JUNE में कभी नहीं पड़ी इतनी प्रचंड गर्मी, जुलाई भी इसी मुहाने पर खड़ा : वैज्ञानिक
धरती के इतिहास में जून (June) सबसे गर्म महीना रहा है. यही नहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल जुलाई भी अब तक का सबसे गर्म महीना साबित हो सकता है.
इस रिपोर्ट की पुष्टी NASA ने भी की है. (Dna)
इस रिपोर्ट की पुष्टी NASA ने भी की है. (Dna)
धरती के इतिहास में जून (June) सबसे गर्म महीना रहा है. यही नहीं वैज्ञानिकों का दावा है कि इस साल जुलाई भी अब तक का सबसे गर्म महीना साबित हो सकता है. अमेरिका की 1 साइंटिफिक एजेंसी के अनुमान के मुताबिक जून धरती के इतिहास में सबसे गर्म रहा है. इस रिपोर्ट की पुष्टी NASA ने भी की है.
NASA की 1 रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जून के औसत तापमान में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. यह बढ़ोतरी जनवरी से जून के बीच लगातार हुई है. इसकी वजह कमजोर अल नीनो, यूरोप की ऐतिहासिक हीटवेव और लगातार बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग मानी जा रही है.
इससे पहले साल 2017 पृथ्वी के इतिहास में दूसरा सबसे गर्म साल दर्ज किया गया था. जिस रफ्तार से दुनिया भर में तापमान बढ़ रहा है, उससे औसत से ज्यादा तापमान का रिकॉर्ड बनना आम बात होती जा रही है. इस साल जून में आर्कटिक में बर्फ पिघलने का सीजन जल्दी शुरू हो गया.
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जलवायु वैज्ञानिकों की मानें तो जून के बाद अब जुलाई पृथ्वी का सबसे गर्म महीना बनने जा रहा है. अभी जुलाई को खत्म होने में 1 हफ्ता बाकी है, लेकिन दुनिया भर के जलवायु वैज्ञानिकों ने ये अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि इस साल जुलाई वर्ष 2017 के रिकॉर्ड को तोड़ देगा.
अलास्का फेयरबैंक यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर Brian Brettschneider का कहना है कि ये महीना अब तक का सबसे गर्म महीना रिकॉर्ड हो सकता है. (यहां अब तक से मतलब है साल 1800 से जब से रिकॉर्ड रखे जा रहे हैं.)
जब तक ग्रीन हाउस गैसों को कम करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाते, तब तक गर्मी के रिकॉर्ड इसी तरह से टूटते रहेंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सदी में दुनिया का औसत तापमान 3.6°C तक बढ़ जाएगा. इस तरह की परिस्तिथियां 20 लाख साल में अब तक कभी नहीं देखी गईं.
इस साल भारत के कई हिस्सों में जून में हीट वेव देखने को मिली. इसकी वजह से मॉनसून में देरी हुई है. मौसम वैज्ञानिक महेश पह्लावत की मानें तो वैश्विक परिदृश्य में देखा जाए तो अब तक का सबसे गर्म महीना जून रहा. अल नीनो के असर से पूरे दक्षिण एशिया का मॉनसून कमजोर रहा है, जिसकी वजह से बारिश कम रही. यहां तक कि इस साल जून में प्री मॉनसून गतिविधि भी कम रही.
पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में सामान्य तापमान ज्यादा रहा. दुनिया के बाकी हिस्सों में भी इस बार ऐसी गरमी देखी गई, जो पहले कभी नहीं पड़ी. साल दर साल गरमी बढ़ती जा रही है. हवा गर्म हो रही है. ग्रीन कवर घटता जा रहा है.
मौसम वैज्ञानिक आर के जैनामनी के मुताबिक पूरे साल का ग्लोबल एवरेज निकाला जाता है और इसी तरह मंथली एवरेज भी निकाला जाता है. भारत में इस साल जून में हीट वेव कंडिशन लम्बे समय तक बनी रही. भारत में गर्मी का मौसम अप्रैल में शुरू होता है और जून अंत तक खत्म हो जाता है. लेकिन दुनिया के बाकी हिस्सों में खास तौर पर यूरोप में जून से गर्मी शुरू होती हैं.
04:18 PM IST