Chandrayaan 3: इन गलतियों के कारण क्रैश हुआ था Chandrayaan 2, ISRO ने सुधारकर रच डाला इतिहास
Chandrayaan 3 Landing: चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिण ध्रुव में सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. चंद्रयान 2 की किन गलतियों को सुधारकर सफल हुआ चंद्रयान 3 मिशन.
Chandrayaan 3 landing: चंद्रयान 3 ने चांद के दक्षिण ध्रुव में सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है. साल 2019 में चंद्रयान 2 की असफलता के बाद दूसरे प्रयास में भारत चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बन गया है. 2019 में दो गलतियों के कारण चंद्रयान 2 विफल हो गया था. इसके बाद गलतियों से सबक लेते हुए इसरो ने कई बदलाव किए थे. ऐसे में साइंटिस्टों को पूरा विश्वास था कि इस बार चंद्रयान 3 सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेगा. अब स्पेस साइंटिस्ट नंबी नारायण ने बताया कि कैसे चंद्रयान 2 की विफलता चंद्रयान 3 की सफलता का कारण बनी.
Chandrayaan 3 landing: नंबी नारायण ने कहा- 'विफलता बनी सफलता का कारण'
ANI से बातचीत में इसरो के स्पेस साइंटिस्ट नंबी नारायण ने कहा कि, 'चंद्रयान 2 की हर गलतियों को इस बार सुधारा गया. चाहे वह सैटेलाइट समस्या है, स्थिरता की समस्या या फिर कोई दूसरी समस्या को भी बखूबी सुलझाया गया है. चंद्रयान 2 की विफलता चंद्रयान 3 की सफलता का सबसे बड़ा कारण बनी है. दूसरे शब्दों में कहे थे ये असफलता हमारे पक्ष में गई. ऐसे में इसरो के वैज्ञानिकों ने बेहतरीन काम किया. लॉन्च से पहले ही हमें विश्वास था कि ये सफल रहेगा और ये सफल रहा. सभी को बहुत-बहुत बधाई.
Failure of ‘Chandrayaan-2’ contributed to success of ‘Chandrayaan-3’: Former ISRO scientist Nambi Narayanan
— ANI Digital (@ani_digital) August 24, 2023
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Chandrayaan 3 landing: इन गलतियों के कारण क्रैश हुआ था चंद्रयान 2
इसरो के चीफ एस. सोमनाथ ने इंडियन स्पेस कांग्रेस में कहा था कि चंद्रयान 2 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर 500x500 मीटर लैंडिंग स्पॉट की तरफ बढ़ रहा था. लैंडर के लिए पांच इंजन थे, इनका इस्तेमाल वेलॉसिटी को कम करने के लिए किया जाता है. इसे रिटार्डेशन कहते हैं. इंजन में अपेक्षा में ज्यादा थ्रस्ट पैदा किया था. दूसरा मुद्दा लैंडर ने बहुत तेजी से मोड़ लेना पड़ा था. लैंडर को 55 डिग्री घूमना खा और ये 410 डिग्री तक घूम गया. सॉफ्टवेयर भे इसे कंट्रोल नहीं कर सका. किसी को भी हाई रेट की उम्मीद नहीं थी.
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Chandrayaan 3 landing: ऐसे सुधारी गई गलती
इसरो ने इस बार अपनी गलतियों को सुधारा. सबसे पहले चांद पर बड़ी लैंडिंग साइट चुनी गई. इससे लैंडिंग आसान हो गई थी. चंद्रयान 2 की 500*500 मीटर की छोटी लैंडिंग साइट थी. वहीं, चंद्रयान 2 के मुकाबले चंद्रयान 3 की ईंधन क्षमता को भी बढ़ा दिया गया है. वहीं, यदि वैकल्पिक लैंडिंग साइट तक ले जाना हो तो आसानी से ले जाया जा सकता है.
12:08 PM IST