RBI की मैराथन बैठक में 9 घंटे क्या कुछ हुआ: अब भी बरकरार है सरकार से 'तकरार'?
लगभग नौ घंटे तक चली बैठक के बारे में हालांकि, आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन अब भी कुछ मुद्दों पर आपसी सहमति नहीं बनी है.
रिजर्व बैंक और सरकार में कई दिनों से जारी तनातनी के बीच सोमवार को यहां केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल की मैराथन बैठक हुई. समझा जाता है कि इस बैठक में कई मुद्दों मसलन केंद्रीय बैंक को कितनी पूंजी की जरूरत है, लघु एवं मझोले उद्यमों को कर्ज देने और कमजोर बैंको के नियमों पर चर्चा हुई. रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और केंद्रीय बैंक के सभी डिप्टी गवर्नरों की बोर्ड में सरकार द्वारा मनोनीत निदेशकों, आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग और वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार तथा स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति के साथ विवादित मुद्दों पर कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए आमने-सामने बातचीत हुई.
9 घंटे क्या कुछ हुआ
लगभग नौ घंटे तक चली बैठक के बारे में हालांकि, आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है. सरकार और गुरुमूर्ति ने केंद्रीय बैंक पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को अधिक नकदी उपलब्ध कराने, छोटे कारोबारियों के लिए कर्ज नियमों को उदार करने, कमजोर बैंकों के लिए नियमों में ढील देने और रिजर्व बैंक के आरक्षित कोष में से कुछ राशि अर्थव्यवस्था को प्रोत्सोहन को देने के लिए उपलबध कराने को लेकर दबाव बनाते रहे.
अब भी नहीं सुलझा ये मुद्दा
इस तरह के संकेत हैं कि रिजर्व बैंक सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिए कर्ज के नियमों को सरल करने को तैयार है, लेकिन NBFC को नकदी के मुद्दे पर गतिरोध है. केंद्रीय बैंक बॉन्ड्स की मुक्त बाजार के जरिए खरीदे से नकदी डालने को तैयार दिखता है, लेकिन वह बैंकों के लिए अपने पूंजी स्टॉक के नियमों में ढील देने के पक्ष में नहीं लगता है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
आरक्षित कोष पर हुई चर्चा
बैठक में रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध भारी भरकम 9.69 लाख करोड़ रुपये के आरक्षित कोष पर भी चर्चा हुई. गुरुमूर्ति और वित्त मंत्रालय चाहते हैं कि केंद्रीय बैंक के पास उपलब्ध आरक्षित कोष की सीमा को वैश्विक स्तर के अनुरूप कम किया जाना चाहिए.
इन मामलों में मिल सकती है ढील
सूत्रों ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक बैंकों में त्वरित सुधारात्मक उपायों (पीसीए) की रूपरेखा तथा एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने के प्रावधानों में ढील को लेकर आपसी सहमति से किसी समाधान पर पहुंचने के पक्ष में हैं. सूत्रों के अनुसार, यदि इस बैठक में सहमति नहीं भी बन पाई तो अगले कुछ सप्ताह में त्वरित सुधारात्मक कदम को लेकर समाधान हो जाएगा. इसके तहत कुछ बैंक चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस रूपरेखा ढांचे के दायरे से बाहर आ सकते हैं.
फिलहाल, 21 सार्वजनिक बैंकों में से 11 बैंक पीसीए के दायरे में हैं. जिससे उन पर नये कर्ज देने को लेकर कड़ी शर्तें लागू हैं. इन बैंकों में इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक आफ इंडिया, सैंट्रल बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक आफ महाराष्ट्र शामिल हैं.
क्या चाहती है सरकार?
पीसीए ढांचा तब लागू होता है जबकि बैंक तीन नियामकीय बिंदुओं, जोखिम भारांश वाली संपत्तियों के एवज में रखे जाने वाले पूंजी अनुपात, शुद्ध गैर- निष्पादित आस्तियां (एनपीए) और संपत्ति पर रिटर्न (आरओए)- में से किसी एक का अनुपालन नहीं कर पाते हैं. वैश्विक स्तर पर यह व्यवस्था केवल तभी लागू होती है जब बैंक एक मानक, तय पूंजी पर्याप्तता अनुपात पर खरा नहीं उतर पाते हैं. सरकार चाहती है कि घरेलू बैंकिंग क्षेत्र में भी इसी तरह की व्यवस्था लागू की जाए.
निदेशक मंडल की सलाह
निदेशक मंडल ने रिजर्व बैंक को सलाह दी कि वह छोटे उद्योगों के मामले में फंसे कर्ज वाली इकाइयों के लिये एक पुनर्गठन योजना लाने पर विचार करे. इसके लिए वह 25 करोड़ रुपए तक की कुल रिण सुविधा तय कर सकता है. बैंकों के त्वरित सुधारात्मक कारवाई के मामले में यह तय किया गया कि इस मुद्दे को रिजर्व बैंक का वित्तीय निरीक्षण बोर्ड देखेगा.
कौन-कौन हुआ शामिल
टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित रिजर्व बैंक के 10 स्वतंत्र निदेशकों में से अधिकतम स्वतंत्र निदेशक बैठक में शामिल हुए. बैठक से पहले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि यदि बोर्ड आरक्षित भंडार में से कुछ राशि देने या नियमों में ढील देने का निर्देश देता है तो गवर्नर उर्जित पटेल को इस्तीफा दे देना चाहिए. रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल में इस समय 18 सदस्य हैं. हालांकि, इसमें अधिकतम 21 तक सदस्य हो सकते हैं.
धारा 7 के तहत शुरू हुआ विचार-विमर्श
केंद्रीय बैंक के साथ बढ़ते गतिरोध के बीच वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा सात के तहत विचार विमर्श शुरू किया था. इस धारा का इससे पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ है. इसके तहत सरकार को रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश जारी करने का अधिकार होता है.
डिप्टी गवर्नर ने उठाया था मुद्दा
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने पिछले महीने केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता का मुद्दा उठाया था. वहीं एस गुरुमूर्ति ने पिछले सप्ताह कहा था कि केंद्र और केंद्रीय बैंक के बीच गतिरोध को किसी भी तरीके से अच्छी स्थिति नहीं कहा जा सकता. पिछले महीने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच ने कहा था कि रिजर्व बैंक गवर्नर सरकार के हिसाब से काम करें अन्यथा इस्तीफा दे दें.
(भाषा)
10:27 AM IST