44 हजार करोड़ से ज्यादा का है IPL, प्लेयर्स की टी-शर्ट तक बेचकर पैसा कमाती हैं टीमें
केवल 12 साल में आईपीएल की कीमत शून्य से हजारों करोड़ तक पहुंच गई. पिछले साल के मुकाबले आईपीएल की ब्रांड वैल्यू में जबरदस्त उछाल देखने को मिला.
IPL भले ही क्रिकेट का एक फॉर्मेट हो. लेकिन, वास्तव में IPL की शुरुआत बिजनेस के लिहाज से हुई थी. (फाइल फोटो)
IPL भले ही क्रिकेट का एक फॉर्मेट हो. लेकिन, वास्तव में IPL की शुरुआत बिजनेस के लिहाज से हुई थी. (फाइल फोटो)
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 12वें सीजन के ऑक्सन जारी है. टीमें करोड़ों खर्च कर प्लेयर्स पर बड़ा दांव खेल रही हैं. भारतीय खिलाड़ियों से लेकर विदेशी सरजमीं के सितारों तक से उम्मीद रहती है कि वो अपनी फ्रेंचाइजी की झोली भर देंगे. जहां एक ओर आठ टीमें 47 दिनों तक क्रिकेट प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन करेंगी. वहीं, खिलाड़ियों पर खर्च करने वाली फ्रेंचाइजी भी करोड़ों रुपए की कमाई करेंगी.
क्या आप जानते हैं कि केवल 12 साल में आईपीएल की कीमत शून्य से हजारों करोड़ तक पहुंच गई. पिछले साल के मुकाबले आईपीएल की ब्रांड वैल्यू में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. जहां पिछले साल यह ब्रांड 34,000 करोड़ ($5.3 बिलियन) थी, वहीं इस साल इसकी ब्रैंड वैल्यू 44,390 करोड़ ($6.3 बिलियन) पहुंच गई है. ब्रांड वैल्यू में कुल 19 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. आइये जानते हैं आईपीएल की ब्रांड वैल्यू से जुड़ी खास बातें...
कैसे हुई IPL की शुरुआत
बिजनेस, एंटरटेनमेंट और स्पोर्ट्स को एक प्लेटफॉर्म पर लाने का श्रेय ललित मोदी को जाता है. ललित मोदी ही वह शख्स थे जिसने IPL को भारत के लिए एक बेशकीमती खेल बना दिया. 2007 में जब इसकी शुरुआत हुई तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह इतना बड़ा प्लेटफॉर्म बनेगा.
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बिजनेस के लिए IPL का डिजाइन
IPL को भले ही क्रिकेट के एक फॉर्मेट के रूप में देखा जाता हो. लेकिन, वास्तव में IPL की शुरुआत बिजनेस के लिहाज से हुई थी. फ्रेंचाइजी ने भी इसे पूरी तरह कॉमर्शियलाइज किया. कंपनियों ने आक्रामक ढंग से बिजनेस का विज्ञापन भी किया. पिछले साल जियो ने पूरी स्पॉन्सरशिप खरीदकर विज्ञापन जगत भी हलचल मचा दी.
क्या है IPL का बिजनेस प्लान
कम ही लोग जानते हैं कि IPL का बिजनेस प्लान भी है. दरअसल, बिजनेस प्लान के मुताबिक ही प्राइवेट कंपनियों को फ्रेंचाइजी खरीदने के लिए आमंत्रण दिए जाते हैं. क्रिकेट टीम के लिए फ्रेंचाइजी बड़ा निवेश करती हैं. फ्रेंचाइजी के बाद कॉरपोरेट्स भी क्रिकेट में निवेश के लिए आकर्षित होते हैं. तमाम दिग्गज कंपनियां न सिर्फ को-ऑनरशिप लेती हैं बल्कि विज्ञापन के जरिए भी करोड़ों रुपए बहाया जाता है. यही वह रास्ता है जहां से IPL की ब्रांड वैल्यू तैयार होती है.
