कोरोना की दूसरी लहर बिगाड़ेगी अर्थव्यवस्था की सेहत! SBI ने FY22 के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया
एसबीआई ने वित्त वर्ष 2022 के लिए देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 11 फीसदी से घटाकर 10.4 फीसदी कर दिया है.
सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को होने का अनुमान है.
सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को होने का अनुमान है.
COVID19 2nd wave Impact on Indian Economy: देश में कोरोना की बेकाबू दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. महामारी को काबू में पाने के लिए देश के कई राज्यों में आंशिक या पूर्ण लॉकडाउन लगाए जाने का असर आर्थिक गतिविधियों पर देखा जा रहा है. एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश राज्यों में लॉकडाउन, मिनी लॉकडाउन या नाइट कर्फ्यू चल रहा है, जिससे वित्त वर्ष 2022 में GDP को करीब 1.50 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को होने का अनुमान है. इन हालातों को देखते हुए एसबीआई ने वित्त वर्ष 2022 के लिए देश की आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी का अनुमान 11 फीसदी से घटाकर 10.4 फीसदी कर दिया है. जबकि, बैंक की रिपोर्ट में नॉमिनल जीडीपी 14.3 फीसदी रहने का आकलन है. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 10.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
महाराष्ट्र को सबसे ज्यादा नुकसान
कोरोना की दूसरी वेव में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, छत्तीसगढ़ हैं. एसबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड19 संक्रमण को रोकने के लिए राज्यों में लगाए जा रहे लॉकडाउन से आर्थिक गतिवधियों पर असर हो रहा है. इससे वित्त वर्ष 2022 में 1,49,970 करोड़ रुपये की जीडीपी का नुकसान हो सकता है. इसमें करीब 80 फीसदी नुकसान तीन राज्यों महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान को होगा. उसमें से भी 54 फीसदी अकेले नुकसान महाराष्ट्र को होने का अनुमान है.
30 अप्रैल तक के लॉकडाउन से महाराष्ट्र को अकेले तकरीब 82 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. पूरे महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूरों का अपने राज्यों को पलायन जारी है. वेस्टर्न रेलवे की तरफ से 1-12 अप्रैल तक के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 4.32 लाख प्रवासी मजदूरी महाराष्ट्र से यूपी, बिहार, ओडिशा, असम, पश्चित बंगाल जैसे राज्यों को लौट गए. इनमें से करीब 3.3 लाख यूपी और बिहार लौटे हैं. निश्चित रूप से इसका असर उत्पादन पर पड़ेगा.
वैक्सीन से ज्यादा खर्चीला लॉकडाउन
एसबीआई की रिपोर्ट में यह साफ तौर पर कहा गया है कि राज्य अगर वैक्सीनेशन का खर्च उठाते हैं तो यह जीडीपी को होने वाले नुकसान की तुलना में काफी कम होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि जनहानि को रोकने के लिए वैक्सीनेशन को तेजी देनी होगी. आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 90 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है. इनमें से करीब 84 फीसदी डोज अकेले टॉप 15 देशों में लगाई गई है. भारत में अभी तक केवल 1.2 फीसदी आबादी का ही वैक्सीनेशन हो पाया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य आगामी 1 मई से सीधे वैक्सीन मैन्युफैक्चरर से खरीद सकते हैं. 13 राज्यों के लिए हमारे अनुमान से पता चलता है कि टीका लगाने की लागत राज्यों के स्वास्थ्य व्यय बजट का करीब 15-20% है. इन राज्यों में आधी आबादी को केंद्र सरकार की ओर से वैक्सीन लगवाने का आकलन है. बावजूद इसके यह जीडीपी का सिर्फ 0.1 फीसदी होगा. यह लॉकडाउन से होने वाले नुकसान से बहुत कम है. फिलहाल लॉकडाउन से जीडीपी का करीब 0.7 फीसदी नुकसान हो चुका है.
ऑक्सीजन जल्दी कैसे पहुंचे
एसबीआई रिसर्च ने अपने रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लाई जल्द से जल्द अस्पतालों तक पहुंचाने पर एक सुझाव दिया है. एसबीआई का कहना है कि ऑक्सीजन ले रहे टैंकर्स को एंबुलेंस का दर्जा दिया जाए, जिससे कि वो तेजी बिना कहीं रुके कम समय में डेस्टिनेशन तक पहुंच सके. दूसरी ओर, भारत सरकार को ऑक्सीजन डाटा का नियमित एनॉलसिस करना चाहिए और सीधे सप्लाई करनी चाहिए. ऑक्सीजन की कमी का मामला सीधे तौर पर सप्लाई चेन का सही तरह इस्तेमाल नहीं हो पाना है.
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2021 में एसबीआई बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स गिरा है. 19 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में यह 86.3 पर था, जोकि पांच महीने का निचला स्तर है. इससे पहले नवंबर 2021 में यह 85.7 पर था. बिजनेस गतिविधियों के लगभग सभी इंडिकेटर्स जैसेकि मोबिलिटी, मंडियों साप्ताहिक खाद्य पदार्थों की आवक और आरटीओ का रेवेन्यू कलेक्शन में गिरावट है.
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04:53 PM IST