Chandrayaan-2: अगले कुछ घंटों में अंधेरे में खो जाएगा विक्रम लैंडर, टूट जाएंगी सारी उम्मीदें!
Chandrayaan 2 मिशन के तहत भेजे गए विक्रम लैंडर से संपर्क करने के लिए ISRO के वैज्ञानिक अभी भी अपना पूरा प्रयास कर रहे हैं. लेकिन अब संपर्क स्थापित हो पाने की उम्मीदें कम होने लगी हैं.
अगले कुछ घंटों में विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित कर पाना होगा मुश्किल (फाइल फोटो)
अगले कुछ घंटों में विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित कर पाना होगा मुश्किल (फाइल फोटो)
Chandrayaan 2 मिशन पर भेजे गए विक्रम लैंडर से संपर्क करने की कोशिशें जारी हैं. लेकिन, अब कुछ वक्त ही बचा है. चांद पर रात होने वाली है. इसलिए अगले कुछ घंटों में संपर्क नहीं हुआ तो सारी उम्मीदें टूट जाएंगी. चांद पर रात होने पर विक्रम लैंडर से संपर्क करना मुश्किल होगा. चंद्रमा पर एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है. इसी को ध्यान में रखते हुए ISRO ने इस तरह से प्लानिंग की थी कि जब लैंडर चांद की सतह पर लैंड करे तो वहां पर दिन हो. क्योंकि, लैंडर के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान सूरज की रौशनी से ही ऊर्जा लेकर काम कर सकता है.
काफी ठंडी होती हैं चांद पर रात
चांद पर दिन और रात के तापमान में बहुत ज्यादा अंतर होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिन में अत्यधिक तापमान 127 डिग्री सेल्सियस के आस पास रहता है, वहीं रात का तापमान शून्य से माइनस 183 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. ऐसी स्थिति में ISRO के वैज्ञानिकों के लिए विक्रम लैंडर से संपर्क करना मुश्किल हो जाएगा. इस तापमान में विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक हिस्से खुद को जीवित नहीं रख पाएंगे. अगर, विक्रम लैंडर में रेडियोआइसोटोप हीटर यूनिट लगा होता तो वह खुद को बचा सकता था.
हालांकि, 14 दिनों के बाद फिर दिन निकलने पर वैज्ञानिक एक बार फिर कोशिश कर सकते हैं. लेकिन ISRO ने विक्रम लैंडर को इस तरह से बनाया था कि इसमें रखा रोवर चांद की सतह पर 14 दिन तक आंकड़े इकट्ठा कर सके. 7 सितम्बर को विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया था.
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इसरो ने देश का किया धन्यवाद
ISRO की ओर से ट्वीट कर के देश के लोगों को धन्यवाद किया गया है. ISRO ने अपने ट्वीट में Chandrayaan 2 की लांचिंग और मुश्किल समय में भी देश के लोगों का साथ खड़े रहने के लिए धन्यवाद दिया है. ISRO की ओर से कहा गया है कि हम दुनिया भर में रहने वाले भारत के लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहेंगे.
Thank you for standing by us. We will continue to keep going forward — propelled by the hopes and dreams of Indians across the world! pic.twitter.com/vPgEWcwvIa
— ISRO (@isro) September 17, 2019
विक्रम लैंडर को भेजे जा रहे हैं सिग्नल
चंद्रयान -1 के निदेशक एम. अन्नादुराई के मुताबिक, चंद्रमा की सतह पर बहुत से गढ्ढे और पहाड़ जैसी बाधाएं हैं. इसी के चलते लैंडर विक्रम (Vikram Lander) को सिग्नल भेजने और उससे सिग्नल रिसीव करने में दिक्कत हो रही है. उन्होंने बताया कि 'पहले चंद्रयान के ऑर्बिटर ने संपर्क साधने के लिए लैंडर को सिग्नल भेजे, लेकिन मौजूदा हाल में यह देखना होगा कि वह सिग्नल पकड़ पाता है या नहीं.
ऑर्बिटर और लैंडर दोंनों करते हैं कम्यूनिकेशन
अन्नादुराई के मुताबिक, ऑर्बिटर और लैंडर के बीच हमेशा दोनों तरफ से कम्यूनिकेशन होता है, लेकिन हम एक तरफा ही कम्यूनिकेशन करने की कोशिश कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि अगर विक्रम लैंडर से संपर्क हुआ भी तो ज्यादा देर के लिए इसे बनाए रखना मुश्किल होगा. इसके अलावा उन्होंने कहा, 'यह एक मुश्किल स्थिति है लेकिन हमारे वैज्ञानिक इसे संभालने में काफी सक्षम हैं.'
10:11 AM IST