7th Pay Commission: महंगाई भत्ता (DA) बढ़ने के बाद कितनी बदलेगी सैलरी? इस फॉर्मूले से होगा तय- ऐसे करें Calculation
7th Pay Commission DA Hike: महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर में कोई फर्क न पड़े इसलिए ये अलाउंस आपकी सैलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
7th Pay Commission DA Hike: केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स को महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) 3% बढ़कर मिलेगा. कुल महंगाई भत्ता अब 34% पहुंच गया है. महंगाई भत्ता (Dearness allowance) सरकारी कर्मचारियों को उनके रहने-खाने के स्तर (Cost of Living) को बेहतर बनाने के लिए दिया जाता है. महंगाई बढ़ने के बाद भी कर्मचारी के रहन-सहन के स्तर पर कोई फर्क न पड़े इसलिए ये अलाउंस सैलरी का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है. सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (Dearness relief) दिया जाता है.
इस फॉर्मूले से कैलकुलेट होता है महंगाई भत्ता
महंगाई भत्ते (DA) की कैलकुलेशन के लिए एक फॉर्मूला है. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ये फॉर्मूला है [(पिछले 12 महीने के ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) का औसत - 115.76)/115.76]×100. अगर PSU (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) में काम करने वाले लोगों के महंगाई भत्ते की बात की जाए तो इसके कैलकुलेशन का तरीका अलग है- महंगाई भत्ता प्रतिशत= (बीते 3 महीनों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का औसत (बेस ईयर 2001=100)-126.33))x100
क्या होता है AICPI?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई होती है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों को दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं.
कितनी बदलेगी आपकी सैलरी?
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7वें वेतन आयोग (7th Pay Commission Salary hike) के तहत सैलरी कैलकुलेशन के लिए कर्मचारी की बेसिक सैलरी पर DA कैलकुलेट करना होगा. मान लीजिए किसी केंद्रीय कर्मचारी की न्यूनतम बेसिक सैलरी 25,000 रुपए है तो उसका महंगाई भत्ता (DA Calculation) 25,000 का 34% होगा. DA बढ़ने के बाद 25,000 रुपए का 34% यानी कुल 8500 रुपए होगा. मतलब पिछले महंगाई भत्ते की तुलना में कर्मचारी को हर महीने की सैलरी में 750 रुपए का फायदा हुआ है. यह एक उदाहरण है, इसी तरह बाकी सैलरी स्ट्रक्चर वाले भी अपनी बेसिक सैलरी के हिसाब से इसे कैलकुलेट कर सकते हैं.
महंगाई भत्ते पर लगता है टैक्स?
महंगाई भत्ता पूरी तरह टैक्सेबल होता है. भारत में आयकर नियमों के तहत इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में महंगाई भत्ते के बारे में अलग से जानकारी देना होती है. मतलब आपको जितनी रकम महंगाई भत्ते के नाम पर मिलती है वह टैक्सेबल है और उस पर टैक्स चुकाना होगा.
दो तरह के होते हैं महंगाई भत्ते
महंगाई भत्ता (DA) दो तरह का होता है. पहला इंडस्ट्रियल डियरनेस अलाउंस और दूसरा वेरिएबल डियरनेस अलाउंस. इंडस्ट्रियल डियरनेस अलाउंस का संशोधन हर 3 महीने में होता है. ये केंद्र सरकार के पब्लिक सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए होता है. इसका आकलन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर होता है. वेरिएबल डियरनेस अलाउंस का रिवीजन हर 6 महीने में होता है. वेरिएबल डियरनेस अलाउंस का आकलन भी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) के आधार पर होता है.
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी शुरुआत
महंगाई भत्ते की शुरुआत दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान हुई थी. उस वक्त सिपाहियों को खाने और दूसरी सुविधाओं के लिए तनख्वाह से अलग यह पैसा दिया जाता था. उस वक्त इसे खाद्य महंगाई भत्ता या डियरनेस फूड अलाउंस (Dearness food allowance) कहते थे. भारत में मुंबई से 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई थी. इसके बाद केंद्र सरकार सभी सरकारी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता दिया जाने लगा.
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09:54 AM IST