आम आदमी को बड़ी राहत! 6 महीने तक नहीं बढ़ेंगे खाने के तेल के दाम, सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला
Edible Oil: खाने के तेलों पर मौजूदा कंसेशनल इम्पोर्ट ड्यूटी की समयसीमा को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया जाएगा. इससे घरेलू सप्लाई बढ़ेगी और कीमतें नियंत्रित रहेंगी. वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण खाने के तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा है.
भारत 60% से अधिक खाने का तेल आयात करता है. (Pixabay)
भारत 60% से अधिक खाने का तेल आयात करता है. (Pixabay)
Edible Oil: खाने के तेल की कीमतें आगे नहीं बढ़े, इसके लिए सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) ने खाने के तेल आयात पर कंसेशनल इम्पोर्ट ड्यूटी (Concessional Import Duties) को मार्च, 2023 तक और 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इस कदम का उद्देश्य एडिबल ऑयल की घरेलू सप्लाई को बढ़ाना और कीमतों को नियंत्रण में रखना है. एक अधिसूचना में केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कहा कि खाने के तेलों पर मौजूदा कंसेशनल इम्पोर्ट ड्यूटी की समयसीमा को 31 मार्च, 2023 तक बढ़ाया जाएगा.
31 मार्च 2023 तक ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) ने कहा, कच्चे पाम तेल, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल, रिफाइंड सोयाबीन तेल, कच्चे सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर मौजूदा ड्यूटी स्ट्रक्चर 31 मार्च, 2023 तक अपरिवर्तित रहेगी.
कितनी है ड्यूटी?
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फिलहाल कच्चा पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल किस्मों पर इम्पोर्ट ड्यूटी जीरो है. हालांकि, 5% के एग्री सेस और 10% के सोशल वेलफेयर सेस को ध्यान में रखते हुए इन तीन खाने तेलों की कच्ची किस्मों पर प्रभावी शुल्क 5.5% है. पामोलिन और पाम तेल की रिफाइंड किस्मों पर मूल कस्टम ड्यूटी 12.5% है, जबकि सोशल वेलफेयर सेस 10% है. प्रभावी शुल्क 13.75% बनता है. रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर मूल कस्टम ड्यूटी 17.5% है और 10% सोशल वेलफेयर सेस को ध्यान में रखते हुए प्रभावी शुल्क 19.25% बैठता है.
ग्लोबल कीमतों में गिरावट से घटे तेल के दाम
SEA के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि सरकार ने उपभोक्ता हित में कंसेशनल ड्यूटी की समयसीमा को मार्च तक बढ़ाने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सोयाबीन (Soybean) जैसी खरीफ तिलहन की फसल घरेलू बाजार में आने के बाद सरकार को अक्टूबर में शुल्क ढांचे पर फिर से विचार करने की जरूरत होगी. मेहता ने कहा कि वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण खाने के तेल कीमतों में गिरावट का रुख रहा है.
पिछले कुछ महीनों में खाद्य मंत्रालय ने खाने के तेल कंपनियों को वैश्विक कीमतों में गिरावट का लाभ घरेलू उपभोक्ताओं को देने का निर्देश दिया था. उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 1 सितंबर की स्थिति के अनुसार, मूंगफली तेल का औसत खुदरा मूल्य 188.04 रुपये प्रति किलोग्राम, सरसों का तेल 172.66 रुपये प्रति किलोग्राम, वनस्पति 152.52 रुपये प्रति किलोग्राम, सोयाबीन तेल 156 रुपये प्रति किलोग्राम, सूरजमुखी तेल 176.45 रुपये प्रति किग्रा और पाम तेल 132.94 रुपये प्रति किग्रा है.
60% से अधिक खाने का तेल आयात करता है भारत
पिछले साल भर में खाने तेल की कीमतों के उच्चस्तर पर बने रहने के साथ, सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए कई मौकों पर पाम तेल पर इम्पोर्ट ड्यूटी में कटौती की थी. भारत अपनी एडिबल ऑयल की जरूरत का 60% से अधिक आयात करता है, ऐसे में वैश्विक बाजार के अनुरूप पिछले कुछ महीनों में खुदरा कीमतें दबाव में आ गईं. अक्टूबर को समाप्त होने वाले ऑयल मार्केटि ईयर 2020-21 में भारत ने 1.17 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड खाने तेल का आयात किया.
02:20 PM IST