RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया, 6.50% पर बरकरार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो रेट 6.25% पर बरकरार रखा है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. (फाइल फोटो)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. (फाइल फोटो)
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. वहीं, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिवर्स रेपो रेट 6.25% पर बरकरार रखा है. वहीं, CRR को भी मौद्रिक नीति में 4 फीसदी पर स्थितर रखा गया है. आपको बता दें, MPC के 6 सदस्यों में 5 ने ब्याज दर नहीं बढ़ाने के पक्ष में वोट किया.
GDP ग्रोथ अनुमान स्थिर रखा
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. रिजर्व बैंक ने क्रेडिट पॉलिसी में SLR में कटौती की है. SLR 0.25 फीसदी घटाया गया है. मौजूदा SLR 19.25% से घटाकर 18 फीसदी किया जाएगा, हर तिमाही में चौथाई फीसदी की कटौती के साथ 18% लाने का लक्ष्य है.
महंगाई का लक्ष्य घटाया
आरबीआ ने अगले 6 महीने के लिए महंगाई दर का लक्ष्य घटा दिया है. दूसरी छमाही के लिए महंगाई का लक्ष्य घटा दिया है. H2FY19 के लिए महंगाई अनुमान को घटाकर 2.7 फीसदी रखा गया है. वहीं, आरबीआई की मोद्रिक नीति के सदस्यों का कहना है कि जरूरत पड़ी तो आगे ब्याज दरों को बढ़ाया जाएगा.
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पॉलिसी में क्या-क्या हुआ
- H2Fy19 के लिए महंगाई अनुमान घटाकर 2.7 फीसदी किया.
- जरूरत पड़ी तो आगे ब्याज दर बढ़ा सकता है RBI.
- कच्चे तेल की कीमतों को लेकर अनिश्चितता बरकरार.
- राज्य, केंद्र सरकार के खर्च बढ़ने से महंगाई पर असर संभव.
- कच्चे तेली की कीमतों में कमी से ऑटो कंपनियों ने नतीजे सुधरेंगे.
- MSP का महंगाई पर कितना असर होगा कहना मुश्किल है.
तीन दिसंबर से हो रही MPC की बैठक
रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की छह सदस्यीय समिति की बैठक तीन दिसंबर से हो रही है. यह चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक है. पिछली मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत हुआ और 70 के महत्वपूर्ण स्तर से नीचे आ गया है. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव भी नरम हुए और 86 डॉलर प्रति बैरल से नीचे 60 डॉलर प्रति बैरल पर आ गये हैं.
हालांकि, आर्थिक वृद्धि दर सितंबर तिमाही में नरम होकर 7.1 प्रतिशत रही. इससे पूर्व पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह दो साल के उच्च स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी. फल, सब्जी और अंडा, मछली जैसे प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सस्ता होने से खुदरा मुद्रास्फीति भी अक्तूबर महीने में 3.31 प्रतिशत रही जो एक महीने का न्यूनतम स्तर है.
03:15 PM IST