कॉरपोरेट जगत भी जुड़ा साथ
IPL के जरिए न सिर्फ दुनियाभर के क्रिकेटर्स एक जगह इकट्ठा हुए, बल्कि भारत का कॉरपोरेट जगत भी इसका साथ जुड़ गया. हालांकि, आम पब्लिक के लिए यह समझना मुश्किल है कि कैसे IPL फ्रेंचाइजी करोड़ों रुपए खर्च करती हैं और उनकी कमाई कैसे होती है.
टी-शर्ट पर लोगो का भी मिलता है पैसा
IPL ने कॉरपोरेट इंडिया को स्पॉन्सर्स के लिए भी प्रेरित किया. कभी प्लेयर्स की टीशर्ट पर कंपनी के लोगो के लिए कोई कॉरपोरेट पैसा नहीं देता था, लेकिन अब इसके लिए मोटी रकम चुकाई जाती है. अंतरराष्ट्रीय और भारत की तमाम बड़ी कंपनियां इस खेल को स्पॉन्सर करती हैं.
IPL टीमें ऐसे करती हैं कमाई
1. मीडिया राइट्स
IPL टीम द्वारा कुल कमाई में 60-70 फीसदी हिस्सा मीडिया राइट्स का होता है. यह IPL में एक रेवेन्यू डिस्ट्रीब्यूशन का मॉडल है. इसमें बीसीसीआई ब्रॉडकास्टर और ऑनलाइन स्ट्रीमर से मोटी रकम वसूली जाती है. इसमें से सभी आईपीएल टीम को भी हिस्सा दिया जाता है. इसका बंटवारा टीम की रैंकिंग के आधार पर होता है. टीम की रैंक जितनी अधिक होती है उसे मीडिया रेवेन्यू में उतना बड़ा हिस्सा मिलता है.
2. टिकट बिक्री
स्टेडियम में टिकट बिक्री से भी फ्रेंचाइजी की कमाई होती है. टिकट का दाम टीम मालिक तय करते हैं. IPL टीम के रेवेन्यू में टिकट का हिस्सा करीब 10 फीसदी है.
3. प्राइज मनी
प्राइज मनी को टीम मालिक और खिलाड़ियों के बीच बांटा जाता है. IPL के हर मैच में भी नकद राशि ईनाम के तौर पर दी जाती है. 2018 में 120 करोड़ रुपए ईनाम के तौर पर दिए गए. चैंपियन टीम को ईनाम राशि का सबसे बड़ा हिस्सा मिलता है. जो 2018 के सीजन में 20 करोड़ रुपए था. रनरअप टीम को 12.5 करोड़ रुपए दिए गए थे. तीसरे और चौथे नंबर की टीमों को 8.75 करोड़ रुपए दिए.
किट और जर्सी पर भी बरसता है पैसा
ब्रांड स्पॉन्सरशिप के जरिए भी IPL टीम मालिकों की बड़ी कमाई होती है. फ्रेंचाइजी ब्रांड के साथ सीजन का करार करके उनके लोगो को टीम किट और जर्सी पर जगह देते हैं. स्टेडियम की बाउंड्री पर लगने वाले विज्ञापनों को स्पेस के मुताबिक बेचा जाता है. जर्सी के फ्रंट और बैक पर लोगो छापने के लिए सबसे बड़ी स्पॉन्सरशिप फीस चुकानी होती है. कुल कमाई में स्पॉन्सरशिप का हिस्सा 20-30 फीसदी होता है.
मर्चेंडाइज सेल्स
भारत में खेल सामग्री का बाजार सालाना आधार पर 100 फीसदी की दर से बढ़ रहा है और यह बाजार तकरीबन 3 करोड़ डॉलर का है. प्रत्येक फ्रैंचाइजी मर्चेंडाइज की बिक्री करती है, जिसमें टी-शर्ट, कैप, रिस्ट वॉच और अन्य कई सामग्री शामिल हैं.
05:49 PM IST