बैंक CIBIL को क्यों दे रहे अपने ग्राहक की PAN व बैंकिंग डिटेल; हाईकोर्ट ने RBI से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट में 1 याचिका में कहा गया है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों के पैन (PAN) और वित्तीय लेन-देन के आंकड़ों को ग्राहकों की बिना सहमति अन्य एजेंसियों के साथ साझा किया जा रहा है, जिस पर रोक लगाई जाए.
ग्राहकों के स्थायी खाता संख्या (PAN) और अन्य लेन-देन को ट्रांसयूनियन सिबिल जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से साझा किया जा रहा है. (फोटो : PTI)
ग्राहकों के स्थायी खाता संख्या (PAN) और अन्य लेन-देन को ट्रांसयूनियन सिबिल जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से साझा किया जा रहा है. (फोटो : PTI)
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 जनहित याचिका (PIL) दाखिल हुई है. इस पर उसने केंद्र और रिजर्व बैंक से जवाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि बैंकों द्वारा ग्राहकों के पैन (PAN) और वित्तीय लेन-देन के आंकड़ों को ग्राहकों की बिना सहमति अन्य एजेंसियों के साथ साझा किया जा रहा है, जिस पर रोक लगाई जाए.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति वी के राव की पीठ ने वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक को नोटिस भेजकर इस पर उनका रुख बताने को कहा है. याचिका में दावा किया गया है कि ग्राहकों के स्थायी खाता संख्या (PAN) और अन्य लेन-देन को ट्रांसयूनियन सिबिल जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से साझा किया जा रहा है जो उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता अभिजीत मिश्रा ने कहा कि बैंक सिबिल जैसी एजेंसियों द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर यह फैसला करते हैं कि क्या संबंधित ग्राहक को कर्ज दिया जाए या क्रेडिट कार्ड जारी किया जाए. यहां तक कि इसी के आधार पर वे ब्याज दर भी तय करते हैं.
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अधिवक्ता पायल बहल के माध्यम से जारी याचिका में मिश्रा ने कहा है कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने ग्राहक के पैन या अन्य वित्तीय लेनदेन को बैंकों द्वारा किसी निजी या गैर सरकारी इकाई को साझा करने के बारे में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है.
याचिका में कहा गया है कि आयकर कानून, 1961 में भी नागरिकों के पैन आंकड़े को सिबिल जैसी एजेंसियों को साझा करने की अनुमति नहीं है.
09:45 AM IST