जिस बगीचे को काटने की थी तैयारी प्राकृतिक खेती ने दी नई जान, अब हो रही मोटी कमाई
Natural Farming: रासायनिक खेती की तुलना में प्राकृतिक खेती काफी फायदेमंद हैं. इसमें खेती की लागत कम आती है जिससे मुनाफा बढ़ जाता है.
अन्य किसानों को दे रही हैं प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग. (Image- HP Agri Dept.)
अन्य किसानों को दे रही हैं प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग. (Image- HP Agri Dept.)
Natural Farming: अगर हम देखें तो खेती में पुरुषों का ही वर्चस्व है. ऐसे में कोई महिला खेती के बूते पहचानी जाए तो यह अपने आप में अनूठी बात है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला की महिला किसान मनजीत कौर ने खेती (Agriculture) से अपनी पहचान बनाई और जिला भर के किसानों के लिए प्रेरणा बनकर उभरी हैं. मनजी ने सुभाष पालेकर से पालमपुर में ट्रेनिंग लेकर प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) की शुरुआत की.
मनजीत का कहना है कि उन्होंने खेती-बागवानी में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. जब वह पुरानी पद्धति से खेती कर रही थी तो गिरता उत्पादन चिंता का बड़ा विषय था. एक समय तो ऐसा भी आया कि 6 बीघा के संतरे का बगीचा 5-10 हजार रुपये में ठेके पर जाने लगा. ऐसे में वह पूरा बगीचा काटने की सोच रही थी, लेकिन किचन-गार्डन में प्राकृतिक खेती के सफल प्रयोग ने उन्हें बगीचे में भी इस विधि को अपनाने के लिए प्रेरित किया.
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प्राकृतिक खेती अपनाने से बढ़ी आमदनी
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आज उसी संतरे के बगीचे का ठेका 60 हजार रुपये में जा रहा है. मनजीत ने बताया कि प्राकृतिक खेती से उनका बगीचा फिर से जी उठा. पहले संतरा पकने तक ही फल नीचे गिर जाते थे. अब इससे छुटकारा मिल गया है और उन्होंने नए पौधे भी लगाए हैं. बगीचे के साथ खेत में भी मनजीत अंतर फसलें ले रही हैं. पिछले तीन वर्षों में विविध फसलों के साथ वह 32 कनाल जमीन को प्राकृतिक खेती के अधीन ला चुकी है.
अन्य किसानों को दे रही हैं ट्रेनिंग
मनजीत प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत अन्य किसानों को इस खेती के गुर सिखा रही हैं. किसानों को ट्रेनिंग देने के बाद मनजीत ने राधे श्याम महिला समूह को भी इस खेती की तरफ मोड़ा. आस-पास के क्षेत्रों में इस विधि के जरिए वह 28 से ज्यादा प्रशिक्षण शिविर लगा चुकी हैं.
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मनजीत मटर, टमाटर, गेहूं, मक्की, सरसों, संतरा और आम की खेती करती हैं. हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, मनजीत का कहना है कि रासायनिक खेती में उनका खर्च 15,000 रुपये होता था और कमाई 53,500 रुपये होती थी. लेकिन प्राकृतिक खेती (Natural Farming) अपनाने के बाद अब उनका खर्च घटकर 6,000 रुपये हो गया है, आमदनी 50,000 रुपये से ज्यादा हो गई है.
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