पाकिस्तान को एक और तमाचा! भारत को मिलेगा हैदराबाद के निजाम का अरबों रुपये का खजाना
लंदन की कोर्ट में भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहा 70 साल पुराना विवाद खत्म हो गया है. कोर्ट ने हैदाराबाद के अरबों रुपये के खजाने पर पाकिस्तान के दावे को रद्द करते हुए भारत के हक में फैसला सुनाया है.
भारत के बंटवारे के वक्त हैदराबाद के निजाम ने लंदन में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के बैंक खाते में 1,007,940 पाउंड जमा करवाए थे.
भारत के बंटवारे के वक्त हैदराबाद के निजाम ने लंदन में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के बैंक खाते में 1,007,940 पाउंड जमा करवाए थे.
भारत के मामले में पाकिस्तान (Pakistan) हर मोर्चे पर लगातार विफल हो रहा है. मामला चाहे दोनों देशों के बीच हो या फिर विदेश का, भारत पाकिस्तान को एक के बाद एक करारी मात दे रहा है. ताजा मामला लंदन (London) में चल रहे 70 साल पुराने विवाद का है. ब्रिटेन की कोर्ट (UK Court) ने इस मामले में भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है.
दरअसल, हैदराबाद के निजाम (Hyderabad Nizam) की लंदन में अरबों रुपये की संपत्ति को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले 70 सालों से विवाद चल रहा है. और यह मामला ब्रिटेन की कोर्ट (UK Court) में था. 2 अक्टूबर को कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए इस विवाद को खत्म कर दिया है.
कोर्ट में चल रहे विवाद के मुताबिक, हैदराबाद के 7वें निजाम (Nizam of Hyderabad) मीर उस्मान अली खान (Mir Osman Ali Khan) ने साल 1948 में लंदन के नेशनल वेस्टमिनिस्टर बैंक (National Westminster Bank) में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे. यह रकम अब बढ़कर करीब 300 करोड़ (35 मिलियन पाउंड) से ज्यादा की हो गई है. इस रकम के मालिकाना हक को लेकर भारत और पाकिस्तान में विवाद चल रहा था.
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लंदन के रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने इस मामले पर फैसले सुनाते हुए कहा कि हैदराबाद (Hyderabad) के 7वें निजाम उस्मान अली खान इस फंड के मालिक थे और फिर उनके बाद उनके वंशज और भारत, इस फंड के दावेदार हैं. खास बात ये रही कि निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह इस लड़ाई में भारत के पक्ष में खड़े थे.
क्या था पाकिस्तान का दावा
साल 1948 में हैदराबाद के आखिरी निजाम मीर उस्मान अली खान के वित्त मंत्रालय का काम संभालने वाले मीर वनाज जंग ने लंदन में पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के बैंक खाते में 1,007,940 पाउंड जमा करवाए थे. इसी वजह से पाकिस्तान (Pakistan) इस रकम पर अपना हक जमा रहा था.
ये है पूरा मामला
भारत के बंटवारे के वक्त हैदराबाद के निजाम पाकिस्तान के साथ शामिल होना चाहते थे. जबकि, हैदराबाद एक हिंदू बहुसंख्यक राज्य था, जिसका नेतृत्व निजाम के हाथ में था.
लेकिन उस समय के गृह मंत्री सरदार बल्लभभाई पटेल द्वारा भारत को जोड़ने के लिए उठाए जा रहे सख्त रुख को देखते हुए निजाम ने अपना पैसा पाकिस्तान के हाई कमिश्नर हबीब इब्राहिम रहीमतुल्ला के खाते में जमा करवा दिया था. भारत को इसके बारे में पता चल गया था, जिसके चलते हाई कमिश्नर इस पैसे को नहीं निकाल सके.
09:08 PM IST