Lumpy Virus: महाराष्ट्र में भी पैर पसार रहा लंपी वायरस, 50 लाख से अधिक मवेशियों को मिगेगी फ्री वैक्सीन
Lumpy Virus: महाराष्ट्र में मवेशियो में लंपी वायरस को फैलने से रोकने के लिए मवेशियों को वैक्सीन दी जा रही है. इसके लिए किसानों से कोई फीस नहीं ली जाएगी.
(Source: PTI)
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Lumpy Virus: देश के विभिन्न राज्यों के मवेशियों में स्किन रोग लंपी वायरस ने आतंक मचा रका है. महाराष्ट्र में मवेशियों के बीच इसे फैलने से रोकने के लिए महाराष्ट्र पशुपालन विभाग ने सभी जिलों के अधिकारियों को इसके खिलाफ वैक्सीनेशन को और तेज करने का निर्देश दिया है. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में मवेशियों को मुफ्त में लंपी वायरस (Lumpy Virus) के खिलाफ वैक्सीन दी जाएगी. लंपी वायरस ने राज्य में अभी तक 43 मवेशियों की जान ले ली है.
पशुपालन और डेयरी विकास विभाग के राज्य आयुक्त सचिंद्र प्रताप सिंह (Sachindra Pratap Singh) ने मंगलवार को कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने अगले सप्ताह से 50 लाख वायल्स के साथ लंपी वायरस के खिलाफ वैक्सीनेशन की पेशकश करने का फैसला किया है."
5 लाख से अधिक मवेशियों को दी गई वैक्सीन
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मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए, सिंह ने कहा कि किसानों को मवेशियों के वैक्सीनेशन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को ढेलेदार त्वचा रोग वायरस के टीके की 50 लाख शीशियां मिलने जा रही हैं. पशुपालन विभाग ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि संक्रमित क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में 1,755 गांवों में कुल 5,51,120 पशुओं का टीकाकरण किया गया है.
उन्होंने बताया कि इन प्रभावित गांवों में कुल 2,664 संक्रमित पशुओं में से 1,520 पशु इलाज के बाद ठीक हो गए हैं. उन्होंने बताया कि मवेशियों में यह बीमारी एक वायरस के कारण होता है. अगर इसका समय पर इलाज न हो तो यह घातक हो जाता है. राजस्थान में इस बीमारी से 50,000 से अधिक संक्रमित मवेशियों की मौत हो गई है. इस तरह के मामले पंजाब और हरियाणा में भी सामने आए हैं.
दुधारू मवेशियों में फैल रही बीमारी
दुधारू मवेशियों में फैल रहे इस बीमारी को 'गांठदार त्वचा रोग वायरस' यानी LSDV कहा जाता है. इस बीमारी की तीन प्रजातियां हैं. पहली 'कैप्रिपॉक्स वायरस', दूसरी गोटपॉक्स (Goatpox) वायरस और तीसरी शीपपॉक्स (SheepPox) वायरस.
इस बीमारी के क्या हैं लक्षण
- लगातार बुखार रहना
- वजन कम होना
- लार निकलना
- आंख और नाक का बहना
- दूध का कम होना
- शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देना
- शरीर पर चकत्ता जैसी गांठें बन जाना
कैसे फैलती है ये बीमारी
AIIMS के मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. पीयूष रंजन का कहना है कि लंपी त्वचा रोग एक ऐसी बीमारी है जो मच्छरों, मक्खियों, जूं एवं ततैयों की वजह से फैल सकती है. मवेशियों के एक दूसरे के संपर्क में आने और दूषित भोजन एवं पानी के जरिए भी ये दूसरे जानवरों में फैल सकती है.
ये वायरस काफी तेजी से फैलने वाला वायरस है. चूंकि ये रोग दुधारु पशुओं में पाया जा रहा है. लोगों को डर है कि कही उनमें भी इसका असर न हो जाए।. हालांकि, एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉक्टर पीयूष रंजन के मुताबिक इंसानों पर इसका कोई खतरा नहीं है.
इंसानों का खतरा है या नहीं?
इस बीमारी के खिलाफ इंसानों में जन्मजात इम्युनिटी पाई जाती है, यानी ये उन बीमारियों में से है जो इंसानों को हो ही नहीं सकती. हालांकि हम इंसानों के लिए परेशानी की बात ये है कि भारत में दूध की कमी हो सकती है, क्योंकि गुजरात में मवेशियों की जान जाने से अमूल के प्लांट में दूध की कमी हो गई है.
सबसे पहले कब आई थी बीमारी
ये बीमारी सबसे पहले 1929 में अफ्रीका में पाई गई थी. पिछले कुछ सालों में ये बीमारी कई देशों के पशुओं में फैली।. साल 2015 में तुर्की और ग्रीस और 2016 में रूस में फैली. जुलाई 2019 में इस वायरस का कहर बांग्लादेश में देखा गया. अब ये कई एशियाई देशों में फैल रहा है. भारत में ये बीमारी 2019 में पश्चिम बंगाल में देखी गई थी.
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के मुताबिक, लंपी वायरस साल 2019 से अब तक सात एशियाई देशों में फैल चुकी है. साल 2019 में भारत के अलावा चीन, जून 2020 में नेपाल, जुलाई 2020 में ताइवान और भूटान, अक्टूबर 2020 में वियतनाम और नंवबर 2020 में हांगकांग में ये बीमारी पहली बार सामने आई थी.
09:10 PM IST