बिहार की विकास दर में जबरदस्त उछाल, इन क्षेत्रों में हुई बड़ी तरक्की
Bihar growth: बिहार में अनाजों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. अनाज उत्पादन 2013-14 के 15.72 लाख टन से 2017-18 में 17.35 लाख टन हो गया है. मक्का के उत्पादन वृद्धि दर 6 प्रतिशत और चावल में 4.0 प्रतिशत रही है.
राजस्व अधिशेष 2013-14 में 6441 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 14,823 करोड़ रुपये हो गया.
राजस्व अधिशेष 2013-14 में 6441 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 14,823 करोड़ रुपये हो गया.
बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को बताया कि राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (राज्य जीडीपी) की वृद्धि दर 2017-18 में बढ़ कर 11.3 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई. राज्य विधान मंडल के बजट सत्र के प्रथम दिन विधान सभा में बिहार का 13वां आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश करने के बाद सुशील ने पत्रकारों को बताया कि 1917-18 में बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर इससे पिछले वित्तीय वर्ष के 9.9 प्रतिशत से बढकर 11.3 प्रतिशत जबकि इन वर्षों के दौरान राष्ट्रीय आर्थिक वृद्धि दर 7 प्रतिशत के आसपास रही है.
राजस्व अधिशेष की स्थिति शानदार
बिहार 2007-2008 से लगातार राजस्व अधिशेष की स्थिति में रहा है. राजस्व अधिशेष 2013-14 में 6441 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 14,823 करोड़ रुपये हो गया. सुशील ने कहा कि 2018-19 के दौरान राजस्व अधिशेष 21,312 करोड़ रुपये अनुमानित है जिसे बेहतर वित्तीय प्रबंधन का परिणाम माना जा रहा है. उन्होंने कहा कि राजस्व अधिशेष का उपयोग सड़क, भवन आदि जैसे परिसंपत्ति निर्माण के लिए किया जा सकता है.
अनाजों के उत्पादन में काफी वृद्धि
सुशील ने कहा कि राज्य सरकार का प्राथमिक घाटा 2016-17 के 8,289 करोड़ रुपये से घटकर 2017-18 में 5,251 करोड़ रुपये रह गया है. प्राथमिक घाटे में कमी के कारण 2017-18 में सकल राजकोषीय घाटा भी 2016-17 के 16,480 करोड़ रुपये से घटकर 2017-18 में 14,305 करोड़ रुपये रह गया जो सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.9 प्रतिशत था. उन्होंने कहा कि बिहार में अनाजों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. अनाज उत्पादन 2013-14 के 15.72 लाख टन से 2017-18 में 17.35 लाख टन हो गया है. मक्का के उत्पादन वृद्धि दर 6 प्रतिशत और चावल में 4.0 प्रतिशत रही है.
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बिहार के वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी (फाइल फोटो - आईएएनएस)
बिजली उपलब्धता में काफी सुधार
सुशील ने कहा कि बिहार में बिजली की चरम मांग पूरी करने के मामले में काफी सुधार हुआ है. बिजली उपलब्धता 2011-12 के 1712 मेगावाट से 2017-18 में 4,535 मेगावाट हो गई है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली उपलब्धता 6-8 घंटे से बढ़कर 18-20 घंटे और शहरी क्षेत्रों में 10-12 घंटे से बढ़कर 22-24 घंटे हो गई है. उन्होंने कहा कि राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 2011-12 के 134 किलोवाट आवर से बढ़कर 2017-18 में 280 किलोवाट आवर हो गई है. सुशील ने वाहनों की खरीद बिक्री बढ़ने पर भी खुशी जताई और कहा कि वर्ष 2016-17 में 7 लाख 64 हजार वाहन की बिक्री हुई थी जो बढ़कर 2017-18 में 11,18,000 हो गई. उन्होंने कहा कि बिहार में हवाई यात्रियों के यातायात में 2017-18 में गत वर्ष की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है.
(इनपुट एजेंसी से)
09:15 PM IST