US Federal Reserves: महंगाई से कोई समझौता नहीं, फेडरल रिजर्व जारी रखेगा इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी, जानिए भारत पर क्या होगा असर
US Federal reserves: जैक्सन होल की मीटिंग के बाद फेडरल चीफ जेरोम पॉवेल ने साफ कर दिया है कि अभी इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी जारी रहेगी. जब तक महंगाई पर नियंत्रण नहीं पा लिया जाता है, तब तक अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और नौकरियों के जाने का खतरा मंजूर है.
US Federal Reserves: जैक्सन होल की मीटिंग में फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने साफ-साफ कहा कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए अभी इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी रहेगा. माना जा रहा है कि सितंबर में जब फेड की बैठक होगी तो एकबार फिर से इंट्रेस्ट रेट में बड़ी बढ़ोतरी संभव है. पॉवेल ने शुक्रवार को अपना कड़ा मौद्रिक रुख आगे भी जारी रखने के स्पष्ट संकेत दिए. इधर अमेरिका में ईंधन की कीमतों में नरमी आने से जुलाई महीने में महंगाई घटकर 6.3 फीसदी रह गई. जून में उपभोक्ता महंगाई दर 6.8 फीसदी रही थी जो 1982 के बाद का सर्वाधिक स्तर था. कॉमर्स डिपार्टमेंट की तरफ से यह डेटा जारी किया गया है.
अमेरिकी बाजार हुआ धड़ाम
बता दें कि इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी के कारण अमेरिकी बाजार शुक्रवार को धड़ाम हो गया. डाउ जोन्स में 3 फीसदी और नैसडैक में 3.94 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. सितंबर के महीने में फिर से फेडरल रिजर्व की बैठक है, जिसमें इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी की जाएगी. फेडरल के ऐलान के बाद भारतीय बाजार पर तात्कालिक दबाव दिख सकता है. इसके अलावा रिजर्व बैंक पर भी रेपो रेट बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा.
कॉमर्स और लेबर, दोनों डिपार्टमेंट डेटा जारी करता है
अमेरिका में कॉमर्स डिपार्टमेंट की तरफ से जो महंगाई का डेटा जारी किया जाता है उसे पर्सनल कंजप्शन एक्सपेंडिचर (PCE) कहा जाता है. लेबर डिपार्टमेंट की तरफ कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) जारी किया जाता है. फेडरल रिजर्व के लिए पीसीई का डेटा महत्वपूर्ण है. सीपीआई की बात करें तो जुलाई में यह 8.5 फीसदी था, जबकि जून के महीने में यह 9.1 फीसदी था.
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अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी, नौकरी जाने का भी खतरा
पॉवेल ने जैक्सन होल में आयोजित फेडरल रिजर्व की सालाना आर्थिक संगोष्ठि को संबोधित करते हुए कहा, "फेडरल का कर्ज को लेकर सख्त रुख जारी रहने से परिवारों एवं कारोबारों को काफी तकलीफ होगी. कर्ज की दरें महंगी होने से अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी और नौकरियों के जाने का भी खतरा होगा."
दो बार में इंट्रेस्ट रेट में 1.5 फीसदी की तेजी
उन्होंने कहा, "महंगाई को नीचे लाने की यह दुर्भाग्यपूर्ण लागत है. लेकिन कीमतों में स्थिरता लाने में नाकाम रहना कहीं ज्यादा दर्दनाक होगा." निवेशकों ने पिछले कुछ दिनों से फेडरल रिजर्व के रुख में नरमी आने की उम्मीद लगाई हुई थी. लेकिन पॉवेल के इस संबोधन ने उनकी उम्मीदें तोड़ दी हैं. उन्होंने ऐसे संकेत दिए हैं कि ब्याज दरों में कमी करने का वक्त अभी नहीं आया है. फेडरल रिजर्व ने पिछली दो बार 0.75-0.75 फीसदी की बढ़ोतरी नीतिगत दर में की है. यह 1980 के दशक के बाद फेडरल रिजर्व की सर्वाधिक तीव्र वृद्धि रही है.
ईंधन के दाम में कमी से महंगाई में गिरावट
जुलाई में महंगाई दर घटकर 6.3 फीसदी रह गई. वाणिज्य विभाग की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में उपभोक्ता कीमतें एक साल पहले की तुलना में 6.3 फीसदी बढ़ीं. इसके पहले जून में उपभोक्ता महंगाई दर 6.8 फीसदी रही थी, जो 1982 के बाद का सर्वाधिक स्तर था. महंगाई में नरमी आने की बड़ी वजह ईंधन की कीमतों में आई गिरावट रही. जून में ऊंचे स्तर पर रहे ईंधन के दाम जुलाई में गिर गए.
आने वाले समय में महंगाई से राहत की उम्मीद
अमेरिका में महंगाई का बढ़ना वर्ष 2021 के अंतिम महीनों में शुरू हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद इसमें और तेजी आ गई. वाणिज्य विभाग ने कहा कि मासिक आधार पर उपभोक्ता कीमतें जून की तुलना में जुलाई में 0.1 फीसदी गिर गईं. इसके पहले श्रम विभाग भी जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में गिरावट की जानकारी दे चुका है. इन दोनों आंकड़ों से यही संकेत मिलता है कि आने वाले समय में महंगाई-जनित दबावों में थोड़ी नरमी आ सकती है. वैसे श्रम विभाग का आंकड़ा वाणिज्य विभाग के महंगाई आंकड़े की तुलना में कहीं अधिक चर्चित है. लेकिन फेडरल रिजर्व अपने नीतिगत फैसले लेते समय वाणिज्य विभाग के आंकड़े को अधिक तवज्जो देता है.
(भाषा इनपुट)
04:19 PM IST