भारत के मछली निर्यात में गुजरात का 17% का योगदान, उत्पादन बढ़ाने के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर
Fish Farming: गुजरात सरकार ने अब मछली पकड़ने वाले अपने पारंपरिक समुदाय से गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की क्षमता का दोहन करने के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी को अपनाने का आग्रह किया है, जिससे उसकी मत्स्य पालन सेक्टर में क्षमता बढ़ाने में बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं पैदा होगी.
(Image- Freepik)
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Fish Farming: देश में 1,600 किलोमीटर की सबसे लंबी तटरेखा गुजरात (Gujarat) की है और पिछले चार वर्षों में सालाना औसतन 8.5 लाख टन समुद्री मछली (Marine Fish) का उत्पादन यहां हुआ है. राज्य 5,000 करोड़ रुपये के निर्यात से भारत के मछली निर्यात में 17% का योगदान दे रहा है. गुजरात सरकार ने अब मछली पकड़ने वाले अपने पारंपरिक समुदाय से गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की क्षमता का दोहन करने के लिए मॉडर्न टेक्नोलॉजी को अपनाने का आग्रह किया है, जिससे उसकी मत्स्य पालन (Fish Farming) सेक्टर में क्षमता बढ़ाने में बढ़ोतरी की अपार संभावनाएं पैदा होगी.
राज्य की राजधानी गांधीनगर में 10 से 12 जनवरी 2024 को आयोजित होने वाले ‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट’ (Vibrant Gujarat Global Summit) के 10वें संस्करण से इस उद्योग को और समर्थन मिलने की उम्मीद है. द्विवार्षिक शिखर सम्मेलन व्यवसायों तथा सरकारों के लिए निवेश के अवसरों की पहचान करने और साझेदारी स्थापित करने के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान करता है.
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मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल ने एक कार्यक्रम में कहा, गुजरात की सबसे लंबी करीब 1,600 किलोमीटर की तटरेखा (Coastline) है. यह मछली उत्पादन में सबसे आगे है. आज गुजरात 5,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का मछली निर्यात कर रहा है, जिससे भारत के कुल मछली निर्यात में राज्य का योगदान 17% हो गया है.
पटेल ने कहा, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने मत्स्य पालन (Fish Farming) क्षेत्र के समग्र विकास के लिए सागर खेडू सर्वंगी विकास (Sagar Khedu Sarvangi Vikas Yojan) योजना शुरू की जो बेहद सफल रही. आज गुजरात की नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) तेजी से बढ़ रही है.
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मछुआरों को दी गई नई गैस मशीनें
अधिकारियों और मछली पकड़ने वाले समुदाय के सदस्यों ने कहा कि उद्योग मछली पकड़ने से लेकर प्रोसेसिंग तक, रोजगार पैदान करने और राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में मछुआरा समुदाय के नेता जीतू कहाड़ा ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें छोटे पारंपरिक मछुआरों को नई गैस मशीनें उपलब्ध कराने की योजना लेकर आई हैं, जिससे उन्हें कई तरह से फायदा हो रहा है.
आय में बढ़ोतरी
इस साल जुलाई में राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में (अस्थायी) समुद्री मछली उत्पादन 6,97,151 मीट्रिक टन और अंतर्देशीय मछली उत्पादन 2,07,078 मीट्रिक टन होने की संभावना है. राज्य सरकार के अनुसार, गुजरात में एक मछुआरा परिवार की औसत वार्षिक आय पिछले पांच वर्षों में 6.56 लाख रुपये से बढ़कर 10.89 लाख रुपये हो गई है. राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, मशीनी नाव पारंपरिक नौकाओं से कहीं अधिक हैं. पारंपरिक नौकाओं की संख्या 8,625 और मशीनी नाव की 28,355 हैं.
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केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने हाल ही में यहां आयोजित ‘ग्लोबल फिशरीज कॉन्फ्रेंस इंडिया’ 2023 में कहा था कि ध्यान अब गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की क्षमता का दोहन करने पर दिया जा रहा है. केंद्र और राज्य दोनों सरकारें संयुक्त रूप से पारंपरिक मछुआरों को गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाली नौकाएं दिलवाने में मदद करके इस बदलाव में योगदान दे रही है. उन्होंने कहा कि यह मदद केंद्र की योजनाओं, नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana) के जरिए की जा रही है.
02:45 PM IST