रिटायरमेंट के बाद फौजी बन गया किसान, ट्रेनिंग ले शुरू की खेती, अब कमा रहा मोटा मुनाफा, जानिए कैसे
Natural Farming: सरहद पर देश की रक्षा के बाद अब सुरेश कुमार मिट्टी की सेवा और रक्षा में जुट गए हैं. उन्होंने रासायनों को छोड़कर मिट्टी की सेवा करने का फैसला लिया.
प्राकृतिक खेती को आजमाया खर्च घट गया जबकि आय दोगुनी से ज्यादा हो गई. (Photo- HP Agri Dept.)
प्राकृतिक खेती को आजमाया खर्च घट गया जबकि आय दोगुनी से ज्यादा हो गई. (Photo- HP Agri Dept.)
Natural Farming: सरहद पर देश की रक्षा के बाद अब सुरेश कुमार मिट्टी की सेवा और रक्षा में जुट गए हैं. उन्होंने रासायनों को छोड़कर मिट्टी की सेवा करने का फैसला लिया है. सुरेश अब प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से जुड़ गए. उसने प्राकृतिक खेती के जनक पद्मश्री सुभाष पालेकर से भरतपुर, राजस्थान में प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग ली. इसके बाद उन्होंने एक कनाल में इस खेती विधि को प्रयोग के तौर पर शुरू किया और इसके बाद उन्होंने अपनी पूरी 15 कनाल या साढ़े सात बीघा जमीन में प्राकृतिक खेती (Prakritik Kheti) विधि को अपनाया.
प्राकृतिक खेती से उगा रहे सब्जियां
सुरेश के मुताबिक, उन्हें पहले ही साल प्राकृतिक खेती विधि में चमत्कारी नतीजे देखने को मिले. वो कहते हैं कि जब कांगड़ा जिला उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्राकृतिक खेती उत्पादों का बिक्री केंद्र खुला तो वे भी उसमें अपनी फल सब्जियां भेजते थे. लेकिन कुछ समय के बाद वह किसी कारण से बंद हो गया. बिक्री केंद्र में आने वाले ग्राहक प्राकृतिक खेती (Natural Farming) उत्पदाों को बहुत सराहा और कई ग्राहक उनको फोन करके उनके खेत से सब्जियां लेकर जाते हैं.
ये भी पढ़ें- ड्रैगन फ्रूट की खेती ने बदल दी किस्मत, अब हो रही तगड़ी कमाई, अपनाया ये तरीका
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक, सुरेश को प्राकृतिक खेती खुशहाल योजना के तहत अपने उत्पादों की बिक्री के लिए कैनोपी दी गई है जिसे वह सड़क किनारे लगाकर प्राकृतिक सब्जियों और फलों को बेचने का भी काम कर रहे हैं.
सुरेश कुमार अपनी पंचायत के साथ अपने आस-पास की पंचायतों में भी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग देते हैं. उन्होंने योजना की सहायता से संसाधन भंडार भी खोला है, जिसमें तैयार आदानों को वे किसानों को दे रहे हैं. वे अपने खेतों में प्राकृतिक खेती का जो मॉडल विकसित किया है उसे वह अन्य किसानों को दिखाकर उन्हें भी इस खेती को प्रेरित कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें- रेलवे ने यात्रियों के लिए जारी की जरूरी सूचना, इन ट्रेनों के बदल गए टाइम टेबल, सफर से पहले यहां कर लें चेक
कितना हो रहा मुनाफा
सुरेश के मुताबिक, रासायनिक खेती में खर्च ज्यादा और मुनाफा कम होता था. लेकिन जब से प्राकृतिक खेती को आजमाया खर्च घट गया जबकि आय दोगुनी से ज्यादा हो गई. अब 1 हजार रुपये में 65,000 रुपये की कमाई हो रही है.
ये भी पढ़ें- Business Idea: 2 लाख रुपये में शुरू करें ये खास बिजनेस, मिलेगा बंपर मुनाफा, सरकार भी करेगी मदद
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
04:01 PM IST