ELSS Vs Gold Mutual Fund: सिर्फ ₹500 के निवेश से करोड़ों बनाने का सौदा, ऐसे कमाल करती हैं ये 2 शानदार स्कीम
ELSS Vs Gold Mutual Fund: कम इनवेस्टेमेंट में अच्छे रिटर्न वाली स्कीम ढूंढ रहे हैं तो ये दो स्कीम आपके काम की हैं. सिर्फ 500 रुपए से दोनों स्कीम में निवेश हो सकता है.
ELSS Vs Gold Mutual Fund: निवेश की शुरुआत कर रहे हों या फिर पहले के निवेश को बढ़ाना चाहते हैं. आपके लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) सही है. लेकिन, फायदे का सौदा वही, जहां निवेश बढ़ने के साथ आपकी वेल्थ भी बढ़े. बंपर रिटर्न के लिए कुछ ही ऑप्शन ऐसे हैं, जहां निवेश किया जा सकता है. आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) या गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual fund) में निवेश कर सकते हैं. ये दोनों ही ऑप्शन लॉन्ग टर्म निवेश (Long term Investment) के लिए सही माने जाते हैं.
ELSS- निवेश का क्या है फायदा?
3 साल का लॉक-इन पीरियड: ELSS में 3 साल का लॉक-इन पीरियड (Lock in period) होता है, मतलब जो पैसा आपने निवेश किया है वो 3 साल से पहले नहीं निकाल सकते. यह इस स्कीम का बढ़िया फीचर है. दूसरी स्कीम्स की तुलना में इसका लॉक-इन पीरियड काफी कम है.
500 रुपए से करें शुरुआत: ELSS में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए सिर्फ 500 रुपए से शुरुआत की जा सकती है. अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. निवेश करने वालों को इसमें दो तरह के ऑप्शन मिलते हैं. इनमें पहला है ग्रोथ और दूसरा है डिविडेंड पे आउट. ग्रोथ ऑप्शन में पैसा लगातार स्कीम में रहता है.
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कैसे ले सकते हैं फायदा: डिविडेंड ऑप्शन में कंपनियां समय-समय पर फायदा देती हैं. डिविडेंड ऑप्शन (Dividend option) वाली योजनाओं में साल में एक बार डिविडेंड मिल सकता है. हालांकि, कुछ योजनाओं ने तो साल में एक बार से ज्यादा डिविडेंड दिया है.
इनकम टैक्स 80C में टैक्स छूट: एक वित्त वर्ष में आप 1.5 लाख रुपए तक निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80C के तहत टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं. इसके अलावा ELSS में निवेश पर होने वाला लाभ और रिडम्पशन (निवेश यूनिट को बेचना) से मिलने वाली राशि भी पूरी तरह टैक्स फ्री होती है.
1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं: म्यूचुअल फंड से एक साल में मिलने वाले 1 लाख रुपए तक लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) को आयकर से छूट है. मतलब आपको 1 लाख रुपए तक कोई टैक्स नहीं देना होता है. इस सीमा से ज्यादा फायदा होने पर 10% की दर से टैक्स देना होता है.
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गोल्ड म्यूचुअल फंड में कैसे करें शुरुआत?
गोल्ड ETF में ही होता है निवेश: गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF का ही एक हिस्सा है. ये ऐसी योजनाएं हैं जो गोल्ड ETF में निवेश करती हैं. गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे फिजिकल सोने में निवेश नहीं करते. गोल्ड म्यूचुअल फंड ओपन-एंडेड निवेश प्रोडक्ट है, जो गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (Gold ETF) में निवेश करते हैं और उनका नेट एसेट वैल्यू (NAV) ETFs के प्रदर्शन से जुड़ा हुआ है.
500 रुपए से शुरुआत: मंथली SIP के जरिए 500 रुपए के साथ गोल्ड म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं. इसके निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट की जरूरत नहीं होती है. आप किसी भी म्यूचुअल फंड हाउस के जरिए इसमें निवेश कर सकते हैं.
लॉन्ग टर्म गेन पर 20% टैक्स: गोल्ड म्युचुअल फंड में 3 साल से ज्यादा के निवेश को लॉन्ग-टर्म माना जाता है. इसके मुनाफे को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) कहा जाता है. सोने पर LTCG पर इंडेक्सेशन बेनिफिट (प्लस सरचार्ज, अगर कोई हो और सेस) के साथ 20% की दर से टैक्स लगता है. वहीं, शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) पर निवेशक को लागू स्लैब दर के मुताबिक टैक्स चुकाना होता है.
1 साल का एग्जिट लोड: गोल्ड म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड हो सकता है, जो आम तौर पर 1 साल तक होता है. म्यूचुअल फंड हाउस एग्जिट लोड तब लगाते हैं जब आप एक निश्चित अवधि से पहले ही अपने निवेश का मुनाफा वसूलना चाहते हैं. एग्जिट लोड निवेशकों को बाहर जाने से रोकने के लिए लगाया जाता है. अलग-अलग म्यूचुअल फंड का एग्जिट लोड लगाने का समय अलग होता है. एग्जिट लोड आपकी NAV का छोटा सा हिस्सा होता है, तो आपके बाहर जाने पर काटा जाता है.
10:04 AM IST