Uttarakhand New Chief Minister : उत्तराखंड में अब Tirath 'राज', UP से रहा है गहरा ताल्लुक-देखें प्रोफाइल
Tirath singh rawat news : त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई के बाद उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के तौर पर पौड़ी-गढ़वाल से लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को शपथ ली.
साल 2000 में शिक्षामंत्री भी रह चुके हैं. (Pti)
साल 2000 में शिक्षामंत्री भी रह चुके हैं. (Pti)
Tirath singh rawat news : त्रिवेंद्र सिंह रावत की विदाई के बाद उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री के तौर पर पौड़ी-गढ़वाल से लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने बुधवार को शपथ ली. विधायक दल की बैठक में नेता चुने गए रावत साल 2012 से 2017 तक भाजपा के विधायक रह चुके हैं और साल 2000 में शिक्षामंत्री भी रह चुके हैं.
नेता चुने जाने के बाद तीरथ सिंह रावत ने कहा-कभी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी. कल त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कयासों का दौर चलता रहा. बुधवार को BJP के विधायक दल की बैठक के बाद सीएम पद के तौर पर तीरथ सिंह रावत के नाम का चयन किया गया और इस तरह से सीएम पद को चल रही कयासबाजी पर लगाम लग गया. बता दें कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार शाम राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था.
BJP में तीरथ सिंह रावत खांटी संघ पृष्ठिभूमि के नेता हैं. RSS और BJP संगठन में लंबे समय से अहम भूमिका निभाने के बावजूद वह सुर्खियों से दूर लो-प्रोफाइल रहने में यकीन रखने वाले नेता हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में 5 साल तक पूर्णकालिक प्रचारक रहे. पत्रकारिता की भी पढ़ाई कर चुके हैं. उत्तर प्रदेश से अलग होने के बाद बने उत्तराखंड के वह पहले शिक्षा मंत्री रहे हैं.
उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की प्रोफाइल पर नजर डालें तो वह बिरला कॉलेज श्रीनगर गढ़वाल से समाजशास्त्र विषय से पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई कर चुके हैं. पत्रकारिता में भी उनके पास डिप्लोमा की डिग्री है. उनकी पत्नी पेशे से प्रवक्ता हैं. 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल के सीरों गांव में जन्मे 56 वर्षीय तीरथ सिंह रावत छात्र जीवन में संघ के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे. हेमवती नंदन गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रह चुके हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद उत्तराखंड के प्रदेश संगठन मंत्री और बाद में एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री भी रहे.
वर्ष 1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक की जिम्मेदारी उन्होंने उठाई. संघ से जुड़ी जिम्मेदारियों का सफलतापूर्वक निर्वहन करने के बाद उन्हें भाजपा की मुख्यधारा की राजनीति में आने का मौका मिला. उत्तराखंड जब अलग नहीं हुआ था, तब 1997 में वह संयुक्त उत्तर प्रदेश से विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चुने गए. उत्तराखंड राज्य का गठन होने के बाद वह वर्ष 2000 की BJP की सरकार में राज्य के पहले शिक्षा मंत्री बने.
Congratulations to Shri @TIRATHSRAWAT on taking oath as the Chief Minister of Uttarakhand. He brings with him vast administrative and organisational experience. I am confident under his leadership the state will continue to scale new heights of progress.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 10, 2021
तीरथ सिंह रावत 2007 में BJP के उत्तराखंड प्रदेश महामंत्री बने. उन्होंने उत्तराखंड दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी निभाई. वर्ष 2012 में उत्तराखंड की चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से विधायक बने. वहीं संगठन क्षमता में माहिर होने के कारण भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने वर्ष 2013 में उन्हें उत्तराखंड भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था. वह 31 दिसंबर 2015 उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. गृहमंत्री अमित शाह ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के कार्यकाल में वर्ष 2017 में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया था. पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें गढ़वाल सीट से उतारा था और उन्होंने 2.85 लाख से अधिक वोटों से उन्होंने जीत हासिल की.
उत्तराखंड भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा, तीरथ सिंह रावत गुटबाजी में यकीन नहीं करते हैं. काम करने में यकीन रखते हैं, शोर मचाने में नहीं. संघ और भाजपा दोनों संगठन में उन्होंने अपनी जिम्मेदारियों का कुशलता से निर्वहन किया. यही वजह है कि आज पार्टी ने उन्हें मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी.
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04:42 PM IST