चावल के शौकीन हैं तो हो जाइए सावधान, कई गुना बढ़ जाता है डायबिटीज का रिस्क
यह बातें 21 देशों के लोगों पर करीब 10 साल की रिसर्च के बाद सामने आई है. इनमें से सबसे ज्यादा खतरे में दक्षिण एशिया के लोग हैं. जिसमें भारत भी आता है.
रिसर्च में बताया गया है कि दक्षिण एशिया के लोग एक दिन में 630 ग्राम तक सफेद चावल खाते हैं, जो डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है. (रॉयटर्स)
रिसर्च में बताया गया है कि दक्षिण एशिया के लोग एक दिन में 630 ग्राम तक सफेद चावल खाते हैं, जो डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है. (रॉयटर्स)
अगर आप चावल के शौकीन हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि आपकी थाली का सफेद चावल खाने के टेस्ट के साथ-साथ आपके ब्लड शुगर लेवल को भी बढ़ा रहा है. लंबे वक्त तक सफेद और चमकदार चावल खाने से डायबिटीज का रिस्क कई गुना तक बढ़ जाता है. यह बातें 21 देशों के लोगों पर करीब 10 साल की रिसर्च के बाद सामने आई है. इनमें से सबसे ज्यादा खतरे में दक्षिण एशिया के लोग हैं. जिसमें भारत भी आता है.
पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक, चावल हमारी थाली का अहम हिस्सा बन चुका है. शायद ही कोई हो जिसे सफेद, चमकदार, लंबे और खिले-खिले चावल खाने से परहेज हो. लेकिन एक रिसर्च में ये सामने आया है कि लंबे वक्त तक व्हाइट राइस खाना न सिर्फ ब्लड में शुगर लेवल को बढ़ाता है. बल्कि डायबिटीज जैसी गंभीर और लाइलाज बीमारी भी दे सकता है. रिसर्च के मुताबकि सफेद चावल से डायबिटीज के निशाने पर सबसे ज्यादा भारतीय हैं.
यह रिसर्च पॉपुलेशन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट हैमिल्टन हेल्थ साइंसेज और मैकमास्टर युनिवर्सिटी, कनाडा ने मिलकर की है. इस रिसर्च को डायबिटीज केयर जर्नल में भी जगह दी गई है. 21 देशों के करीब 1 लाख 30 हजार लोगों पर 10 साल तक की गई रिसर्च में व्हाइट राइस से जुड़ी कई बातें सामने आईं. रिजल्ट में पता चला कि सफेद चावल खाने से डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ जाता है. रिसर्च के मुताबिक व्हाइट राइस तैयार करते वक्त इससे विटामिन-बी जैसे पोषक तत्व निकाल दिए जाते हैं. सफेद चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ा हुआ होता है. जिसे खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है. रिसर्च में बताया गया है कि दक्षिण एशिया के लोग एक दिन में 630 ग्राम तक सफेद चावल खाते हैं, जो डायबिटीज का खतरा बढ़ाता है.
अगर सफेद चावल न खाएं तो क्या खाएं
इसका जवाब है ब्राउन राइस. व्हाइट राइस मिल में तैयार चावल होता है, जिससे भूसी और ऊपर का हिस्सा हटा दिया जाता है, जबकि बिना रिफाइन किया हुआ या पॉलिश न किया गया चावल ब्राउन राइस होता है. इसके भूरे रंग के चलते इसे ‘ब्राउन राइस’ कहते हैं. व्हाइट राइस को चमकदार बनाने के लिए इसकी पॉलिसिंग की जाती है. लेकिन इस प्रोसेसिंग और पॉलिसिंग से विटामिन-बी जैसे कई पोषक तत्व निकल जाते हैं, जबकि सफेद चावल के मुकाबले ब्राउन राइस में ज्यादा पोषक तत्व होते हैं. क्योंकि सिर्फ इसके ऊपर से धान के छिलके उतारे जाते हैं.
देखिए सफेद चावल का डायबिटीज से जुड़ा 'काला' सच!#AapkiKhabarAapkaFayda #Diabetes @tweet2prashant pic.twitter.com/MSIwCegvTI
— Zee Business (@ZeeBusiness) September 8, 2020
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सफेद चावल में कैलोरी की मात्रा भी ज्यादा होती है. यह सेहत के लिए हानिकारक है. वहीं ब्राउन राइस खाने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है. इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और फास्फोरस जैसे मिनरल मौजूद होते हैं, जो न सिर्फ सेहत के लिए बल्कि स्किन और बालों के लिए भी फायदेमंद होते हैं.
ब्राउन राइस पकने में ज्यादा वक्त लेता है. इसे चाबाना थोड़ा कठिन होता है और इसके रंग और थोड़े महंगे होने के चलते अभी भी लोग सफेद चावल को ज्यादा तरजीह देते हैं. इस रिसर्च के मुताबिक भारत में पिछले 4 से 5 दशक से पॉलिश्ड चावल खाने का चलन तेजी से बढ़ा, जिससे डायबिटीज के मामलों में भी बड़ा इजाफा हुआ.
1970 में शहरों में जो मामले सिर्फ 2 परसेंट थे वो 2015 में बढ़कर 25 परसेंट हो गए. जबकि गांवों में 1970 में ये 1 परसेंट थे जो 2015 में बढ़कर 16 परसेंट तक पहुंच गए.
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रिसर्च के मुताबिक अगर सफेद चावल की जगह अनपॉलिश ब्राउन राइस खाया जाए तो ज्यादा वजन वाले एशियाई भारतीयों में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 23 परसेंट और इंसुलिन की प्रतिक्रिया में 57 परसेंट तक की गिरावट आ सकती है. रिसर्च के मुताबिक दुनियाभर में अभी 42 करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोगों को डायबिटीज हैं जबकि 2045 तक करीब 63 करोड़ लोग इसकी चपेट में आ जाएंगे.
07:36 PM IST