मून लैंडर विक्रम की असफलता से सबक लेगा ISRO, तैयार किया यह प्लान
इसरो वैज्ञानिकों का मानना है कि भले ही चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का मिशन कामयाब नहीं हुआ हो, लेकिन इस मिशन से उन्हें बड़ा सबक मिला है और यह सबक आगे होने वाले प्रयोगों में बड़ी मदद करेगा.
22 जुलाई को 978 करोड़ रुपये की परियोजना के चंद्रयान-2 को भारत के भारी रॉकेट वाहक जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) के द्वारा लॉन्च किया गया था.
22 जुलाई को 978 करोड़ रुपये की परियोजना के चंद्रयान-2 को भारत के भारी रॉकेट वाहक जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) के द्वारा लॉन्च किया गया था.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कहा कि एक्सपर्ट की एक राष्ट्रीय समिति मून लैंडर विक्रम (moon lander Vikram) की असफलता के कारणों की जांच कर रही है. इसरो ने कहा कि यह समिति और इसरो के विशेषज्ञ विक्रम (Vikram) से संपर्क टूटने के कारणों का पता लगा रहे हैं.
इसरो वैज्ञानिकों का मानना है कि भले ही चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) का मिशन कामयाब नहीं हुआ हो, लेकिन इस मिशन से उन्हें बड़ा सबक मिला है और यह सबक आगे होने वाले प्रयोगों में बड़ी मदद करेगा. इसरो के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि तकनीक को सरल रखना, मिशन प्रोफाइल में बदलाव न करना और सिमुलेशन टेस्ट को अधिकतम संभव स्तर तक ले जाना ही वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ा सबक हैं.
इसरो वैज्ञानिक के मुताबिक, अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी अपने-आप में बहुत पेचीदा टेक्नोलॉजी है और किसी को इसमें और ज्यादा जटिलताओं को नहीं जोड़ना चाहिए क्योंकि, यह लैंडर विक्रम के साथ हुआ था.
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इसरो के एक वैज्ञानिक ने उदाहरण देते हुए बताया कि चार थ्रोटेलवेबल इंजन एकसाथ काम करने के लिए एक तकनीकी चुनौती है. जबकि चंद्रयान 2 में 5 इंजन का इस्तेमाल किया गया.
7 सितंबर को विक्रम चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय कीर नरम जमीन पर उतरता है और कंट्रोल खोकर क्रैश हो जाता है. विक्रम से संपर्क भी टूट जाता है.
इसरो के एक पूर्व अधिकारी के मुताबकि, वैज्ञानिकों को पहले से ही पता था कि GSLV-Mk II (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) रॉकेट मिशन के लिए उपलब्ध था और इसे शक्तिशाली इंजन के साथ डिजाइन गया था.
उन्होंने बताया कि मून लैंडर में 3,500 न्यूटन (एन) एक इंजन होना चाहिए. इससे एकसाथ काम करने वाले चार थ्रोटेबल इंजनों की चुनौतियों को कम किया जा सकता था.
अन्य देशों ने चंद्रमा पर अपने विमानों को उतारते समय एक ही शक्तिशाली इंजन का इस्तेमाल किया था. इनमें लैंडर के चंद्रमा की सतह को छूने से पहले इंजन काट दिया जाता है, तब जाकर लैंडर एक सॉफ्ट लैंडिंग करता है.
पूर्व अधिकारी के मुताबिक, मिशन के प्रोफाइल में ओरिजिनल प्लान से कुछ बदलाव किए गए थे. ओरिजिनल प्लान में चंद्रयान 2 को GSLV-Mk II के द्वारा लॉन्च किया जाना था. GSLV-Mk II अपने साथ 2 टन वजन ले जा सकता है. लेकिन बाद में इसके बीच में 5वां इंजन और जोड़ दिया गया. ताकि लैंडिंग के समय चंद्रमा की सतह से उठने वाली धूल को रोका जा सके. लेकिन इससे लैंडर को लैंडिंग के समय नुकसान पहुंचा.
एयरक्राफ्ट का वजन बढ़ाने और GSLV-Mk II की स्पेसिफिकेशन में बदलाव करने से जीएसएलवी एमके-II चंद्रयान को ले जाने में सक्षम नहीं था. इसके बाद चंद्रयान-2 को ज्यादा कैपेसिटी वाले GSLV-Mk III के साथ लॉन्च करने का निर्णय लिया गया.
चंद्रयान 2 के ऑरिजन आइडिया को बदल दिया गया. इसमें पहले सभी सभी चार थ्रोटेबल इंजनों को बंद करना था और फिर लैंडर को धीरे-धीरे नीचे छोड़ने की मंजूरी देना था. असल प्लान यह था कि लैंडर को 2 मीटर प्रति सेकेंड 10 मीटर की ऊंचाई से नीचे छोड़ा जाना था. लेकिन बाद में इसमें 5वां इंजन जोड़ दिया गया और इसके सॉफ्टवेयर में भी बदलाव किया गया.
स्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, किसी उपग्रह के फेल हो जाने के पीछे यह माना जाता है कि उस स्पेस मिशन में आनन-फानन में कोई बदलाव किया गया है. कम्युनिकेशन लिंक का टूटना बताता है कि सैटेलाइट के रोटेशन में बड़ा बदलाव आया है. इसके अलावा लैंडर पर गलत इनपुट लोड होने से भी कम्युनिकेशन लिंक टूटता है.
विक्रम को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया था. इसको अपने 4 पैरों के साथ 7 किमी/घंटा की स्पीड पर लैंड होना था. लेकिन विक्रम इस तय गति से कहीं ज्यादा स्पीड पर लैंड करने से क्रैश हुआ था. विक्रम की लैंडिंग स्पीड 5 मीटर/सेकेंड थी, लेकिन इस घटना से ऐसा लगता है कि विक्रम की स्पीड में छेड़छाड़ की गई थी.
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बता दें कि पहले 22 जुलाई को 978 करोड़ रुपये की परियोजना के चंद्रयान-2 को भारत के भारी रॉकेट वाहक जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल-मार्क तृतीय (जीएसएलवी-एमके तृतीय) के द्वारा लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-2 यान के तीन अंग थे - ऑर्बिटर (2,379 किलोग्राम, आठ पेलोड्स), विक्रम (1,471 किलोग्राम, चार पेलोड्स) और प्रज्ञान (27 किलोग्राम, दो पेलोड्स).
पृथ्वी की कक्षा में अपनी गतिविधियां पूरी करने के बाद चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश कर गया. ऑर्बिटर से दो सितंबर को विक्रम अलग हो गया.
01:08 PM IST