बच्चों के नाम निवेश करने से पहले जान लें नए नियम, SEBI ने किया बड़ा बदलाव
बच्चों के नाम पर निवेश को लेकर नियमों में बदलाव किया गया है. सेबी ने कहा है कि बच्चों के नाम पर निवेश को पारदर्शी बनाना उसका लक्ष्य है.
सेबी ने KYC को लेकर बड़ा बदलाव किया है. माइनर के बालिग होने पर KYC डिटेल देनी होगी.
सेबी ने KYC को लेकर बड़ा बदलाव किया है. माइनर के बालिग होने पर KYC डिटेल देनी होगी.
आपने बच्चों के नाम पर निवेश (Child Investment Plan) किया है या फिर नये साल में बच्चों के नाम पर निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में आपको इससे जुड़े नियम जरूर जान लेने चाहिए. हाल ही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बच्चों के नाम पर निवेश के नियमों में बड़ा़ बदलाव किया है.
इन्हीं बदलावों को लेकर हम म्यूचुअल फंड हेल्पलाइन में चर्चा कर रहे हैं. सेबी के बदलावों के बारे में हमें विस्तार से बता रहे हैं फाइनेंशियल एक्सपर्ट विकास पुरी.
नियमों में बदलाव
बच्चों के नाम पर निवेश को लेकर नियमों में बदलाव किया गया है. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने ये बदलाव किए हैं. सेबी ने कहा है कि बच्चों के नाम पर निवेश को पारदर्शी बनाना उसका लक्ष्य है.
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बच्चों के नाम पर म्यूचुअल फंड्स (Children's Mutual Fund) में निवेश किया जाता है. माता-पिता या अभिभावक बच्चों के नाम पर निवेश करते हैं. निवेश का भुगतान माइनर के खाते से ही होता है. निवेश के लिए गार्जियन के साथ ज्वाइंट अकाउंट से भी भुगतान किया जा सकता है.
बच्चों के नाम पर है म्यूचुअल फंड तो किन बातों का रखें ख्याल! जानने के लिए देखिए #MutualFundHelpline @rainaswati के साथ। https://t.co/odLSjKseRR
— Zee Business (@ZeeBusiness) December 30, 2019
नए बदलाव के तहत मौजूदा निवेशक पर भी असर देखने को मिलेगा. AMCs (Asset Management Company) को पे-आउट बैंक अकाउंट में बदलाव करवाना होगा. नियमों के मुताबिक बदलाव के बाद ही रिडंप्शन मुमकिन होगा.
KYC में बदलाव
सेबी ने KYC को लेकर बड़ा बदलाव किया है. माइनर के बालिग होने पर KYC डिटेल देनी होगी. साथ ही नये बैंक अकाउंट की डिटेल भी इसमें शामिल करनी होगी. निवेशक को बैंक का कैंसिल चेक जमा करना होगा. माइनर के बालिग होने पर स्टेटस बदलना जरूरी है. स्टेटस न बदलने तक कोई लेन-देन नहीं कर सकेंगे.
SIP और STP
नये नियम के बाद SIP और STP वालों के लिए बदलाव होगा. AMCs को सिस्टम कंट्रोल तैयार करना होगा. SIP (Systematic Investment Plan), STP और SWP (Systematic Withdrawal Plan) के लिए स्ट्रैंडिंग इंस्ट्रक्शन बनेंगे. माइनर के बालिग होने पर निवेश भुगतान रुक जाएगा. स्टेटस बदलते ही फिर से SIP, STP और SWP एक्टिव हो जाएंगी.
यूनिट्स का ट्रांसमिशन
ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट्स को लेकर भी बदलाव हुआ है. सेबी ने AMCs के लिए नियम तय कर दिए हैं. इन्वेस्टर फोलियो में दावेदार अगर नॉमिनी/ज्वाइंट होल्डर है तो AMCs को इमेज बेस्ड प्रोसेसिंग करनी होगी. ट्रांसमिशन प्रोसेस के लिए सेंट्रल हेल्प डेस्क बनानी होगी. ट्रांसमिशन प्रोसेस की पूरी जानकारी वेबपेज पर दी जाएगी. AMCs को कॉमन ट्रांसमिशन रिक्वेस्ट फॉर्म रखना होगा. AMCs को कॉमन NOC फॉर्म भी तैयार करना होगा.
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स्टांप ड्यूटी के लिए नियम
नॉमिनी अगर रिडंप्शन की रिक्वेस्ट देता है तो नॉमिनी के लिए ट्रांसमिशन जरूरी होगा. ट्रांशमिशन अगर पेंडिंग है तो रिडम्प्शन नहीं होगा. इंडेम्निटी बॉन्ड और एफिडेविट के लिए स्टांप ड्यूटी, स्टांप ड्यूटी कानून में तय नियमों के मुताबिक ही लगेगी.
AMFI के लिए निर्देश
सेबी ने एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड को भी कुछ निर्देश दिए हैं. नॉमिनी बनाने को लेकर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाने होंगे. कॉमन रिक्वेस्ट फॉर्म समेत अन्य दस्तावेज करने तैयार होंगे. सर्कुलर जारी होने के 30 दिन के भीतर फॉर्म तैयार करने होंगे. सभी AMCs के लिए कॉमन रिक्वेस्ट फॉर्म अनिवार्य करने होंगे.
08:22 PM IST