शुरू हुई फैमिली वॉर, 22500 करोड़ गंवाने वाले सिंह बंधु का झगड़ा, NCLT पहुंचे शिविंदर सिंह
शिविंदर सिंह ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दायर मुकदमे में दोनों पर उत्पीड़न और आरएचसी होल्डिंग के कुप्रबंधन का आरोप लगाया है.
छोटे भाई शिविंदर सिंह ने बड़े भाई मलविंदर सिंह पर लगाए आरोप. (फाइल फोटो)
छोटे भाई शिविंदर सिंह ने बड़े भाई मलविंदर सिंह पर लगाए आरोप. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: रैनबैक्सी और फोर्टिस हेल्थकेयर के सिंह बंधु एक दशक से भी कम समय में करीब 22,500 करोड़ रुपए गंवा चुके हैं. अब पैसे के इस खेल में दोनों भाइयों के बीच ही आपस में झगड़ा शुरू हो गया है. शिविंदर सिंह ने अपने बड़े भाई मलविंदर सिंह और रेलिगेयर के पूर्व सीईओ सुनील गोधवानी को NCLT में घसीट लिया है. शिविंदर सिंह ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में दायर मुकदमे में दोनों पर उत्पीड़न और आरएचसी होल्डिंग के कुप्रबंधन का आरोप लगाया है. इस तरह से ऐसा लगता है कि भारत के कॉरपोरेट जगत में एक और फैमिली वॉर शुरू होने जा रहा है.
कारोबारी भागीदारी हुई अलग
फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रवर्तक शिविंदर सिंह ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने अपने बड़े भाई मालविंदर मोहन सिंह और रेलिगेयर के पूर्व प्रमुख सुनील गोधवानी के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में अपील की है. इसके साथ ही उन्होंने अपने बड़े भाई को कारोबारी भागीदारी से भी अलग कर दिया है. शिविंदर सिंह ने एक बयान में कहा, ‘‘मैंने मालविंदर और सुनील गोधवानी के खिलाफ एनसीएलटी में मामला दायर किया है. यह मामला आरएचसी होल्डिंग, रेलिगेयर और फोर्टिस में उत्पीड़न और कुप्रबंधन को लेकर दायर किया गया है.’’
शेयरधारकों के हितो को नुकसान हुआ
शिविंदर सिंह के मुताबिक, मालविंदर और गोधवानी के सामूहिक और जारी कार्रवाइयों से कंपनियों और शेयरधारकों के हितों को नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि वह लंबे समय से यह कार्रवाई करना चाहते थे लेकिन इस उम्मीद में रुके हुए थे कि सद्बुद्धि आएगी और पारिवारिक विवाद का एक नया अध्याय नहीं लिखना पड़ेगा. इस बारे में फिलहाल मालविंदर सिंह से कोई टिप्पणी नहीं ली जा सकी.
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22500 करोड़ डूबे
शिविंदर ने कहा कि वह उन गतिविधियों का हिस्सा नहीं बन सकते, जिनमें पारदर्शिता और सदाचार का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है. गौरतलब है कि कभी देश की सबसे बड़ी दवा कंपनी रैनबैक्सी के मालिक रहे सिंह बंधुओं के परिवार में पंजाब के एक संत का काफी असर है. साल 2008 में जब उन्होंने अपनी कंपनी रैनबैक्सी को बेचा था तो उनके पास 9,576 करोड़ रुपए की नकदी थी. लेकिन, एक दशक के भीतर ही उनके ऊपर करीब 13,000 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया.
(इनपुट भाषा से भी)
07:40 PM IST