RBI ने बैंकों और NBFCs के लिए नए नियम किए जारी, निगरानी से जुड़ी जानकारी साझा करना होगा आसान
कों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए निगरानी से जुड़े आंकड़े प्रस्तुत करने से संबंधित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी निर्देशों को एक जगह करते हुए एक एकल दस्तावेज जारी किया गया है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए निगरानी से जुड़ी जानकारी को लेकर नियमों के अनुपालन को सुगम बनाया है. इसके तहत बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए निगरानी से जुड़े आंकड़े प्रस्तुत करने से संबंधित अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सभी निर्देशों को एक जगह करते हुए एक एकल दस्तावेज जारी किया गया है.
आरबीआई ने बयान में कहा कि ‘मास्टर’ दिशानिर्देश - भारतीय रिजर्व बैंक (निरीक्षण संबंधित जानकारी दाखिल करना) दिशानिर्देश - 2024’ जानकारी देने के उद्देश्य को समझने के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है और उनके जमा करने की समयसीमा में सामंजस्य स्थापित करता है.
बैंकों और NBFCs के लिए हैं ये नियम
निगरानी के दायरे में आने वाली सभी इकाइयों....वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों, एक्जिम बैंक (भारतीय निर्यात आयात बैंक) नाबार्ड, एनएचबी (राष्ट्रीय आवास बैंक), सिडबी, एनएबीएफआईडी (नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट) और एनबीएफसी - को केंद्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये विभिन्न निर्देशों, परिपत्रों और अधिसूचनाओं के अनुसार रिजर्व बैंक के पास निगरानी से संबंधित सूचनाएं या रिटर्न जमा करना आवश्यक है.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
निगरानी से जुड़े रिटर्न समय-समय पर निर्धारित प्रारूपों में आरबीआई को प्रस्तुत किए गए समय-समय पर / अस्थायी आंकड़ों से संबंधित है. आरबीआई ने कहा, ‘‘निगरानी से संबंधित सभी रिटर्न के लिए एक ही संदर्भ बनाने और रिटर्न दाखिल करने की समयसीमा को सुसंगत बनाने के लिए, सभी प्रासंगिक निर्देशों को तर्कसंगत बनाया गया है और एक ही मास्टर दिशानिर्देश में शामिल किया गया है.’’
हटाए गए हैं कुछ दिशा-निर्देश
‘मास्टर’ दिशानिर्देश में उन अधिसूचनाओं और परिपत्रों की सूची भी शामिल है जिन्हें निरस्त कर दिया गया है. निगरानी के दायरे में आने वाली इकाइयों की तरफ से दाखिल किए जाने वाले लागू रिटर्न का सेट और रिटर्न का सामान्य विवरण भी एक ही दस्तावेज में संकलित किया गया है.
केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘इसमें कुछ ऐसे निर्देशों को हटाया गया है जो पुराने पड़ गये हैं और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए एक मास्टर दिशानिर्देश सहित 20 मौजूदा निर्देशों को एक साथ लाया गया है.’’ आरबीआई ने कहा, ‘‘यह निगरानी से संबंधित सभी आंकड़े प्रस्तुत करने करने से जुड़े नियमों कर अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक एकल दस्तावेज की सुविधा देता है. साथ ही संदर्भ में आसानी के लिए किये गये सभी परिवर्तनों का सारांश भी ‘मास्टर’ दिशानिर्देश में शामिल किया गया है.’’
मास्टर सर्कुलर जारी करने की बात कही थी
प्रौद्योगिकी मंचों में बदलाव, जमा करने के तरीकों और रिटर्न जमा करने की समयसीमा में बदलाव के कारण संबंधित इकाइयों को इन निर्देशों का अनुपालन करते समय कुछ मुद्दों का सामना करना पड़ रहा था. रिजर्व बैंक ने इस संदर्भ में पिछले साल अगस्त में घोषणा की थी कि अधिक स्पष्टता प्रदान करने और अनुपालन बोझ को कम करने के लिए ‘मास्टर’ दिशानिर्देश जारी किया जाएगा.
निगरानी के दायरे में आने वाली इकाइयों के निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन की जिम्मेदारियों पर, ‘मास्टर’ दिशानिर्देश में कहा गया है कि जोखिम आंकड़ा एकत्रीकरण क्षमताओं और जोखिम रिपोर्टिंग गतिविधियों को पूरी तरह से दस्तावेजी रूप दिया जाना चाहिए और यह सत्यापन के उच्च मानकों के अंतर्गत होना चाहिए. इसमें कहा गया है, ‘‘ निदेशक मंडल और वरिष्ठ प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त कदम उठाये जाएं.’’
11:48 AM IST