महाराष्ट्र की चीनी मिल ने गन्ना के शीरे से एथेनॉल बनाना शुरू किया
भारत में एथेनॉल 'सी-हैवी' शीरे से बनाया जाता है, लेकिन पिछले साल जुलाई में सरकार ने गन्ने के रस और 'बी-हैवी' शीरे या बी-ग्रेड शीरे से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी थी.
वाराना सहकारी मिल राज्य की एकमात्र सहकारी चीनी मिल है, जिसने गन्ने के रस से एथेनॉल बनाना शुरू किया है.
वाराना सहकारी मिल राज्य की एकमात्र सहकारी चीनी मिल है, जिसने गन्ने के रस से एथेनॉल बनाना शुरू किया है.
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में एक सहकारी चीनी मिल ने राज्य में गन्ने के रस से सीधे ईंधन ग्रेड के एथेनॉल का उत्पादन करने की पहल की है. केंद्र ने पिछले साल जुलाई में चीनी मिलों को गन्ने के रस अथवा बी-शीरे से सीधे एथेनॉल बनाने की अनुमति दी थी.
किसी साल चीनी का अधिशेष उत्पादन होने की वजह से चीनी मिलों को एथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना के रस को अन्यत्र उपयोग में लाने की मदद के लिए यह फैसला किया गया था.
महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त कार्यालय में संयुक्त निदेशक संजय भोसले ने बताया कि कोल्हापुर के तात्यासाहेब कोरे वाराना सहकारी साखर कारखाना लिमिटेड, राज्य की एकमात्र सहकारी चीनी मिल है, जिसने गन्ने के रस से एथेनॉल बनाना शुरू किया है.
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उन्होंने कहा कि परंपरागत रूप से, भारत में एथेनॉल 'सी-हैवी' शीरे से बनाया जाता है, लेकिन पिछले साल जुलाई में सरकार ने गन्ने के रस और 'बी-हैवी' शीरे या बी-ग्रेड शीरे से एथेनॉल बनाने की अनुमति दी थी. बी-हैवी वाले शीरे से एथेनॉल बनाने के लिए एक मिल मालिक को अपने उपकरण में मामूली बदलाव करना होता है. गन्ने के रस से सीधे उत्पादित ईंधन ग्रेड के एथेनॉल के लिए 59 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है.
वारना सहकारी समूह के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री विनय कोरे ने कहा कि यह चीनी उद्योग के लिए फायदेमंद होने जा रहा है, जो चीनी के अतिरिक्त स्टॉक होने की वजह से संकट झेल रहे हैं. मिल प्रति दिन 70,000 लीटर एथेनॉल का उत्पादन कर रही है.
08:10 PM IST