अनिल सिंघवी FM होते तो कैसा होता राहत पैकेज? जानिए क्या था उनका जवाब
राहत पैकेज और स्टीमुलस पैकज में अंतर होता है. एक तो आप राहत दे रहे हैं और दूसरी तरफ तेजी का ट्रिगर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार ने पिछले दिनों जो भी घोषणाएं की थीं, वे राहत पैकेज हैं, स्टीमुलस पैकेज नहीं.
बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे. अर्थ जगत के जानकारों ने वित्त मंत्री की इन घोषणाओं को मिनी बजट का नाम दिया था.
बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे. अर्थ जगत के जानकारों ने वित्त मंत्री की इन घोषणाओं को मिनी बजट का नाम दिया था.
अगर अनिल सिंघवी वित्त मंत्री होते तो FIIs, ऑटो सेक्टर और बैंकिंग सेक्टर को दिए गए राहत पैकेज की शक्ल क्या होती? ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर से जब ये सवाल उनके सहयोगी डिंपी कालरा ने किया तो अनिल सिंघवी ने काफी रोचक अंदाज में इसका जवाब दिया. हालांकि, उन्होंने पहले ये समझाया कि राहत और स्टिमुलस पैकेज में क्या अंतर होता है.
बता दें कि बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने के लिए कई बड़े ऐलान किए थे. अर्थ जगत के जानकारों ने वित्त मंत्री की इन घोषणाओं को मिनी बजट का नाम दिया था. इनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) पर लगा सरचार्ज वापस ले लिया गया. कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के उल्लंघन पर जेल की सजा खत्म कर दी गई और मामले को सिविल शक्ल देकर जुर्माने तक सिमटाना आदि शामिल हैं.
राहत पैकेज और स्टीमुलस पैकज में अंतर होता है. एक तो आप राहत दे रहे हैं और दूसरी तरफ तेजी का ट्रिगर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार ने पिछले दिनों जो भी घोषणाएं की थीं, वे राहत पैकेज हैं, स्टीमुलस पैकेज नहीं. आप सिर्फ राहत की बात कर रहे हैं. स्टीमुलस का मतलब होता है कि आपको तेजी से दौड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है. स्टीमुलस पैकेज टैक्स में कटौती से आता है.
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डिंपी कालरा ने किया सवाल, अगर अनिल सिंघवी FM होते तो कैसा होता राहत पैकेज?@AnilSinghvi_ pic.twitter.com/PAQa5PCC1e
— Zee Business (@ZeeBusiness) August 26, 2019
जैसे वित्त मंत्री ने ऑटो सेक्टर को राहत देने की बात कही थी, लेकिन अगर फौरन ऐलान कर देते कि इस सेक्टर में जीएसटी की दर 18 फीसदी कर रहे हैं. वह स्टिमुलस होता.
अनिल सिंघवी ने कहा, 'अगर मैं वित्त मंत्री होता तो सबसे पहला काम यह करता कि टैक्स का लेवल 25 फीसदी करता. कॉरपोरेट से लेकर व्यक्तिगत टैक्स तक, सभी का एक स्लैब 25 प्रतिशत का होता.'
लोगों को काम करने के लिए, निवेश के लिए, पैसा कमाने के लिए तो कुछ तो मोटिवेशन चाहिए. यही तो आउट ऑफ बॉक्स थिंकिंग होती है.
06:12 PM IST