पेंशन, सब्सिडी के लिए भी नहीं देना होगा Aadhaar, सरकार कानून लाकर बढ़ाएगी UIDAI की ताकत
सुप्रीम कोर्ट के सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खोलने के लिए आधार (AADHAAR) के रूप में अनिवार्य आईडी की शर्त खत्म करने के बाद एक और अच्छी खबर है.
अब पेंशन, बीपीएल कार्ड, सब्सिडी आदि के लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं रहेगा. (फाइल फोटो)
अब पेंशन, बीपीएल कार्ड, सब्सिडी आदि के लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं रहेगा. (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट के सिम कार्ड लेने या बैंक खाता खोलने के लिए आधार (AADHAAR) के रूप में अनिवार्य आईडी की शर्त खत्म करने के बाद एक और अच्छी खबर है. अब पेंशन, बीपीएल कार्ड, सब्सिडी आदि के लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य नहीं रहेगा. केंद्र सरकार इंडियन टेलीग्राफ कानून और मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के नियमों में संशोधन करेगी. इससे पब्लिक फंड वाली कल्याणकारी योजनाओं में यूनिक आईडी की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी. सरकार के इस कदम के पीछे मकसद आधार जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को अतिरिक्त ताकत देना है.
सरकार ने जो प्रस्ताव किया है उसमें यूआईडीएआई की नियामकीय (Regulatory) भूमिका बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके तहत प्राधिकरण के पास बायोमेट्रिक पहचान के दुरुपयोग पर कार्रवाई करने और नियमों का उल्लंघन करने वालों व आंकड़ों में सेंध लगाने वालों के खिलाफ जुर्माना लगाने का अधिकार होगा. पीटीआई की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के मद्देनजर केंद्रीय कैबिनेट ने यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने और नियमों का उल्लंघन होने पर कड़े सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के इरादे से आधार कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है. प्रस्तावित संशोधन शीर्ष अदालत के आदेश के बाद बड़ा कदम होगा.
प्रस्तावित संशोधन को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जाएगा. आधार कानून में प्रस्तावित संशोधन श्रीकृष्ण समिति की सिफारिशों के अनुरूप है जिसने कहा था कि यूआईडीएआई को निर्णय लेने के मामले में न केवल स्वायत्तता होना चाहिए बल्कि प्रवर्तन कार्रवाई के लिए अन्य नियामकों के समरूप शक्तियां होनी चाहिए.
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सूत्रों के अनुसार प्रस्तावित संशोधन यूआईडीएआई को नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये अधिक शक्तियां प्रदान करेगा. प्रस्तावित बदलाव के तहत आधार कानून की धारा 57 को हटाया जाएगा. धारा 57 के तहत पूर्व में निजी इकाइयों के साथ डेटा साझा करने की अनुमति थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया.
प्रस्तावित बदलाव की जानकारी देते हुए सूत्र ने बताया, 'यूआईडीएआई आदेश के खिलाफ दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने का प्रावधान होगा. टीडीसैट के खिलाफ अपील उच्चतम न्यायालय की जा सकेगी.' इसमें यूआईडीएआई की शक्तियां बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है ताकि वह निर्देश जारी कर सके और अगर निर्देश का अनुपालन नहीं होता है वह जुर्माना लगा सके.
जो इकाइयां सत्यापन के लिये आधार का अनुरोध करेंगी, वह प्राथमिक रूप से दो श्रेणियों से जुड़ी होंगी. ये दो श्रेणियों में एक वो इकाइयां शामिल होंगी जिन्हें संसद में बने कानून के तहत अधिकार मिला है और दूसरी वे इकाइयां जो राज्य के हित में काम कर रही हैं. इसके लिये नियम केंद्र यूआईडीआईएआई के परामर्श से बनाएगा. इस प्रकार का सत्यापन स्वैच्छिक आधार पर होगा.
श्रीकृष्ण समिति ने आधार कानून में संशोधन का सुझाव दिया था जिसमें सत्यापन या आफलाइन सत्यापन के लिये सहमति प्राप्त करने में विफल रहने पर जुर्माना शामिल है. इसमें तीन साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक जुर्माना शामिल है. इसके अलावा मुख्य बायोमेट्रिक सूचना के अनधिकृत उपयोग के लिये 3 से 10 साल तक की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना का सुझाव दिया गया है.
इनपुट एजेंसी से भी
02:39 PM IST