तेल मिलों की मक्का बीज की निशुल्क आयात मात्रा बढ़ाने की मांग
इस साल मक्का की पैदावार कम आंकी जा रही है. पिछले साल जहां 300 लाख टन मक्का की पैदावार हुई थी वहीं इस साल यह 285 लाख टन रहने का अनुमान है.
मक्का बीज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा 50 से 60 लाख टन मुर्गी पालन उद्योग में होता है.
मक्का बीज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा 50 से 60 लाख टन मुर्गी पालन उद्योग में होता है.
कुक्कट पालन उद्योग और स्टार्च मिल उद्योग ने इस साल देश में मक्का उत्पादन में कमी को देखते हुये सरकार से मक्का बीज की निशुल्क आयात मात्रा को मौजूदा पांच लाख टन से ऊपर बढ़ाने की मांग की है.
उद्योग का कहना है कि इस साल मक्का की पैदावार कम आंकी जा रही है. पिछले साल जहां 300 लाख टन मक्का की पैदावार हुई थी वहीं इस साल यह 285 लाख टन रहने का अनुमान है. जबकि इसकी खपत हर साल पांच से दस प्रतिशत की दर से बढ़ रही है. यही वजह है कि मक्का बीज का भाव भी 1550- 1600 रुपये से बढ़कर 2200- 2300 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है.
उद्योग के मुताबिक मक्का बीज का इस्तेमाल सबसे ज्यादा 50 से 60 लाख टन मुर्गी पालन उद्योग में होता है. स्टार्च मिल में 30 से 40 लाख टन तथा शेष अन्य कार्यों में जैसे की मक्की का आटा, पापकार्न आदि बनता है. बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में मक्का का उत्पादन किया जाता है.
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स्टार्च उद्योग सूत्रों ने बताया कि सरकार ने विदेशों से पांच लाख टन तक मक्का का आयात शुल्क मुक्त रखा है जबकि इससे अधिक आयात होने पर उसपर 60 प्रतिशत की दर से आयात शुल्क लगाया जाता है. इस साल फसल कम होने को ध्यान में रखते हुये उद्योग ने मक्का की शुल्क मुक्त आयात की मात्रा को पांच लाख टन से ऊपर बढ़ाने की मांग की है.
पंजाब आयल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा कि मक्का से तेल पांच से छह प्रतिशत निकलता है, जबकि मक्का खल को पशुओं के लिये काफी बेहतर बताया जा रहा है. सारिस्का ब्रांड, अलवर के मालिक अर्पित गुप्ता के अनुसार मक्का खल पौष्टिक तत्वों से भरपूर है. इसके सेवन से पशुओं के दूध की मात्रा बढ़ जाती है. गुजरात में मक्का खल का काफी इस्तेमाल किया जाता है. यहां किसान पशु चारे में मक्का खल का अधिक इस्तेमाल करते हैं. इसलिये इसके कम उत्पादन को देखते हुये सरकार को शुल्क मुक्त आयात की मात्रा बढ़ानी चाहिये.
06:33 PM IST