मौद्रिक नीति समीक्षा में RBI ने रेपो रेट में नहीं किया कोई बदलाव
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली एमपीसी के छह सदस्यों ने एकमत से नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया. हालांकि एक सदस्य रविंद्र एच. ढोलकिया ने आरबीआई का रुख 'निरपेक्ष' करने के लिए वोट डाला.
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 7.1 प्रतिशत रही जो इससे पिछली तिमाही अप्रैल-जून में 8.2 प्रतिशत रही थी.
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 7.1 प्रतिशत रही जो इससे पिछली तिमाही अप्रैल-जून में 8.2 प्रतिशत रही थी.
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.4 प्रतिशत पर पूर्ववत रखा है. केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा है कि निवेश गतिविधियों में तेजी से वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में वृद्धि दर बढ़कर 7.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. आरबीआई ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में जीडीपी वृद्धि दर केंद्रीय बैंक के पूरे वित्त वर्ष के 7.4 प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान के अनुरूप है.
आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली एमपीसी के छह सदस्यों ने एकमत से नीतिगत दर को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया. हालांकि एक सदस्य रविंद्र एच. ढोलकिया ने आरबीआई का रुख 'निरपेक्ष' करने के लिए वोट डाला. आरबीआई के मुताबिक, मुद्रास्फीति अनुमान को उल्लेखनीय रूप से संशोधित किया गया है और पिछले प्रस्ताव में बताए गए जोखिमों को कम किया गया है. खासकर कच्चे तेल की कीमत में गिरावट के कारण महंगाई के जोखिम को कम किया गया है. हालांकि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर अभी भी कुछ अनिश्चिताएं बरकरार हैं.
उर्जित पटेल ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, "एमपीसी ने गौर किया है कि व्यापार तनाव बढ़ने, वैश्विक वित्तीय स्थिति दवाब में होने और वैश्विक मांग में कमी से घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम है, लेकिन हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट अगर आगे भी बरकरार रहती है तो घरेलू अर्थव्यवस्था को फायदा होगा."
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आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने एक प्रश्न के जवाब में कहा, "आरबीआई की नजर मध्यम अवधि के लक्ष्यों पर है. हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति दर 4.2 फीसदी होगी, जो कि एक साल की समय सीमा में मध्यम अवधि के लक्ष्य से अधिक है." आरबीआई की एमपीसी का लक्ष्य मुद्रास्फीति को चार फीसदी (दो फीसदी ऊपर-नीचे) तक रखना है, जबकि विकास को बढ़ावा देना है.
आरबीआई ने पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति में कहा कि घरेलू वृहत आर्थिक बुनियाद को सुदृढ़ करने के लिये यह समय उपयुक्त है. इस संदर्भ में निजी निवेश गतिविधियों के लिये गुंजाइश तथा कोष उपलब्ध कराने को लेकर राजकोषीय अनुशासन महत्वपूर्ण है.
जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत
केंद्रीय बैंक ने कहा कि अक्तूबर की मौद्रिक नीति समीक्षा में आकलन के आधार पर वित्त वर्ष 2018-19 के लिये जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत (दूसरी छमाही में 7.2 से 7.3 प्रतिशत) रहने का अनुमान रखा गया है. वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में इसके 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. हालांकि, इसमें कमी का जोखिम भी रहेगा.
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 7.1 प्रतिशत रही जो इससे पिछली तिमाही अप्रैल-जून में 8.2 प्रतिशत रही थी. इससे पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही जनवरी-मार्च में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही थी.
केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि रबी फसलों की बुवाई कम होने से कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और इससे ग्रामीण मांग प्रभावित हो सकती है. वित्तीय बाजार के उतार-चढ़ाव, वैश्विक मांग में नरमी तथा व्यापार तनाव बढ़ना निर्यात के लिये जोखिम है.
रिजर्व बैंक के अनुसार, हालांकि, सकारात्मक पहलू यह है कि कच्चे तेल के दाम में नरमी के साथ कंपनियों की आय में सुधार तथा खर्च योग्य आय बढ़ने से निजी खपत में वृद्धि से देश की वृद्धि संभावना को गति मिलने की उम्मीद है. कच्चे तेल का दाम नवंबर के अंत में 60 डालर बैरल पर आ गया जो एक महीना पहले अक्तूबर की शुरूआत में 85 डालर प्रति बैरल की ऊंचाई पर पहुंच गया था.
(इनपुट एजेंसी से)
08:33 PM IST