RBI की पूंजी तय करने के लिए बनी एक्सपर्ट कमिटी, MSME को मिलेगा अधिक कर्ज
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने 9.69 करोड़ रुपए की अधिशेष पूंजी से संबंधित मुद्दे की जांच परख यह एक्सपर्ट कमिटी ही करेगी.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में केंद्रीय निदशेक मंडल की बैठक हुई. (फाइल फोटो)
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में केंद्रीय निदशेक मंडल की बैठक हुई. (फाइल फोटो)
सरकार और आरबीआई के बीच मतभेद की खबरों के बीच रिजर्व बैंक के बोर्ड की बहुप्रतीक्षित बैठक हो गई. सूत्रों ने बताया कि आरबीआई ने बैठक में फाइनेशियल सेक्टर के लिए तरलता बढ़ाने और लघु उद्योगों के लिए कर्ज में इजाफा करने पर सहमति जताई. आपको बता दें कि 9 घंटे चली इस बैठक में इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ईसीएफ) के लिए एक्स्पर्ट कमिटी बनाने पर सहमति बनी है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निदेशक मंडल ने 9.69 करोड़ रुपए की अधिशेष पूंजी से संबंधित मुद्दे की जांच परख यह एक्सपर्ट कमिटी ही करेगी. बैठक में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (MSME) क्षेत्र में फंसी परिसंपत्तियों के पुनर्गठन के लिए भी एक योजना पर विचार करने की भी सलाह दी है.
रिजर्व बैंक के स्वतंत्र निदेशक और स्वदेशी विचार एस. गुरुमूर्ति तथा वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि इस कोष को वैश्विक मानकों के अनुरूप कम किया जाना चाहिए. बैठक में जिस विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला किया गया है वह इस कोष के उचित स्तर के बारे में अपनी सिफारिश देगी.
सोमवार को 9 घंटे चली आरबीआई निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला भी लिया गया है कि रिजर्व बैंक के पास पूंजी का कितना आरक्षित भंडार रहना चाहिए इस विवादित मुद्दे को एक विशेषज्ञ समिति के हवाले करने पर दोनों के बीच सहमति बनी है. हालांकि, समिति के सदस्यों के बारे में सरकार और रिजर्व बैंक दोनों मिलकर फैसला करेंगे.
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आरबीआई का वित्तीय निगरानी बोर्ड (BFS) उन बैंकों से जुड़े मामलों की जांच करेगा, जिन्हें आरबीआई ने त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) की रूपरेखा के अंतर्गत रखा है. केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक को 25 करोड़ रुपए की कुल ऋण सुविधा के साथ छोटे एवं मझोले उद्योगों की दबाव वाली परिसंपत्तियों का पुनर्गठन करने की योजना पर विचार करने का भी सुझाव दिया है.
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में केंद्रीय निदशेक मंडल की बैठक हुई. यह बैठक वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों में गहरे मतभेद पैदा होने के बीच हुई. बैंकों के लिए बेसल नियामकीय पूंजी ढांचा रूपरेखा, छोटे उद्योगों के फंसे कर्ज के मामले में पुनर्गठन योजना, कमजोर बैंकों के लिए जारी त्वरित सुधारात्मक कारवाई (पीसीए) के नियमों और आर्थिक पूंजी रूपरेखा ढांचे को लेकर दोनों के बीच मतभेद है.
सूत्रों का कहना है कि बैठक के दौरान किसी भी प्रस्ताव पर मतदान की नौबत नहीं आई. डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन ने बोर्ड के समक्ष विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. विश्वनाथन रिजर्व बैंक में बैंकिंग नियमन और निरीक्षण विभाग के प्रभारी हैं.
(भाषा)
10:54 AM IST