Tokyo Olympics 2020: जेवर बेचकर खरीदी बेटी के लिए 'कान की बाली', मीराबाई चानू ने दिलाया देश को मेडल, रो पड़े माता-पिता
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sat, Jul 24, 2021 06:50 PM IST
Tokyo Olympics 2020 latest: टोक्यो ओलिंपिक (Tokyo Olympics) में भारत ने पहला मेडल वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) की बदौलत हासिल किया. मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में महिला 49 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने का काम किया. मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) की इस जीत से पूरे देश में खुशी की लहर है. वहीं मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) के घर वाले भी अपनी बेटी की इस उपलब्धि को धूमधाम से सेलिब्रेट कर रहे हैं.
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21 साल बाद भारत को वेटलिफ्टिंग में मिला ओलंपिक मेडल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई दिग्गज नेताओं ने मीराबाई चानू को बधाई दी. देश को गौरवान्वित करने वाली मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) खुद भी इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं. वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) में भारत को 21 साल बाद ओलंपिक मेडल हासिल हुई है. इससे पहले साल 2000 में सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने वेटलिफ्टिंग में देश के लिए कांस्य पदक जीता था.
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हर कदम पर मीराबाई चानू को मिला है मां का साथ
मीराबाई ने अपनी जीत के बाद एक खास ट्वीट कर खुशी का इजहार किया. उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह एक सपने का सच होने की तरह है. मैं इस मेडल को अपने देश को समर्पित करती हूं. मेरे लिए करोड़ों भारतीय दुआएं मांग रहे थे, मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करती हूं. मैं अपने परिवार को धन्यवाद देती हूं और ख़ासकर अपनी मां को जिन्होंने बहुत त्याग किया और मुझ पर भरोसा जताते हुए हर कदम पर मेरी हिम्मत को बढ़ाती रही.
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खुद के गहने बेच बेटी के लिए खरीदी थी कान की बाली
मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) की मां सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा बेटी की इस उपलब्धि से बेहद खुश हैं. पीटीआई को दिए अपने इंटरव्यू में सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा ने मीराबाई चानू को लेकर कई बातों का जिक्र किया. टोक्यो जाने से पहले लीमा ने मीराबाई के लिए कान की बाली खरीदी थी. जिसे अपने लिए लकी समझते हुए मीराबाई चानू टोक्यो लेकर गई थी. लीमा ने पीटीआई से कहा, ‘‘मैं बालियां टीवी पर देखी थी, मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलिंपिक से पहले दी थी. मैंने मेरे पास पड़े सोने और अपनी बचत से इन्हें बनवाया था जिससे कि उसका भाग्य चमके और उसे सफलता मिले.’’ इस दौरान चानू के पिता भी साथ थे, बेटी की इस उपलब्धि से दोनों की आंखों से खुशी से आंसू बह रहे थे.
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