भारत के विकास में प्राइवेट सेक्टर बनेगा मुख्य संचालक, बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता
NITI AYOG: यह लक्ष्य सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र से हासिल नहीं होगा बल्कि इसमें निजी क्षेत्र को भूमिका अदा करनी होगी क्योंकि इसके लिए व्यापक निवेश की आवश्कता है.
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपना निवेश घटाकर 50 फीसदी से नीचे लाने को इच्छुक है. (पीटीआई)
सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपना निवेश घटाकर 50 फीसदी से नीचे लाने को इच्छुक है. (पीटीआई)
सरकार के देश के विकास का मुख्य संचालक बनने का कोई इरादा नहीं है और यह भूमिका निजी क्षेत्र को मिलेगी. यह बात आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कही है. उन्होंने न्यूयॉर्क में आयोजित इंडिया इन्वेस्टमेंट सेमिनार में कहा कि भारत सरकार निजी क्षेत्र को राष्ट्र निर्माण में भूमिका अदा करने के लिए मौका और प्रोत्साहन प्रदान करेगी.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था में कई मौलिक कार्य किए गए हैं जिनमें समावेश पर ध्यान केंद्रित रहा है और अब तीव्र विकास को लेकर सरकार में सर्वसम्मति है. कुमार ने कहा कि भारत अगले पांच साल में बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है. उन्होंने कहा, "आपको एक दशक से ज्यादा का सतत उच्च विकास दर देखने को मिलेगा."
उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य सिर्फ सार्वजनिक क्षेत्र से हासिल नहीं होगा बल्कि इसमें निजी क्षेत्र को भूमिका अदा करनी होगी क्योंकि इसके लिए व्यापक निवेश की आवश्कता है. उन्होंने उदाहरण पेश करते हुए कहा कि पहली बार निजी क्षेत्र को रेलवे में निवेश के लिए आमंत्रित किया गया है.
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उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में अपना निवेश घटाकर 50 फीसदी से नीचे लाने को इच्छुक है. विकास को रफ्तार देने के लिए जिन क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत है उनमें कृषि, खनन, वस्त्र उद्योग, चमड़ा उद्योग और परिवहन व निर्यात का क्षेत्र है जिनकी हालत अच्छी नहीं है.
(इनपुट एजेंसी से)
09:00 AM IST