'आज फिर जीने की तमन्ना है वाला हाल...'- RBI गवर्नर ने बैंकों को क्यों दी राहुल द्रविड़ की तरह खेलने की सलाह?
वर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि दुनियाभर में लगातार संकट का दौर जारी है और हमारी नजर महंगाई पर अर्जुन की आंख की तरह है. गवर्नर ने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने बैंकों को लॉन्ग टर्म के लिए खेलने की सलाह दी.
केंद्रीय रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई के कदमों से देश में वित्तीय स्थिरता का खतरा नहीं है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में लगातार संकट का दौर जारी है और हमारी नजर महंगाई पर अर्जुन की आंख की तरह है. गवर्नर ने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बातें फिक्की और इबा के कार्यक्रम में बोलीं. इस दौरान उन्होंने बैंकों को लॉन्ग टर्म के लिए खेलने की सलाह दी.
"राहुल द्रविड़ की तरह खेलें"
दास ने अनसिक्योर्ड लोन के लिए रिस्क वेटेज में बढ़ोतरी पर कहा कि यह समय रहते सोच-विचार कर उठाया गया एहतियाती कदम है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि वो बैंकों से कहना चाहते हैं कि वो राहुल द्रविड़ की तरह लॉन्ग टर्म के लिए खेलें न कि आज फिर जीने की तमन्ना है के अंदाज में शॉर्ट टर्म के लिए. दरअसल, कंज्यूमर लेंडिंग पर लोन रिस्क वेट बढ़ाने के आरबीआई के फैसले को कई नजरों से देखा जा रहा है. इसपर गवर्नर की ओर से ताजा टिप्पणी इस लिहाज से आई है कि कंज्यूमर लोन देकर बैंक शॉर्ट टर्म बिजनेस की बजाय लॉन्ग टर्म असेट क्वालिटी पर ध्यान दें. उन्होंने कहा कि असेट क्वालिटी अच्छी होने से बैंकों की बैलेंस शीट मजबूत होगी.
— ReserveBankOfIndia (@RBI) November 22, 2023
बस पर्सनल लोन ही क्यों?
आरबीआई का रिस्क लोन वेटेज का फैसला कंज्यूमर लोन तक ही सीमित रहा, बाकी लोन पर क्यों नहीं, इसपर गवर्नर ने कहा कि हाउसिंग, ऑटो और MSME सेक्टर में भी लोन जबरदस्त तेजी से बांटे जा रहे हैं और वृद्धि में योगदान दे रहे हैं, लेकिन यहां भी जो दबाव बन रहा है, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. लेकिन चूंकि वृद्धि भी जरूरी है, ऐसे में आरबीआई ने उन्हें इस फैसले के दायरे से बाहर रखा है.
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आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के कदमों पर उन्होंने कहा कि घरेलू रोज़मर्रा की महंगाई काबू करने के लिये RBI ने नीतिगत ब्याज दरें बढ़ाईं और लिक्विडिटी पर नियंत्रण किया. गवर्नर ने कहा कि "हम अब पूरी तरह से मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, भले ही थोक और खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट आई है." रुपये के प्रदर्शन पर उन्होंने कहा कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में वृद्धि के बावजूद भारतीय रुपये ने कम अस्थिरता और व्यवस्थित उतार-चढ़ाव का प्रदर्शन किया है.
बैंकों और NBFCs के लिए सलाह
गवर्नर ने कहा कि आज के समय में बैंकों और NBFC की बैलेंस शीट मज़बूत है. ऐसे समय में इस बात पर रिस्क मैनेजमेंट प्रैक्टिस पर ध्यान देना चाहिए. बैंक और NBFCs हाई कॉस्ट शॉर्ट टर्म बल्क डिपॉजिट पर काफी भरोसा जता रहे हैं लेकिन साथ-साथ कई रिटेल और कॉरपोरेट लोन की मियाद भी बढ़ा रही है. बैंकों और NBFC देखें कि क्रेडिट ग्रोथ सस्टेनेबल हो. तेजी से होने वाली ग्रोथ सस्टेनेबल अधिकतर नहीं होती.
बैंक और NBFC के इंटरकनेक्शन पर RBI की नजर है. यह डिपेंडेंसी रिस्क हो सकती है. इसे कम करना चाहिए. NBFC बैंकों से लोन उठाते हैं. बैंकों की बुक्स मज़बूत है लेकिन फिर भी लोन देने से पहले बैंक को NBFC का exposure दूसरे बैंकों के साथ भी चेक करना चाहिए क्योंकि एक NBFC एक से ज़्यादा बैंक से लोन लेती है.
NBFC को फंडिंग के दूसरे जरिये ढूंढने चाहिए
शक्तिकांत दास ने कहा कि कुछ माइक्रो लेंडर ज़्यादा इंटरेस्ट पर लोन दे रहे बिना सोचे कि सामने वाला उसे चुका पाएगा या नहीं. इस ज्यादा rate of interest पर RBI की नज़र है और कई गाइडलाइन्स आ चुकी है. micro lenders पर जो भरोसा RBI ने दिखाया है उसका गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. interest और लोन में ट्रांसपैरेंसी होनी चाहिये. टेक का इस्तेमाल बैंक और NBFC पहले से सेट एल्गोरिदम पर पूरे भरोसे की बजाय डायनैमिक तरीके से करें ताकि रिस्क न पैदा हों.
01:23 PM IST