड लोन (secured loan)
सेक्योर्ड लोन यानी सुरक्षित कर्ज. सेक्योर्ड लोन में बैंक किसी संपत्ति को मॉर्गेज (गिरवी) रखकर लोन देता है. सेक्योर्ड लोन में कस्टमर को हमेशा बैंक को किसी गारंटी या संपत्ति (Asset) देनी होती है. जैसे अगर आपने घर खरीदने के लिए होम लोन लिया है, तो मकान के कागजात पर बैंक का अधिकार तब तक रहेगा, जब तक कि आप सारा होम लोन चुका न दे.
सेक्योर्ड में कोलेटरल या सिक्युरिटी के लिए फिजिकल और फाइनेंशियल दोनों तरह के एसेट का इस्तेमाल कर सकते हैं. फिजिकल एसेट में गोल्ड, मकान, कार जैसे एसेट आते हैं. वहीं, फाइनेंशियल एसेट में इक्विटी शेयर, एफडी, म्यूचुअल फंड, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी शामिल हैं. सेक्योर्ड लोन चूंकि आपकी संपत्ति प्रॉपर्टी पर दिया जाता है इससे बैंक का पैसा सुरक्षित हो जाता है. बैंक को भरोसा हो जाता है कि अगर आपने पैसा नहीं दिया तो आपकी संपत्ति बेचकर वह रिकवरी कर लेगा. इसलिए इसमें ब्याज दर कम होती है. इसका नुकसान यह है कि अगर आपने लोन रिपेमेंट नहीं किया तो, बैंक आपकी एसेट बेचकर अपने पैसे की रिकवरी करता है.
अनसेक्योर्ड लोन (Unsecured Loan)
TRENDING NOW
अनसेक्योर्ड लोन यानी असुरक्षित कर्ज. जब कोई लोन बिना किसी गारंटी के दिया जाता है, तो वह अनसेक्योर्ड लोन होता है. इस लोन में कस्टमर से किसी तरह की गारंटी या कोलेटरल नहीं किया जाता है. बैंक अनसेक्योर्ड लोन कस्टमर की क्रेडिट हिस्ट्री और क्रेडिट स्कोर देखकर देते हैं. इसमें बैंक कस्टमर की पिछली रिपेमेंट हिस्ट्री, इनकम सोर्स, छह महीने की सैलरी स्लिप या इनकम टैक्स रिटर्न जैसे फैक्ट्स देखता है और इसी आधार पर लोन मंजूर करता है. अनसेक्योर्ड लोन में सिक्योर्ड लोन के मुकाबले ब्याज दर ज्यादा होती है और इनका रिपेमेंट टेन्योर यानी लोन चुकाने का समय कम रहता है.
पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन, इंस्टेंट लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और बिजनेस लोन अनसेक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. अनसेक्योर्ड लोन में बैंक कस्टमर से कोई गारंटी नहीं लेता है. इसमें अगर कस्टमर लोन नहीं चुका पता है, बैंक को इसमें नुकसान पड़ता है. ऐसे मामले अक्सर कोर्ट में चले जाते हैं. हालांकि, अनसेक्योर्ड लोन नहीं चुकाने से कस्टमर का सिबिल स्कोर खराब हो जाता है. जिससे भविष्य में आपको लोन मिलने में बहुत दिक्कत होगी.
सेक्योड-अनसेक्योर्ड लोन में समझें अंतर
- सेक्योर्ड लोन की ब्याज दरें आमतौर पर कम रहती है. वहीं, अनसेक्योर्ड लोन के लिए कस्टमर को ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है.
- सेक्योर्ड लोन मंजूर होने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि बैंक गिरवी रखी जाने वाली एसेट की वैल्युएशन करते हैं. वहीं, अनसेक्योर्ड लोन बहुत जल्दी मंजूर हो जाता है.
- कम क्रेडिट स्कोर पर भी सेक्योर्ड लोन मिल जाता है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन के लिए सिबिल स्कोर मजबूत होना चाहिए.
- सेक्योर्ड लोन में अमाउंट अमूमन कोलेटरल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर निर्भर करता है. जबकि, अनसेक्योर्ड लोन में अमाउंट कस्टमर की इनकम और रिपेमेंट कैपेसिटी पर तय होता है.
- सेक्योर्ड लोन लंबी अवधि के लिए दिए जाते हैं, जबकि अनसेक्योर्ड लोन का टेन्योर कम रहता है.
(नोट: यह जानकारी बैंकों की ऑफिशियल वेबसाइट के ब्लॉग्स से ली गई है.)
09:59 AM IST