सरकार ने मानसरोवर जाने के लिए शुरू की नई सड़क, एक हफ्ते में पूरी हो जाएगी यात्रा
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sat, May 09, 2020 02:08 PM IST
कैलाश-मानसरोवर यात्रा (Kailash-Mansarovar Yatra) पर जाना अब और भी आसान हो गया है. सरकार ने देश की सीमा के बेहतर कनेक्टिविटी (Better connectivity) के लिए उत्तराखंड (Uttarakhand) के धारचूला से लिपुलेख स्थित चीन सीमा (China border) तक नई सड़क बनाई है. केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (video conferencing) के जरिए पिथौरागढ़ से गुंजी तक वाहनों के एक काफिले को रवाना कर इस सड़क का उद्घाटन किया. इस सड़क के शुरू होने से तीर्थ यात्रियों को सुविधा होने के साथ ही स्थानीय स्थानीय व्यापार और आर्थिक विकास (Economic Development) को भी मदद मिलेगी.
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आधे समय में ही पूरी हो जाएगी यात्रा
केंद्रीय रक्षा मंत्री ने इस मौके पर कहा कि कैलाश-मानसरोवर की तीर्थयात्रा हिंदुओं, बौद्धों और जैनियों (Hindus, Buddhists and Jains) सभी के लिए बेहद पवित्र और पूजनीय है. इस सड़क लिंक के पूरा होने के साथ ही ये यात्रा अब मात्र एक सप्ताह में पूरी की जा सकेगी. पहले मानसरोवर यात्रा को पूरा करने में 2 से 3 सप्ताह तक का समय लगता था. यह सड़क घटियाबगड़ से निकलती है और कैलाश-मानसरोवर के प्रवेश द्वार लिपुलेख दर्रा पर समाप्त होती है.
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रास्ते में कम हुए खतरे
80 किलोमीटर लम्बी इस सड़क की ऊंचाई 6,000 से 17,060 फीट तक है. इस परियोजना के पूरा होने के साथ, अब कैलाश-मानसरोवर के तीर्थयात्री खतरे भरे और अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाके के रास्ते से बच सक सकेंगे. अब तक तीर्थयात्री सिक्किम (Sikkim) या नेपाल (Nepal) के रास्ते से कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करते थे इसमें लगभग दो से तीन सप्ताह का समय लगता था. लिपुलेख मार्ग में ऊंचाई वाले इलाकों से होकर 90 किलोमीटर लम्बे मार्ग की यात्रा करनी पड़ती थी. इसमें बुजुर्ग यात्रियों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता था.
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ज्यादातर यात्रा भारत की सीमा के अंदर होगी
मानसरोवर जाने के लिए सिक्किम और नेपाल के रास्ते दो और रास्ते हैं. इसमें भारतीय सड़कों पर लगभग 20 प्रतिशत यात्रा और चीन की सड़कों पर लगभग 80 प्रतिशत यात्रा करनी पड़ती थी. घटियाबगड़-लिपुलेख सड़क के खुलने के साथ, यह अनुपात उलट गया है. अब मानसरोवर के तीर्थयात्री भारत की सीमा के अंदर 84 प्रतिशत और चीन की सीमा में केवल 16 प्रतिशत की यात्रा ही करेंगे. रक्षा मंत्री ने कहा कि यह वास्तव में ऐतिहासिक है.
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बीआरओ ने बनाई ये सड़क
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